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This Article is From Jun 22, 2016

'चुनावी मोड' में यूपी : रामूवालिया, बेनी बाबू और स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब किसकी बारी.. ?

'चुनावी मोड' में यूपी : रामूवालिया, बेनी बाबू और स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब किसकी बारी.. ?
बेनी प्रसाद वर्मा कांग्रेस की सदस्यता छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं।
देश का सबसे बड़ा प्रदेश, यूपी अब पूरी तरह 'चुनावी मोड' में आ गया है..। हाल के सियासी घटनाक्रम भी यही संकेत दे रहे है। BSP के कद्दावर नेता स्‍वामी प्रसाद मौर्य का पार्टी से इस्तीफा, बाहुबली मुख्तार और अफजल अंसारी के कौमी एकता दल के सपा (SP) में विलय, बेनी प्रसाद वर्मा का कांग्रेस छोड़कर फिर सपा की 'शरण' में आना और बलवंत सिंह रामूवालिया का नाटकीय ढंग से अकाली दल छोड़‍कर सपा में शामिल होना और फिर अखिलेश सरकार में मंत्री बनना ....ये तमाम सियासी हलचलें साफ संकेत दे रही हैं कि यूपी में 'सियासी उठापटक' का दौर शुरू हो चुका है। संभव है हम आने वाले दिनों में कुछ और कद्दावर नेताओं की निष्ठाओं को यहां से वहां 'शिफ्ट' होता हुआ देखें।

सपा का दामन थाम सकते हैं स्‍वामी
यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने हालांकि अपनी भावी रणनीति उजागर नहीं की है लेकिन अटकलें हैं कि वे मुलायम की सपा में शामिल हो सकते हैं और उन्हें यूपी सरकार में मंत्री पद से नवाजा जा सकता है। बहुत अधिक वक्‍त नहीं हुआ है जब लगभग इसी अंदाज में अकाली दल के नेता बलवंत सिंह रामूवालिया ने पार्टी छोड़कर सपा का दामन थामा था। रामूवालिया का इसका 'फल' भी मिला और उन्‍हें यूपी सरकार में मंत्री बना दिया गया। गौरतलब है कि रामूवालिया, एचडी देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल के नेतृत्‍व वाली केंद्र सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके थे। ऐसे में उनका सपा में आकर एक सूबे की राजनीति तक सीमित होना कई सवाल छोड़ गया।

चुनावों तक जारी रहेगा ऐसे 'बदलावों' का दौर
यूपी की सियासत ने हाल ही में तब नई करवट ली जब पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा कांग्रेस का 'हाथ' छोड़कर सपा की 'साइकिल' पर सवार हो गए। बेनी बाबू एक समय मुलायम के प्रमुख सहयोगी रह चुके हैं। यह बात अलग है कि कांग्रेस में जाने के बाद उन्‍होंने मुलायम के खिलाफ बेहद तीखे शब्‍दों का इस्‍तेमाल किया था। बहरहाल उन्होंने विधानसभा चुनाव पास आते-आते न सिर्फ सपा में 'घर वापसी'  की और यह कहने से भी नहीं चूके कि 'मैं पिछले दो साल से घुटन महसूस कर रहा था'। यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब वे दो साल से कांग्रेस में घुटन महसूस कर रहे थे तो 'साइकिल' पर सवार होने के लिए चुनाव के पहले का ही वक्‍त ही क्‍यों चुना।

एक समय मुलायम के खास सिपहसालार अमर सिंह भी विरोध के बावजूद ससम्मान समाजवादी पार्टी में स्‍थान पा गए हैं। परदा अभी गिरा नहीं है। यूपी चुनाव तक ऐसे 'बदलावों' का दौर जारी रहने वाला है..।

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