नेपाल में भूचाल और ऑफ्टर शॉक के बाद हालात और बदतर होते गए हैं। मृतकों की संख्या वहां मौजूद रिपोर्टर्स के मुताबिक 10 हजार भी हो सकती है। हमारे संवाददाता नेपाल के विभिन्न आपदाग्रस्त इलाकों में पहुंचे हुए हैं। खबर लिखे जाने से कुछ देर पहले तक हो रही बारिश के चलते रेस्क्यू का काम प्रभावित हो रहा है।
एनडीटीवी के रिपोर्टर मनीष कुमार ने हमारे चैनल के पैनल से मोबाइल पर हालात बताते हुए कहा कि बारिश के चलते कई बार राहत का काम प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस समय सबके अदंर खौफ है कि आगे क्या होगा.. कहीं ऐसा न हो कि जो बचा है वह भी आगे चला जाए।
मनीष कुमार ने बताया कि एक दिक्कत यह भी है कि कोई कोऑर्डिनेशन करने वाला नहीं है। कोऑर्डिनेशन करने वाला भी हो ताकि राहत समय समय पर जगह जगह पर पहुंचती रहे। उन्होंने बताया कि खाना पीना और दवाओं की जरूरत है... दवा हालांकि मिल रही है लेकिन नेपाल सरकार को डबल मदद चाहिए। इस समय नेपाल को हर चीज कई गुना अधिक चाहिए।
मनीष चूंकि घटना स्थल पर हैं और जगह जगह का दौरा कर रहे हैं, इसलिए वह यह देख पा रहे हैं कि वहां संसाधनों की कितनी कमी है। बकौल मनीष, संसाधनों की कमी से मुश्किल आ रही है.. यह काम 10 दिन में खत्म होने वाला नहीं है और रेस्क्यू काफी दिन चलेगा। यहां तक कि यहां पहुंची NDRF की टीमों के पास इक्विपमेंट्स नहीं हैं। उनके पास मलबों को हटाने के लिए समुचित सामान नहीं है।
उन्होंने बताया कि लोकल लोग काफी परेशान हैं और सिंधुपाल चौक में काफी तबाही मची हुई है। ज्यादातर जगहों पर शव अभी तक दबे हुए हैं और लोग मलबों के नीचे हैं। उन्हें कैसे निकाला जाए, यह अपने आप में चुनौती है।
एनडीटीवी के रिपोर्टर मनीष कुमार ने हमारे चैनल के पैनल से मोबाइल पर हालात बताते हुए कहा कि बारिश के चलते कई बार राहत का काम प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस समय सबके अदंर खौफ है कि आगे क्या होगा.. कहीं ऐसा न हो कि जो बचा है वह भी आगे चला जाए।

मनीष कुमार ने बताया कि एक दिक्कत यह भी है कि कोई कोऑर्डिनेशन करने वाला नहीं है। कोऑर्डिनेशन करने वाला भी हो ताकि राहत समय समय पर जगह जगह पर पहुंचती रहे। उन्होंने बताया कि खाना पीना और दवाओं की जरूरत है... दवा हालांकि मिल रही है लेकिन नेपाल सरकार को डबल मदद चाहिए। इस समय नेपाल को हर चीज कई गुना अधिक चाहिए।
मनीष चूंकि घटना स्थल पर हैं और जगह जगह का दौरा कर रहे हैं, इसलिए वह यह देख पा रहे हैं कि वहां संसाधनों की कितनी कमी है। बकौल मनीष, संसाधनों की कमी से मुश्किल आ रही है.. यह काम 10 दिन में खत्म होने वाला नहीं है और रेस्क्यू काफी दिन चलेगा। यहां तक कि यहां पहुंची NDRF की टीमों के पास इक्विपमेंट्स नहीं हैं। उनके पास मलबों को हटाने के लिए समुचित सामान नहीं है।
उन्होंने बताया कि लोकल लोग काफी परेशान हैं और सिंधुपाल चौक में काफी तबाही मची हुई है। ज्यादातर जगहों पर शव अभी तक दबे हुए हैं और लोग मलबों के नीचे हैं। उन्हें कैसे निकाला जाए, यह अपने आप में चुनौती है।
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