सुशील शर्मा का फाइल फोटो
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सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को तंदूर हत्याकांड मामले में दोषी युवक कांग्रेस के पूर्व नेता सुशील शर्मा की मृत्युदंड की सजा को कम करके आजीवन कारावास में बदल दिया है।
सर्वोच्च न्यायायल के प्रधान न्यायमूर्ति पी. सतशिवम, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के वकील ने बिना पर्याप्त संदेह के उसे दोषी सिद्ध किया है।
न्यायायल ने कहा, "अपराध जघन्य है, किंतु सिर्फ जघन्यता ही इस मामले में मृत्युदंड दिए जाने को न्यायसंगत नहीं बनाती।" न्यायालय ने आगे कहा कि शर्मा के सुधरने की संभावनाएं अभी भी बनी हुई हैं।
न्यायमूर्तियों ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा, "हम अपीलार्थी सुशील शर्मा को दिए गए मृत्युदंड को कम कर उम्रकैद में तब्दील करते हैं।" न्यायालय ने नैना साहनी की हत्या से कुछ समय पूर्व की परिस्थितियों को दोबारा सुना।
सुशील ने नैना की हत्या के बाद उसके शव को तत्कालीन सरकार द्वारा संचालित एक होटल के बगिया रेस्तरां के तंदूर में जलाकर नष्ट करने की कोशिश की थी।
न्यायमूर्ति देसाई ने पीठ की तरफ से फैसला सुनाते हुए कहा, "यह समाज के खिलाफ अपराध नहीं है, लेकिन इस अपराध को आरोपी द्वारा उसकी पत्नी के साथ तनावपूर्ण निजी संबंधों की वजह से अंजाम दिया गया।"
न्यायालय ने आगे कहा कि मामले की गंभीरता को कम करने वाले इस कारण की वजह से उसके मृत्युदंड को उम्रकैद में तब्दील किया गया है।
न्यायालय ने कहा कि शर्मा को पूरी जिंदगी कारावास में बितानी होगी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उसे कानून के तहत क्षमा दिलाना प्रशासन के अधिकार का विषय होगा।
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