इस बार का बजट काफी अच्छा है. अगर फिसिकल डेफिसिट का आंकड़ा देखें तो वो जीडीपी का 4.9 प्रतिशत है. उम्मीद थी 5.1 प्रतिशत की, लेकिन उससे कम है. एक साल के अंदर जीडीपी का लगभग 0.9 प्रतिशत बहुत बड़ा रिडक्शन इन डेफिसिट है, जो इंबेसाज किया जा रहा है. कोविड का साल अगर छोड़ दें तो 2013 से लेकर अभी तक इतना ज्यादा डेफिसिट रिडक्शन कभी नहीं देखा गया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा है कि हमें अगले साल भी डेफिसिट कम करना है और देश के कर्ज को सबसे निचले स्तर पर लेकर आना है. इसीलिए स्थिरता से लेकर प्रभावी बजट तक मैं बजट को 10 में से 10 नंबर दूंगी.
बजट काफी संतुलित है. इसमें एमएसएमई, कृषि और जो पिछड़े प्रदेश हैं उनकी प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने के लेकर खास ध्यान रखा गया है. ये नहीं है कि सिर्फ तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है या ग्रोथ बढ़ाना है, लेकिन साथ में संतुलित बनाकर भी आगे बढ़ना है, जो बजट में अच्छी चीज है.
अगर देश पर कर्ज का बोझ कम होगा, उसे चुकाने में इनकम का कम से कम प्रतिशत खर्च होगा, तो मिडिल क्लास ही नहीं देश के हर एक वर्ग को इससे फायदा होगा. तो ऐसे में इसे अलग-अलग वर्ग को लेकर नहीं सोचकर, व्यापक तौर पर सोचना चाहिए.
(डिस्क्लेमर- प्राची मिश्रा IMF, SID की पूर्व प्रमुख हैं)
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