उत्तर प्रदेश में आये दिन हो रहे लिफ्ट से जुड़े हादसों को देखते हुए यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 'लिफ्ट एक्ट 2024' बनाया है. इस एक्ट को जल्द ही विधानसभा में टेबल कर पास कराया जा सकता है. इस बिल के कानून बनने के बाद लिफ्ट को लेकर जवाबदेही तय होगी. साथ ही लिफ्ट लगाने के लिए नए नियम भी मानने होंगे. इस लिफ़्ट एक्ट को योगी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी भी दे दी गई है.
लिफ्ट एक्ट के कानून बनने के बाद लिफ्ट गिरने, बंद होने या लिफ्ट से जुड़ा कोई भी हादसा होने पर बिल्डर और मेंटेनेंस एजेंसी को कार्रवाई के दायरे में लाया जा सकेगा. वहीं नई जगहों पर लिफ़्ट लगाने के लिए भी नए नियम-क़ायदों का पालन ज़रूरी होगा.
लिफ़्ट एक्ट से जुड़ी शर्तें: सूत्र
- तय नियामक संस्था की मंज़ूरी के बिना लिफ़्ट लगाना अवैध होगा.
- लिफ़्ट की नियमित जांच नहीं कराना ग़ैरक़ानूनी होगा.
- लिफ़्ट की जांच करने आए अधिकारी को रोकना ग़ैरक़ानूनी होगा.
- लिफ़्ट हादसों को छुपाने पर 2 साल की सज़ा हो सकती है.
हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में लिफ़्ट से जुड़े कई हादसे हुए हैं. अप्रैल 2023 में नोएडा की एक सोसायटी में लिफ़्ट अटक गई थी. इसमें बच्चे समेत आठ लोग काफी देर तक फंसे रहे. बाद में फ़ायर ब्रिगेड की टीम ने उन्हें निकाला.
सितबंर 2023 में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में निर्माणा के दौरान लिफ़्ट गिर गई. इस हादसे में तो 9 मज़दूरों की मौत हो गई थी. वहीं नवंबर 2023 में नोएडा के एक अस्पताल में सर्विस लिफ़्ट गिर गई, जिसमें चार लोग घायल हो गए. नवंबर 2023 में ही ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटी में लिफ़्ट में 7 बच्चे 20 मिनट तक फंसे रहे, बाद में उन्हें निकाला गया. दिसंबर 2023 में ही नोएडा सेक्टर 126 में एक अपार्टमेंट में लिफ़्ट गिर गई, इस घटना में नौ लोग घायल हो गए.
लिफ्ट और एस्केलेटर के निर्माण में बीआईएस के मानकों का अनुपालन जरूरी
सरकार की ओर से कहा गया है कि लिफ्ट और एस्केलेटर के निर्माण में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के मानकों का अनुपालन अनिवार्य करें. इनकी स्थापना में संबंधित बिल्डिंग कोड एवं अन्य आवश्यक कोड का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाए. लिफ्ट में लोगों की सुरक्षा के लिए स्वचालित बचाव उपकरण लगाना अनिवार्य होना चाहिए, ताकि बिजली आपूर्ति या किसी अन्य खराबी की स्थिति में लिफ्ट के अंदर फंसा व्यक्ति निकटतम तल तक पहुंच जाए और लिफ्ट का दरवाजा अपने आप खुल जाए. लिफ्ट के बाहर संचार के लिए आपातकालीन घंटियां, सीसीटीवी कैमरे, पर्याप्त रोशनी और संचार प्रणाली लगाना भी अनिवार्य होना चाहिए.
फिलहाल उत्तर प्रदेश में इस संबंध में कोई कानून लागू नहीं है, जबकि देश के कई प्रांतों में लिफ्ट अनिधिनियम लागू है. प्रदेश में इस कानून को जल्द से जल्द लागू करने की जरूरत है. कानून के तहत निजी या सार्वजनिक परिसर में नई लिफ्ट और एस्केलेटर लगाने वाले प्रत्येक मालिक के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य किया जाना चाहिए. पहले से स्थापित और संचालित लिफ्ट और एस्केलेटर के लिए भी इसे अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.
इन राज्यों में लागू हैं लिफ्ट ऐक्ट
बता दें कि लिफ़्ट और एस्केलेटर से जुड़े क़ानून गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, असम, झारखंड और हरियाणा में पहले से लागू हैं.
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