उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सहस्त्रताल में 22 सदस्यीय ट्रैकरों (Uttarakhand Trekkers Rescue Operation) का एक दल बर्फीले तूफान की चपेट में आकर रास्ता भटक गया था. ठंड की वजह से 9 की मौत हो गई वहीं 13 को बचा लिया गया. जैसे ही प्रशासन को ट्रैकरों के फंसे होने की जानकारी मिली, राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था. वायुसेना के हेलीकॉप्टर जीता और चेतक बुधवार से ही रेक्स्यू में जुटे हुए थे. बर्फ से ढके 14500 फीट ऊंचे सहस्त्रताल से वायुसेना के लिए रेस्क्यू कितना मुश्किल रहा होगा, इसका अंदाजा वीडियो देखकर ही लगाया जा सकता है.
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ट्रैकरों के रेस्क्यू ऑपरेशन का वीडियो
वायुसेना के रेस्क्यू ऑपरेशन का वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि हेलीकॉप्टर से जवान बर्फीली पहाड़ी पर उतरते हैं और शवों को लेकर जाते हैं. वायुसेना ने बर्फ में फंसे ट्रैकरों को आखिरकार ढूंढ ही निकाला. 13 को बचाकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया. तो वहीं 9 मृतकों में से 5 के शव पहले ही ढूंढ निकाले थे, चार शवों का आज पता लगाया.
Working tirelessly since yesterday, #IAF Cheetah and Mi 17 IV helicopters successfully retrieved the mortal remains of remaining four trekkers today.
— Indian Air Force (@IAF_MCC) June 6, 2024
The survivors of the mishap have also been airlifted to the nearest medical centre for further care and recuperation. The rescue… pic.twitter.com/7djMp2L097
सहस्त्रताल में खत्म हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन
ट्रैक से सुरक्षित बाहर निकाले गए लोगों को हेलीकॉप्टर की मदद से हवाई मार्ग के पास चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया. वहीं आज बचे हुए शवों को निकालने के बाद कल से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन भी समाप्त हो गया है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सहस्त्रताल ट्रैक पर जान गंवाने वाले ट्रैकर्स कर्नाटक के हैं. एसडीआरएफ ने बताया कि उनकी बचाव टीम ने हेलीकॉप्टर के जरिए चारों शवों को उत्तरकाशी के पास भटवाड़ी पहुंचाया. इसी के साथ सहस्रताल ट्रैक पर जारी बचाव अभियान खत्म हो गया. चारों मृतक बेंगलुरु से थे. उनकी पहचान वेंकटेश प्रसाद (53), पदनाथ कुंडापुर कृष्णामूर्ति (50), अनीता रंगप्पा (60) और पद्मिनी हेगड़े (34) के रूप में हुई है.
तूफान से रास्ता भटक गय था ट्रैकरों का दल
मल्ला-सिल्ला-कुशकल्याण-सहस्त्रताल पर ट्रैकिंग पर गया कर्नाटक और महाराष्ट्र के ट्रैकर का 22 सदस्यीय दल तीन जून को अचानक आए बर्फीले तूफान की चपेट में आने की वजह से रास्ता भटक गया था. बहुत ज्यादा ठंड की वजह से 9 लोगों की मौत हो गई. पांच शवों को बुधवार को बाहर निकाल लिया गया था जिनमें चार महिलाएं थीं. चार शव आज बाहर निकाले गए हैं.
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि 4100-4400 मीटर की उंचाई पर मौजूद ट्रैक पर दल के कुछ सदस्यों की मौत होने तथा अन्य के फंसे होने की सूचना चार जून की शाम को मिली जिसके बाद जमीनी और हवाई बचाव अभियान की तैयारियां शुरू की गईं. इस ट्रैकिंग दल में 10 महिलाएं भी थीं.
आज 4 शव निकाले गए, कल निकाले गए थे 5 शव
भारतीय वायु सेना, राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) और निजी हेलीकॉप्टर की मदद से बुधवार को पांच शवों को बाहर निकाले जाने के अलावा 11 अन्य ट्रैकर को सुरक्षित नीचे पहुंचाया, जबकि अन्य दो स्वयं पैदल चलते हुए एसडीआरएफ की टीम के साथ सिल्ला गांव पहुंचे. ऊंचे हिमालयी क्षेत्र में मौसम खराब की वजह से रेक्स्यू ऑपरेशन में परेशानियां आईं. साथ ही 35 किलोमीटर लंबे इस दुरूह ट्रैक में जमीनी दलों को भी घटनास्थल तक पहुंचने में समय लगा.
बता दें कि उत्तरकाशी के मनेरी में ‘हिमालयन व्यू ट्रैकिंग एजेंसी' ने इस दल को 29 मई को उत्तरकाशी से रवाना किया था, जिसमें कनार्टक के 18 और महाराष्ट्र के एक ट्रैकर के अलावा तीन स्थानीय गाइड भी शामिल थे. इस ट्रैकिंग दल को सात जून तक वापस लौटना था लेकिन मौसम खराब होने से यह दल रास्ता भटक गया. संबंधित ट्रैकिंग एजेंसी द्वारा खोजबीन करने पर दल के कुछ सदस्यों की मृत्यु होने तथा अन्य के फंसे होने का पता चला.
ट्रैकर ने जताया उत्तराखंड सरकार का आभार
सुरक्षित बचाए गए एक ट्रैकर ने उत्तराखंड सरकार का आभार प्रकट करते हुए कहा कि सरकार ने उन्हें बचाने के लिए त्वरित कदम उठाए.उन्होंने कहा, "सरकार ने समय से एसडीआरएफ की टीम को भेजा जिसने हमें बाहर निकाला. हमारा रहने और खाने का इंतजाम किया जिसके लिए हम हमेशा उनके ऋणी रहेंगे."
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