अकसर कहा जाता है कि अगर आप में किसी चीज को पाने की ललक हो और आप उसके लिए जी तोड़ मेहनत करने को भी तैयार हैं, तो आपको उस चीज को हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है दिल्ली पुलिस में बतौर हेड कॉन्सटेबल कार्यरत राम भजन ने. उन्होंने इस बार यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की है. राम भजन ने ये सफलता दिल्ली पुलिस में ड्यूटी करते हुए हासिल की है. NDTV से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि शुरू में लगता था कि ये मुकाम हासिल करना मुश्किल है लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी और मुझे ड्यूटी के बाद जो भी समय मिलता था उसे कभी बर्बाद नहीं होने दिया. आइये जानते हैं राम भजन ने NDTV से खास बातचीत में और क्या कुछ कहा...
आप दिल्ली पुलिस में हेड कॉनस्टेबल हैं , आपने इस परीक्षा के लिए कैसे की तैयारी?
ड्यूट के बाद जितना भी समय मिलता था मैं उसे बर्बाद नहीं करता था, निरंतरता बनाए रखता था. मैंने तैयारी के लिए हर दिन 7-8 घंटे निकाले. और जैसे ही परीक्षा की तारीख नजदीक आई तो मैंने छुट्टी ली.
दिल्ली पुलिस की नौकरी भी काफी कठिन है, दिन रात लगे रहना होता है समय कैसे निकाला? आपको छुट्टी देने के लिए सीनीयर्स कैसे माने ?
तैयारी के दौरान मुझे डिपार्टमेंट और खासकर सीनियर्स का काफी सपोर्ट मिला. छुट्टी मिल जाती थी परीक्षा से पहले. कई बार ऐसा होता था कि नहीं मिली छुट्टी तो वो अटेम्प्ट मेरा रह जाता था. फाइनली इस बार मैंने परीक्षा निकाली. सबका सपोर्ट मिला.
आपने इतने 6-7 अटेमप्ट के बाद पेपर देना नहीं छोड़ कुछ अपने विषयों के बारे में बताएं, कैसे आपने तय किया कि इन्हीं विषयों के बारे में पढ़ना है ?
मैंने सिलेबस को देखते हुए किताबें चुनी और लगातार पढ़ाई की, कई किताबों को 17-18 बार पढ़ा. बार बार अध्यन किया हर रोज़ पढ़ा. राइटिंग की प्रेक्टिस की. एजुकेशनल एबिलीटी पर काम किया.
क्या आपको अपने ऊपर भरोसा था या लोग भरसा दिलाते थे, कि इतने अटेमप्ट हो गए लगे रहो?
मुझे भरोसा था कि कर पाउंगा, मैंने सोचा था कि अंतिम तक प्रयास करूंगा. और ये भी दिमाग में ठार लिया था कि चाहे जो हो जाए मैं हौसला नहीं हारूंगा.
कुछ अपने परिवार के बारे में बताइए, परिवार का सहयोग ज़रूरी है?
परिवार का पूरा साथ मिला हालांकि परिवार में इस तरहकी समझ नहीं है. लेकिन उनको पता था कि मैं बड़ा अफसर बनना चाहता हूं इसलिए उन्होंने साथ दिया. परिवार में पारिवारिक जिम्मेदारी हैं, पत्नी ने साथ दिया मां ने साथ दिया, मेरे बच्चों की ज़िम्मेदारी संभाली, छुट्टी लेकर मैं घर पर रहता था. परिवार मेरा गांव में हैं, उन्होंने कभी मुझसे समय नहीं मांग, उनका बहुत बड़ा योगदान है.
हेड कॉनस्टेबल से अफसर के रूप में जरनी तय होगी, आप किन चीज़ों को बदलना चाहेंगे? पुलिस में क्या बदलना चाहेंगे? या आम जनता के लिए क्या बदलेंगे ?
मैं पुलिस के लिए वेलफेयर का काम करना चाहूंगा. पुलिस के काम में सुधार हो पुलिस वालों के परिवार को टाइम देने के लिए प्रावधान हो. पब्लिक के लिए देश के लिए नज़रिया बदलूंगा पुलिस के प्रति ह्यूमन बिहेवियर हो और पुलिस भी लोगों के प्रति ह्यूमन बिहेवियर रखें.
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