फाइल फोटो
नई दिल्ली:
हिज्बुल मुजाहद्दीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में तनाव के सौ दिन हो गए. 100 दिन पूरे करने करने वाले तनाव का सबसे खऱाब पहलू यह है कि इसमें 95 के करीब लोगों की जान चली गई और हजारों लोग जख्मी हो गए. साथ ही अब तक करीब कश्मीर को 15 हजार करोड़ रुपये की चपत भी लग चुकी है.
दक्षिणी कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में पिछले आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के बाद कश्मीर घाटी में अलगाववादियों ने जो बंद का ऐलान किया था वो अब तक जारी है. उसने अब 100 दिन पूरे कर कश्मीर में बंद का नया रिकॉर्ड बनाया है. एक अनुमान के मुताबिक कश्मीर की अर्थव्यवस्था को हड़ताल की वजह से रोजाना करीब 120 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
कश्मीर घाटी में पिछले 100 दिनों से जारी हिंसक प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने पत्थरबाजी और भारत विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए हजारों लोगों को गिरफ्तार भी किया है. 4400 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. कम से कम 489 लोगों के खिलाफ पीएसए के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. वैसे ये भी सच है कि कश्मीर में बंद, कर्फ्यू और उससे हुई मौत के कई रिकॉर्ड पहले भी बन चुके हैं.
इस बार जब आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के साथ जो हड़तालों का सिलसिला शुरू हुआ तो सबको आशंका उसी समय होने लगी थी कि इस बार ये सिलसिला लंबा खिंच सकता है. यह डर अब पूरी तरह से सच साबित हो चुका है. लोगों का मानना है कि यदि सरकार कश्मीर के मामले को सुलझाने के लिए कोई ठोस राजनीतिक पहल नहीं करती है तो हालात इतने खराब ना हो जाएं कि उसमें सुधार की उम्मीद ही खत्म हो जाए.
दक्षिणी कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में पिछले आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के बाद कश्मीर घाटी में अलगाववादियों ने जो बंद का ऐलान किया था वो अब तक जारी है. उसने अब 100 दिन पूरे कर कश्मीर में बंद का नया रिकॉर्ड बनाया है. एक अनुमान के मुताबिक कश्मीर की अर्थव्यवस्था को हड़ताल की वजह से रोजाना करीब 120 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
कश्मीर घाटी में पिछले 100 दिनों से जारी हिंसक प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने पत्थरबाजी और भारत विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए हजारों लोगों को गिरफ्तार भी किया है. 4400 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. कम से कम 489 लोगों के खिलाफ पीएसए के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. वैसे ये भी सच है कि कश्मीर में बंद, कर्फ्यू और उससे हुई मौत के कई रिकॉर्ड पहले भी बन चुके हैं.
इस बार जब आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के साथ जो हड़तालों का सिलसिला शुरू हुआ तो सबको आशंका उसी समय होने लगी थी कि इस बार ये सिलसिला लंबा खिंच सकता है. यह डर अब पूरी तरह से सच साबित हो चुका है. लोगों का मानना है कि यदि सरकार कश्मीर के मामले को सुलझाने के लिए कोई ठोस राजनीतिक पहल नहीं करती है तो हालात इतने खराब ना हो जाएं कि उसमें सुधार की उम्मीद ही खत्म हो जाए.
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