सीआईए द्वारा हाल ही में सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से यह बात पता चली है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एक वक्त अमेरिका को लगा था कि बांग्लादेश बनने के बाद भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कब्जा कर लेगा. अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा हाल ही में सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से यह बात पता चली है.
इस दस्तावेजों के मुताबिक, बांग्लादेश बनाने का भारत का अभियान पूरा होने के बाद अमेरिका ने सोचा था कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कब्जे के लिए पश्चिम पाकिस्तान पर हमले का आदेश दे सकती हैं.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1971 में भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से को पड़ोसी देश से अलग कर बांग्लादेश के गठन में अहम भूमिका अदा की थी. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की रिपोर्टों के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर वॉशिंगटन में उच्च-स्तरीय बैठकें हुईं. इन मीटिंग्स के के ब्योरे के मुताबिक, यह साफ था कि भारत की तरफ से पश्चिम पाकिस्तान की सैन्य ताकत को तबाह करने के हालात से निपटने के लिए अमेरिका रणनीति तैयार करने में जुटा था.
इस बाबत अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी ए किसिंजर ने कई संभावनाओं पर चर्चा भी की थी. हालांकि वॉशिंगटन में कुछ आला सुरक्षा अधिकारियों को यह भलगा था कि भारत की तरफ से पश्चिमी पाकिस्तान पर हमला करने की संभावनाएं बहुत कम हैं. इन दस्तावेजों के मुताबिक, वॉशिंगटन के स्पेशल एक्शन ग्रुप (एसएजी) की एक बैठक में सीआईए के तत्कालीन निदेशक रिचर्ड होम्स ने कहा था कि 'यह बताया गया है कि मौजूदा कार्रवाई को खत्म करने से पहले श्रीमती इंदिरा गांधी पाकिस्तान के हथियारों और वायुसेना की क्षमताओं को खत्म करने की कोशिश करने पर विचार कर रही हैं'.
दरअसल, पिछले सप्ताह ही सीआईए ने करीब एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों को सार्वजनिक किया है. भारत संबंधी खुलासों का ये दस्तावेज उन्हीं में शामिल हैं.
इन दस्तावेजों के मुताबिक, 'निक्सन ने पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध के हालात में आर्थिक सहायता बंद करने की चेतावनी दी थी, लेकिन अमेरिकी प्रशासन को पता ही नहीं था कि इसे लागू कैसे करना है'. 17 अगस्त 1971 को शीर्ष रक्षा एवं सीआईए अधिकारियों की एक बैठक में किसिंजर ने कहा था, 'राष्ट्रपति और विदेश मंत्री दोनों ने भारतीयों को चेताया है कि युद्ध की स्थिति में हम आर्थिक सहायता बंद कर देंगे... लेकिन क्या हमें इसका मतलब पता है? किसी ने इसके नतीजों पर गौर नहीं किया है या सहायता बंदी लागू करने के मतलब का पता नहीं लगाया है'. तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसिंजर इस बात से भी नाखुश थे कि सीआईए के पास इस बाबत पर्याप्त सूचना नहीं थी कि चीनी, भारतीय और पाकिस्तानी क्या करने वाले हैं. बैठक के ब्योरे के मुताबिक, किसिंजर क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए चीन और सोवियत संघ की मदद लेने के लिए तैयार थे. (इनपुट भाषा से भी)
इस दस्तावेजों के मुताबिक, बांग्लादेश बनाने का भारत का अभियान पूरा होने के बाद अमेरिका ने सोचा था कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कब्जे के लिए पश्चिम पाकिस्तान पर हमले का आदेश दे सकती हैं.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1971 में भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से को पड़ोसी देश से अलग कर बांग्लादेश के गठन में अहम भूमिका अदा की थी. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की रिपोर्टों के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर वॉशिंगटन में उच्च-स्तरीय बैठकें हुईं. इन मीटिंग्स के के ब्योरे के मुताबिक, यह साफ था कि भारत की तरफ से पश्चिम पाकिस्तान की सैन्य ताकत को तबाह करने के हालात से निपटने के लिए अमेरिका रणनीति तैयार करने में जुटा था.
इस बाबत अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी ए किसिंजर ने कई संभावनाओं पर चर्चा भी की थी. हालांकि वॉशिंगटन में कुछ आला सुरक्षा अधिकारियों को यह भलगा था कि भारत की तरफ से पश्चिमी पाकिस्तान पर हमला करने की संभावनाएं बहुत कम हैं. इन दस्तावेजों के मुताबिक, वॉशिंगटन के स्पेशल एक्शन ग्रुप (एसएजी) की एक बैठक में सीआईए के तत्कालीन निदेशक रिचर्ड होम्स ने कहा था कि 'यह बताया गया है कि मौजूदा कार्रवाई को खत्म करने से पहले श्रीमती इंदिरा गांधी पाकिस्तान के हथियारों और वायुसेना की क्षमताओं को खत्म करने की कोशिश करने पर विचार कर रही हैं'.
दरअसल, पिछले सप्ताह ही सीआईए ने करीब एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों को सार्वजनिक किया है. भारत संबंधी खुलासों का ये दस्तावेज उन्हीं में शामिल हैं.
इन दस्तावेजों के मुताबिक, 'निक्सन ने पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध के हालात में आर्थिक सहायता बंद करने की चेतावनी दी थी, लेकिन अमेरिकी प्रशासन को पता ही नहीं था कि इसे लागू कैसे करना है'. 17 अगस्त 1971 को शीर्ष रक्षा एवं सीआईए अधिकारियों की एक बैठक में किसिंजर ने कहा था, 'राष्ट्रपति और विदेश मंत्री दोनों ने भारतीयों को चेताया है कि युद्ध की स्थिति में हम आर्थिक सहायता बंद कर देंगे... लेकिन क्या हमें इसका मतलब पता है? किसी ने इसके नतीजों पर गौर नहीं किया है या सहायता बंदी लागू करने के मतलब का पता नहीं लगाया है'. तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसिंजर इस बात से भी नाखुश थे कि सीआईए के पास इस बाबत पर्याप्त सूचना नहीं थी कि चीनी, भारतीय और पाकिस्तानी क्या करने वाले हैं. बैठक के ब्योरे के मुताबिक, किसिंजर क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए चीन और सोवियत संघ की मदद लेने के लिए तैयार थे. (इनपुट भाषा से भी)
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