अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक पंचतत्व में विलीन

वेदप्रताप वैदिक का पार्थिव शरीर बुधवार सुबह से अंतिम दर्शन के लिए गुरुग्राम स्थित उनके आवास में रखा गया था. अंतिम संस्कार लोधी शवदाह गृह में किया गया.

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक पंचतत्व में विलीन

नई दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. वैदिक का मंगलवार सुबह 78 वर्ष की आयु में निधन हुआ था.

वेदप्रताप वैदिक का पार्थिव शरीर बुधवार सुबह से अंतिम दर्शन के लिए गुरुग्राम स्थित उनके आवास में रखा गया था. अंतिम संस्कार लोधी शवदाह गृह में किया गया.

उनके निजी सहायक मोहन ने निधन की जानकारी दी थी. उन्होंने बताया कि वैदिक सुबह गुड़गांव स्थित अपने घर में करीब साढ़े नौ बजे के आसपास शौचालय गए थे और वह वहीं बेहोश हो गए. शौचालय का दरवाजा तोड़ कर उन्हें बाहर निकाला गया और अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई.

उन्होंने बताया कि इससे पूर्व वैदिक पूरी तरह स्वस्थ थे और वह सोमवार को भी दिल्ली गए थे. डाक्टरों ने दिल का दौरा पड़ने को मृत्यु का संभावित कारण बताया है.

उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं. उनकी पत्नी का पहले ही निधन हो गया था.

वैदिक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) की हिंदी समाचार एजेंसी 'भाषा' के लगभग दस वर्षों तक संस्थापक-संपादक रहे. वह पहले टाइम्स समूह के समाचारपत्र नवभारत टाइम्स में संपादक (विचार) रहने के साथ ही भारतीय भाषा सम्मेलन के अंतिम अध्यक्ष थे.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उनके निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘श्री वेदप्रताप वैदिक जी प्रखर पत्रकार एवं स्तंभकार थे, जो अपनी लेखनी से समसामयिक विषयों पर अपनी बेबाक़ राय रखते थे. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी उनकी गहरी पकड़ थी. उनके निधन से हिन्दी पत्रकारिता में एक रिक्तता आई है.उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएँ."

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वैदिक जी के निधन का शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं...''

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वरिष्ठ पत्रकार वैदिक के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि वैदिक जी पत्रकारिता की चलती फिरती पाठशाला थे. उनके निधन से हिन्दी पत्रकारिता को अपूरणीय क्षति पहुंची है.