सुशील शर्मा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पूर्व युवा कांग्रेस नेता सुशील शर्मा को पैरोल पर रिहा करने के उसके आदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए पुलिस को आड़े हाथ लिया जबकि यह आदेश देने के बाद तीन दिन गुजर चुके हैं। शर्मा सनसनीखेज तंदूर हत्या मामले में अपनी पत्नी को मारने का दोषी ठहराया गया था।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने जेल अधिकारियों के रुख पर अप्रसन्नता जताई कि अदालत के आदेशों के बावजूद शर्मा को जेल से रिहा नहीं किया गया। पत्नी नैना साहनी की हत्या के कारण शर्मा पिछले 20 साल से जेल में है।
अदालत ने उपराज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) अजय चौधरी को अदालत में पेश होने और इस बात की सफाई देने को कहा था कि अदालत के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ।
अदालत में पेश होते समय चौधरी ने एक पत्र पेश किया जिसमें कहा गया शर्मा को आज रिहा कर दिया जाएगा।
बहरहाल, अदालत ने कहा कि उन्होंने आदेश दिया था और 15 सितंबर को यह भी सुनिश्चित किया था कि उनके आदेश से तिहाड़ जेल अधिकारियों को अवगत करा दिया जाए ताकि शर्मा उसी दिन बाहर आ सके।
न्यायाधीश ने कहा था, ‘‘मंगलवार (15 सितंबर) अन्य दिनों से अच्छा दिन है। उसे (शर्मा को) उसी दिन ही रिहा कर दिया जाना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने जेल अधिकारियों के रुख पर अप्रसन्नता जताई कि अदालत के आदेशों के बावजूद शर्मा को जेल से रिहा नहीं किया गया। पत्नी नैना साहनी की हत्या के कारण शर्मा पिछले 20 साल से जेल में है।
अदालत ने उपराज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) अजय चौधरी को अदालत में पेश होने और इस बात की सफाई देने को कहा था कि अदालत के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ।
अदालत में पेश होते समय चौधरी ने एक पत्र पेश किया जिसमें कहा गया शर्मा को आज रिहा कर दिया जाएगा।
बहरहाल, अदालत ने कहा कि उन्होंने आदेश दिया था और 15 सितंबर को यह भी सुनिश्चित किया था कि उनके आदेश से तिहाड़ जेल अधिकारियों को अवगत करा दिया जाए ताकि शर्मा उसी दिन बाहर आ सके।
न्यायाधीश ने कहा था, ‘‘मंगलवार (15 सितंबर) अन्य दिनों से अच्छा दिन है। उसे (शर्मा को) उसी दिन ही रिहा कर दिया जाना चाहिए।’’
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