
- धराली में आई आपदा के बाद से ही रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. क्षेत्र अब भी काफी हद तक संपर्क से कटा हुआ है
- धराली हादसा में 274 लोगों को बचाया गया है. राहत कार्य में 814 रेस्क्यू कर्मी जुटे हुए हैं.
- धराली के पड़ोसी गांव मुखबा की एक महिला ने हादसे को याद करते हुए कहा कि कुछ ही पल में सब कुछ तहस-नहस हो गया.
Dharali Cloud Burst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में आई आपदा के बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. मलबे में फंसे लोगों को सकुशल निकालने के लिए सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं. वहीं जिन लोगों ने अपनी आंखों से ये दर्दनाक हादसा देखा है, उनकी रूह अभी भी वो तबाही का मंजर याद कर कांप रही है. NDTV से बात करते हुए धराली के पड़ोसी गांव मुखबा में रहने वाली एक महिला ने अपनी आपबीती सुनाई और बताया कैसे उनकी आंखों के सामने ही सबकुछ तबाह हो गया.

महिला ने मंगलवार दोपहर को आई बाढ़ के मंजर को याद करते हुए कहा कि सब लोग मंदिर के लिए तैयार हो रहे थे. बाढ़ सब कुछ बहकर ले गई. एकदम से सैलाब आ गया. सिर्फ वहीं लोग बचे जो मंदिर में थे. बहुत दर्दनाक था. रात को कोई सो नहीं पाया, कल भी किसी को नींद नहीं आई. सब कुछ तहस-नहस हो गया, खड़े मकान बह गए. रात को 8 बजे तक बाढ़ आती रही, अपने साथ खूब मलबा लाई.

मुखबा गांव के ही एक अन्य चश्मदीद बुजुर्ग सुभाष चंद्र सेमवाल ने बताया कि खीर गंगा में सैलाब को हमने अपनी आंखों से बढ़ता हुआ देखा. जोर-जोर से चिल्लाकर धराली गांव वालों को सावधान करना चाहा, लेकिन कुछ ही सेकेंड में सब तबाह हो गया.
बहुत ही भयावह मंजर था
इस आपदा में घायल हुए मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए. मरीज अमरदीप सिंह ने बताया कि मैं अपने कैंप में लेटा हुआ था. अचानक से ही धमाके की आवाज आई. मुझे लगा कि आर्मी की ओर से कोई शूटिंग की गई होगी, क्योंकि आमतौर पर आर्मी की ओर से इस तरह की शूटिंग की जाती है. लेकिन, जब मैं बाहर निकला, तो पता लगा कि यह बादल फटने की आवाज थी. हम लोग बहुत मुश्किल से भागकर अपनी जान बचा पाने में सफल हुए. वह बहुत ही भयावह मंजर था. हमारे जवानों ने पूरी कोशिश की कि सभी को बचाया जाए.
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