विज्ञापन
Story ProgressBack

बर्थडे साथ, दुनिया भी साथ छोड़ी... उत्तराखंड ट्रैकिंग हादसे में मारे गए कर्नाटक के कपल की कहानी रुला देगी

सहस्त्रताल ट्रैक पर जान गंवाने (Uttarakhand Trekking Accident) वाली सुजाता एनजीओ उत्तर कर्नाटक स्ने हा लोका (यूकेएसएल) की ट्रस्टी थीं. वहीं 54 साल के विनायक पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर और कॉमवर्स ग्लोबल के को-फाउंडर थे. वह अपने परिवार में मां और दो बच्चों को पीछे छोड़ गए हैं.

Read Time: 5 mins
बर्थडे साथ, दुनिया भी साथ छोड़ी... उत्तराखंड ट्रैकिंग हादसे में मारे गए कर्नाटक के कपल की कहानी रुला देगी
उत्तराखंड के सहस्त्रताल में कर्नाटक के ट्रैकर के कपल की मौत.
नई दिल्ली:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के 14500 फीट ऊंचे सहस्त्रताल में ट्रैकरों के एक दल का बर्फीले तूफान में फंस गया था, जिसकी वजह से 9 की मौत (Uttarakhand Trekking Accident) हो गई, वहीं 13 को बचा लिया गया. ये ट्रैकर्स कर्नाटक और महाराष्ट्र के थे. मरने वालों में कर्नाटक का एक ऐसा कपल भी शामिल है, जो न सिर्फ अपना बर्थडे शेयर करता था बल्कि मौत भी दोनों को साथ ही आई. सुजाता और विनायक मुंगरवाड़ी, ये वो नाम हैं, जिन्होंने ट्रैकिंग के दौरान बर्फीले तूफान में फंसकर अपनी जान गंवा दी.

वो मंजर कितना भयावह रहा होगा, जब दोनों पति-पत्नी 14500 फीट की ऊंचाई पर बर्फ के बीच फंसे अपने शिव को याद कर रहे होंगे. गलन और कड़कड़ाती सर्दी के बीच उन्होंने एक दूसरे को संभालते हुए एक-एक पल सदी की तरह गुजारा होगा. और दिल में होगी कुछ न कर पाने की कसक. जिस ट्रैक पर दोनों फंसे थे, वहां दूर-दूर तक बर्फ के अलावा कुछ भी नहीं था. उन्हें वो दिन जरूर याद आया होगा जब सुजाता और विनय ने शादी के सात फेरों में साथ जीने-मरने की कसम खाई थी, लेकिन ये तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा, कि मौत इस तरह से उनको गले लगाएगी. अपने अंतिम पलों में दोनों एक साथ होंगे और आस-पास में सन्नाटे के सिवाय कुछ भी नहीं रहेगा. उस पल में कभी विनय ने सुजाता को संभाला होगा, तो कभी सुजाता विनय को ढांढस बंधा रही होगी. लेकिन हालात के सामने दोनों ही इतने विवश, कि कुछ कर नहीं सकते और अचानक सब कुछ शांत हो गया. एक साथ बर्थडे शेयर करने वाले पति-पत्नी एक साथ दुनिया से भी रुखसत हो गए. 

Video : ट्रैकिंग हादसे की होगी मजिस्ट्रेट जांच

ये भी पढ़ें-बर्फ में खो गए थे वे... उत्तराखंड में कहां फंस गए थे 9 ट्रैकर, वीडियो देख हैरान रह जाएंगे

एक साथ जन्मदिन और एक ही दिन आई मौत

इस कपल का जन्मदिन एक ही दिन होता था. खास बात यह है कि मौत भी उन्होंने साथ ही देखी. उनके एक दोस्त ने बताया कि दोनों एक दूसरे के लिए बहुत मायने रखते थे. अगर सुजाता और विनायक के पास एक दूसरे को बचाने का मौका मिलता, तो वह अपनी जान की बाजी लगा देते.सहस्त्रताल में जान गंवाने वाले सुजाता और विनायक के दोस्तों ने बताया कि दोनों की मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई थी. दोनों का जन्मदिन एक ही दिन 3 अक्टूबर को आता था और मौत भी दोनों ने साथ ही देखी. 51 साल की सुजाता एनजीओ उत्तर कर्नाटक स्ने हा लोका (यूकेएसएल) की ट्रस्टी थीं. वहीं 54 साल के विनायक पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर और कॉमवर्स ग्लोबल के को-फाउंडर थे. वह अपने परिवार में मां और दो बच्चों को पीछे छोड़ गए हैं. उनकी 28 साल की एक बेटी अदिति, स्टार्टअप के लिए काम कर रही है. वहीं 21 साल का बेटा ईशान एक इंजीनियरिंग छात्र है.

सुजाता और विनायक की अनगिनत यादें

यूकेएसएल के सचिव प्रकाश राजगोली ने बताया कि सुजाता और विनायक के साथ गुजरे हुए दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि उन सभी ने एक साथ हुबली में बीवी भूमरद्दी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. उनकी अनगिनत यादें एक साथ जुड़ी हैं. उन्होंने न सिर्फ बाढ़ पीड़ितों के लिए साथ मिलकर काम किया बल्कि साल 2019 में उत्तरी कर्नाटक में बाढ़ के समय मिलकर पीड़ितों को जरूरी सामान भी पहुंचाया. कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने जरूरतमंदों को फेस शील्ड, मास्क और दवाएं बांटीं. प्रकाश राजगोली ने बताया कि सुजाता को दूसरों की मदद करने में खुशी मिलती थी.

सहस्त्रताल से बचाए गए ट्रैकर्स.

सहस्त्रताल से बचाए गए ट्रैकर्स.

कपल का साथ मरना नियति थी शायद

प्रकाश राजगोली ने बताया कि सुजाता और विनायक को पर्यावरण संबंधी मुद्दों से बहुत लगाव था. दोनों ही विश्व पर्यावरण दिवस को बहुत ही उत्साह से मनाते थे और यूकेएसएल सदस्यों के साथ पौधे लगाते थे. सुजाता और विनायक दोनों ही भगवान शिव और माता पार्वती के भक्त थे. वह इस साल दो बार आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम मंदिर भी गए थे. 

वहीं सुजाता के एक अन्य क्लासमेट गंगाधर वली ने विनायक को याह करते हुए बताया कि वह एक प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं. विनायक गोल्ड मैडल विनर थे.ऐसा लगता है कि दोनों का एक साथ मरना नियति थी, क्यों कि दो लोगों के ट्रैकिंग की यात्रा रद्द करने के बाद वह ट्रैकर्स के दल में शामिल हुए थे. मतलब साफ है कि अगर वह ट्रैकिंग के लिए नहीं गए होते तो आज जीवित होते. आज दोनों के शव उनके घर पहुंचने की उम्मीद है. 

ये भी पढ़ें-Explainer: ओले, ठंड, बारिश... चट्टानों में काटी रात, उत्तराखंड में कैसे मर गए 9 ट्रैकर!

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
भगदड़, चीखें...27 लोगों की मौत! आखिर हाथरस में कैसे हुआ इतना बड़ा हादसा?
बर्थडे साथ, दुनिया भी साथ छोड़ी... उत्तराखंड ट्रैकिंग हादसे में मारे गए कर्नाटक के कपल की कहानी रुला देगी
बारिश और बल्ला, जानें 88 और 89 साल के कौन से 2 रिकॉर्ड टूट गए!
Next Article
बारिश और बल्ला, जानें 88 और 89 साल के कौन से 2 रिकॉर्ड टूट गए!
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;