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This Article is From Sep 25, 2022

बेरोजगारी का ये आलम: कलेक्टर और इंजीनियर बनने की चाह रखने वाले पहुंचे चपरासी का एग्जाम देने

सरकारी दावे के अनुसार छत्तीसगढ में बेरोजगारी दर 0.4 प्रतिशत है. जबकि देश में औसत बेरोजगारी दर 6.9 प्रतिशत है.

बेरोजगारी का ये आलम: कलेक्टर और इंजीनियर बनने की चाह रखने वाले पहुंचे चपरासी का एग्जाम देने
फाइल फोटो
छत्तीसगढ़:

छत्तीसगढ़ में पहली बार पीएससी (PSC) के जरिए 91 चपरासियों की भर्ती के लिये रविवार को परीक्षा आयोजित की गई. एक्जाम के लिए प्रदेश भर में 657 परीक्षा केंद्र बनाये गए. चपरासी पद के लिए हुई इस परीक्षा में सवा दो लाख से ज्यादा परीक्षार्थी शामिल हुए, जबकि राज्य सरकार का दावा है कि प्रदेश में बेरोजगारी दर देश में सबसे कम 0.4 प्रतिशत है.

महासमुंद के रहने वाले मनोज कुमार पटेल किसान परिवार से हैं, ग्रेजुएशन हो गया है. डिप्टी कलेक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन बेरोजगारी को देखते हुए अब चपरासी भी बनने को तैयार हैं. मनोज ने कहा कि साइंस का स्टूडेंट हूं, डिप्टी कलेक्टर के लिए पीएससी की तैयारी कर रहा हूं, लेकिन बेरोजगारी बढ़ रही है इसलिए चपरासी बनने के लिये एग्जाम दे रहा हूं.

वहीं, एक अन्य परीक्षार्थी सौरभ चंद्राकर जिसने 10वीं में 83 प्रतिशत और 12वीं में 84 प्रतिशत अंक हासिल किया. घर वाले चाहते थे बेटा इंजीनियर बनकर अच्छी जगह जॉब करे. बेटे ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन से इंजीनियरिंग की. लेकिन छत्तीसगढ़ में जॉब नहीं मिलने की स्थिति में अब चपरासी बनने के लिये परीक्षा दे रहे हैं. सौरभ ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी है. इलेक्ट्रॉनिक्स टेलीकॉम वालों के लिये तो यहां कोई जॉब नहीं है. प्राइवेट से ज्यादा सरकारी नॉकरी अच्छी है.

धरसींवा ब्लॉक की नर्मदा चक्रधारी के पिता मजदूरी करते हैं. लेकिन बिटिया को हिंदी में एमए कराया. उम्मीद रही होगी, अच्छी नौकरी मिलेगी. लेकिन नौकरी बढ़ने की बजाय कम हो रही है. अच्छा रोजगार नहीं मिलने की वजह से नर्मदा अब चपरासी बनना चाहती है. नर्मदा ने कहा मैं हिंदी में एमए कर चुकी हूं. बीएड, टीइटी, महिला विकास समेत कई एग्जाम दिए हैं. बेरोजगारी की वजह से ये चपरासी का एग्जाम दे रहे हैं, परिवारवाले चाहते हैं कि कोई जॉब मिल जाये.

सरकारी दावे के अनुसार छत्तीसगढ में बेरोजगारी दर 0.4 प्रतिशत है. जबकि देश में औसत बेरोजगारी दर 6.9 प्रतिशत है.

एक हफ्ते पहले इन्द्रावती भवन स्थित खाद्य विभाग में ड्राइवर के पद पर कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी योगेश वानखेड़े ने आत्महत्या कर ली थी, परिवार का कहना है कि कोर्ट से केस जीतने पर भी प्रशासनिक लापरवाही से परेशान थे. मृतक की पत्नी सरस्वती वानखेड़े ने कहा कि वह हमारे घर में एकमात्र कमाने वाले थे, उनके सहारे हमारा घर चलता था. उनके ऊपर कार्रवाई हुई थी, उस पर केस हुआ था. उसे जीत भी गए थे. उनके ऑफिस में एक जायसवाल जी हैं, उनकी ज्वाइनिंग लेटर में साइन नहीं कर रहे थे. हर दिन जाते थे, जिसकी वजह से बहुत ज्यादा परेशान थे.

रायपुर ग्रामीण के एडिशनल एसपी कीर्तन राठौर ने कहा कि दैनिक वेतन भोगी खाद्य विभाग में ड्राइवर के पद पर कार्य कर रहा था और उनमें कुछ गलती विभाग के द्वारा पाए जाने पर फरवरी 2021 में सेवा से पृथक कर दिया था. जिसके बाद से योगेश वानखेड़े लगातार परेशान था. श्रम न्यायालय में आवेदन दिया गया था. प्रकरण चल रहा है. एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें नौकरी से निकाले जाने से माली हालत खराब होने का जिक्र किया है. जांच की जा रही है.

इधर विपक्ष भी रोजगार को लेकर सरकार को घेर रहा है. बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि भूपेश सरकार प्राइवेट संस्था से बेरोजगारी के आंकड़े जारी करती है, अगस्त में 0.4 प्रतिशत है. सितंबर में ढाई लाख पीएससी के आवेदन को देख लें तो 0.4 प्रतिशत से ज्यादा होगा. 1925 उद्योग लगने की बात करते हैं. ये हर क्षेत्र में झूठ के बुनियाद पर टिकी सरकार है.

वहीं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने पलटवार कर कहा कि उनकी सरकार तो नौकरी दे रही है, जबकि केंद्र सरकार ने 2 करोड़ हर साल रोजगार का वादा किया था, लेकिन जहां रोजगार जेनरेशन होता, उसे प्राइवेट करते जा रहे हैं. पीएससी द्वारा एग्जाम लेना सकारात्मक प्रयास है.

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