
पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस की समस्या...
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किसी दल ने इस मुद्दे को प्रमुखता से नहीं उठाया
जापानी बुखार से हर साल 600 मौतें
बच्चे इस बीमारी का सबसे ज्यादा शिकार
- पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस का पहला मामला 1977 में सामने आया
- इंसेफेलाइटिस का कोई सफ़ल इलाज नहीं
- 2014 में इंसेफेलाइटिस पर राष्ट्रीय प्रोग्राम बना, लेकिन अब तक लागू नहीं हुआ
- सरकारी आकड़ों के मुताबिक हर साल 600 मौतें
- बच्चे होते हैं सबसे ज्यादा पीड़ित
पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर राहुल गांधी और सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक सभी प्रचार में जुटे हैं. लेकिन इस बीमारी को किसी दल या नेता ने प्रमुखता से पेश नहीं किया.
हर साल सैकड़ों बच्चों को मौत की नींद सुला देने वाले इंसेफेलाइटिस की समस्या का निवारण किसी दल के लिए चुनावी मुद्दा नहीं है इसलिए गोरखपुर के डॉ आरएन सिंह ने लोगों के साथ मिलकर इंसेफेलाइटिस को ख़त्म करने के लिए जनता का घोषणा पत्र तैयार किया है. वह प्रचार करने वाले हर नेता को अपना बनाया हुआ घोषणा पत्र बांट रहे हैं. इंसेफेलाइटिस पूर्वांचल में धान के खेतों में होने वाले एक मच्छर से होता है. ज्यादातक मामले अप्रैल से लेकर जुलाई तक सामने आते हैं. सवाल सिर्फ इतना है कि नेताओं के पास कब्रिस्तान से लेकर श्मशान और बिजली तक के मुद्दे हैं. अगर ये राजनीति करने वाले ज़रा-सी मेहनत कर समय से बच्चों को इंजेक्शन लगवा दें तो न जाने कितने ही बच्चों की ज़िंदगी बच सकती है.
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