प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
मोदीनगर के भोजपुर गांव में ऐसे कई किसान हैं जिनके सैंकड़ों बीघा खेत खाली पड़े हैं, क्योंकि उनके पास नई फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। एनडीटीवी ने जब इस गांव का दौरा किया तो पाया कि बैंक यहां के किसानों को नया कर्ज़ दे नहीं रहे, क्योंकि वे पिछले फसल सीज़न का कर्ज़ अब तक नहीं चुका पाए हैं।
किसान वीरेन्द्र कुमार ने कई बीघे में गेहूं बोया था। इस साल फरवरी-मार्च में हुई भारी बारिश और ओला-वृष्टि ने सारी फसल खराब कर दी और सरकार से मुआवज़ा नहीं मिला। अब इस सीजन में उनके पास फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। वीरेन्द्र ने एनडीटीवी से कहा, "2-3 बीधे के खेत में गेहूं बोया था लेकिन बारिश में सब बर्बाद हो गया। अब नई फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। नवंबर-दिसंबर तक मेरे खेत ऐसे ही खाली रहेंगे।"
वीरेन्द्र दावा करते हैं कि भोजपुर गांव के 300-400 किसानों की जमीन ऐसे ही खाली पड़ी है, क्योंकि उनके पास भी नई फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। किसान सुरेन्द्र की जमीन वीरेन्द्र के ठीक पड़ोस में है। उनके खेत भी खाली पड़े हैं। सुरेन्द्र एनडीटीवी से कहते हैं, "मेरा सब कुछ ओलावृष्टि और बारिश में बर्बाद हो गया। कोई मदद कहीं से नहीं मिली। अब मेरे खेत खाली पड़े हैं। नई फसल की बुआई के लिए पैसे नहीं है।"
किसानों की मुश्किल यह है कि उन्हें ओले और भारी बारिश में हुए नुकसान का कोई मुआवज़ा सरकार से नहीं मिला। अब परिवार चलाना मुश्किल होता जा रहा है। किसान हरवीर सिंह कहते हैं, "बैंक ने नया कर्ज़ देने से मना कर दिया। नई फसल बोने के लिए पैसे कहां से लाऊं? बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। उनकी फीस देने के लिए अब पैसे नहीं हैं हमारे पास।"
किसानों पर यह दोहरी मार है। पहले फसल बरबाद हुई, अब सिस्टम से कोई मदद नहीं मिल रही।
किसान वीरेन्द्र कुमार ने कई बीघे में गेहूं बोया था। इस साल फरवरी-मार्च में हुई भारी बारिश और ओला-वृष्टि ने सारी फसल खराब कर दी और सरकार से मुआवज़ा नहीं मिला। अब इस सीजन में उनके पास फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। वीरेन्द्र ने एनडीटीवी से कहा, "2-3 बीधे के खेत में गेहूं बोया था लेकिन बारिश में सब बर्बाद हो गया। अब नई फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। नवंबर-दिसंबर तक मेरे खेत ऐसे ही खाली रहेंगे।"
वीरेन्द्र दावा करते हैं कि भोजपुर गांव के 300-400 किसानों की जमीन ऐसे ही खाली पड़ी है, क्योंकि उनके पास भी नई फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। किसान सुरेन्द्र की जमीन वीरेन्द्र के ठीक पड़ोस में है। उनके खेत भी खाली पड़े हैं। सुरेन्द्र एनडीटीवी से कहते हैं, "मेरा सब कुछ ओलावृष्टि और बारिश में बर्बाद हो गया। कोई मदद कहीं से नहीं मिली। अब मेरे खेत खाली पड़े हैं। नई फसल की बुआई के लिए पैसे नहीं है।"
किसानों की मुश्किल यह है कि उन्हें ओले और भारी बारिश में हुए नुकसान का कोई मुआवज़ा सरकार से नहीं मिला। अब परिवार चलाना मुश्किल होता जा रहा है। किसान हरवीर सिंह कहते हैं, "बैंक ने नया कर्ज़ देने से मना कर दिया। नई फसल बोने के लिए पैसे कहां से लाऊं? बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। उनकी फीस देने के लिए अब पैसे नहीं हैं हमारे पास।"
किसानों पर यह दोहरी मार है। पहले फसल बरबाद हुई, अब सिस्टम से कोई मदद नहीं मिल रही।