सलमान रुश्दी (Salman Rashdie) पर हमले से स्तब्ध साहित्य जगत ने बुकर पुरस्कार (Booker Prize) से सम्मानित लेखक के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखने पर जोर दिया है. मुंबई में जन्मे विवादास्पद लेखक रुश्दी को ‘‘द सैटेनिक वर्सेज'' (The Satanic Verses) की रचना करने के बाद कई वर्षों तक इस्लामी चरमपंथियों से जान से मारने की धमकियों का सामना करना पड़ा. उन्हें शुक्रवार को अमेरिका के न्यूयॉर्क में 24 वर्षीय एक युवक ने एक कार्यक्रम में चाकू मार दिया. ‘इंटरनेशनल बुकर प्राइज' से सम्मानित होने वाले लेखकों में शामिल होने वालीं पहली भारतीय गीतांजलि श्री ने रुश्दी पर हमले को ‘‘अक्षम्य और अमानवीय'' कृत्य करार दिया. गीतांजलि ने कहा, ‘‘मानवता कहां जा रही है? यह संकट का दिन, शर्म का दिन है. हम लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के इस मुखर समर्थक के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करते हैं. हिंसा को मतभेद से निपटने का तरीका नहीं बनने देना चाहिए.''
पिछले महीने गीतांजलि के उपन्यास ‘‘रेत समाधि'' की सामग्री पर विवाद के बाद आगरा में उन्हें सम्मानित करने का एक कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था. उल्लेखनीय है कि ‘रेत समाधि' के अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड' के लिए उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. रुश्दी पर हमले के मकसद का अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन संदेह जताया जा रहा है कि यह हमला 1988 में प्रकाशित उनके विवादास्पद उपन्यास ‘‘द सैटेनिक वर्सेज'' से जुड़ा हुआ है. रुश्दी को इस पुस्तक के लिए ‘व्हिटब्रेड बुक अवार्ड' मिला था. हालांकि, पुस्तक के प्रकाशित होने के बाद उपजे विवाद के कारण उन्हें नौ साल तक छिप कर रहना पड़ा क्योंकि कई मुसलमानों ने उसकी विषयवस्तु को ईशनिंदा माना था.
पुस्तक के प्रकाशन के एक साल बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्ला खामैनी ने ईशनिंदा करने वाली पुस्तक को प्रकाशित करने को लेकर रुश्दी को मौत की सजा देने का आह्वान किया. रुश्दी को 1980 के दशक के बाद से उनके लेखन के लिए ईरान से कई बार जान से मारने की धमकी मिली. ईरान ने रुश्दी की हत्या करने वाले शख्स को 30 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम देने की घोषणा की. राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत भारत ने इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था. रुश्दी ने जिस खतरे का सामना किया, उसी तरह निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन को भी धमकियों का सामना करना पड़ा.
अपनी किताब ‘‘लज्जा'' पर प्रतिबंध और बाद में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए फतवे का सामना करने के बाद नसरीन (59) पिछले 27 वर्षों से निर्वासन में रह रही हैं. उन्होंने रुश्दी पर हमले की निंदा करते हुए कई ट्वीट किए. उन्होंने दुनिया भर में इस्लाम की आलोचना करने वाले किसी भी व्यक्ति के जीवन के लिए खतरे की आशंका जताई. नसरीन ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे पता चला है कि न्यूयॉर्क में सलमान रुश्दी पर हमला किया गया. मैं स्तब्ध हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा. वह पश्चिमी देश में रह रहे हैं, और उन्हें 1989 से सुरक्षा मिली हुई है. अगर उन पर हमला हो सकता है तो इस्लाम की आलोचना करने वाले किसी पर भी हमला हो सकता है. मैं बेहद चिंतित हूं.''
जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) के प्रोड्यूशर संजय के. रॉय ने कहा, ‘‘यह लेखक पर नहीं बल्कि सभ्यता पर हमला है और यह किसी व्यक्ति के उस खतरे को प्रदर्शित करता है, जो स्वीकार्य से अलग विमर्श प्रस्तुत करने के कारण है.'' रुश्दी की प्रस्तावित यात्रा और उसके बाद विरोध प्रदर्शनों को लेकर 2012 में जेएलएफ काफी चर्चा में रहा था. रॉय ने कहा, ‘‘हिंसा स्वीकार्य हो गई है, चाहे वह अमेरिका, यूरोप या कहीं भी हो, और यह दुखद है.''
कैसे ‘‘राजनीति, हिंसा और भीड़ की मानसिकता'' ने 2012 में जेएलएफ में रुश्दी को शामिल करना उनके लिए असंभव बना दिया, इसे याद करते हुए जेएलएफ की सह-निदेशक और प्रसिद्ध लेखिका नमिता गोखले ने कहा कि रुश्दी की पुस्तकों का समकालीन दक्षिण एशियाई लेखन पर असर रहा है और ‘‘यह बर्बर कृत्य (उन पर हुआ हमला) उनकी रचनात्मक आवाज को खामोश नहीं कर सकता.'' रुश्दी ने 2007 में जेएलएफ में शिरकत की थी और 2012 में भी समारोह में भाग लेने वाले थे लेकिन आयोजन की मेजबानी कर रहे राजस्थान को मुस्लिम संगठनों के विरोध और खुफिया सूचनाओं का हवाला देते हुए पीछे हटना पड़ा. जेएलएफ को धमकियां मिलने के बाद वीडियो के जरिए उनके पूर्व निर्धारित संबोधन को भी रद्द करना पड़ा.
लेखक नील गैमन ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे पूरी उम्मीद है कि सलमान रुश्दी आगे बढ़ेंगे. वह मजाकिया, प्रतिभाशाली शख्स हैं. उन्होंने काफी बेहतरीन किताबें लिखी हैं और मैं चाहता हूं कि जो लोग सोचते हैं कि वे उससे नफरत करते हैं, वे उनके शब्दों को पढ़ेंगे. (आप सलमान से नफरत नहीं करते, जो एक वास्तविक व्यक्ति हैं. आप अपने दिमाग में किसी से नफरत करते हैं जिसका कोई वजूद नहीं है.)''
पब्लिकेशन हाउस ‘जगरनॉट बुक्स' की चिकी सरकार और ‘पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया' की मेरु गोखले ने भी रुश्दी पर हमले की निंदा की. गोखले ने कहा, ‘‘हम इस भयानक हमले से उबरकर सलमान रुश्दी के जल्द ठीक होने की कामना करते हैं. यह हमला ऐसे समय हुआ जब वह सार्वजनिक रूप से पाठकों के साथ जुड़ रहे थे.''
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