प्रतीकात्मक तस्वीर
भोपाल:
मध्य प्रदेश से भाजपा के एक सांसद ने यह कह कर विवाद छेड़ दिया है कि 1990 से पहले भारत रत्न उन लोगों को दिया गया, जो इसके हकदार नहीं थे. दरअसल, उसी साल वीपी सिंह की तत्कालीन सरकार ने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को मरणोपरांत इस पुरस्कार से सम्मानित किया था. सागर लोकसभा सीट से सांसद लक्ष्मी नारायण यादव ने सोमवार को कहा कि उन्होंने 14 अप्रैल को इस बात पर जोर देने के लिए यह बयान दिया था कि यह पुरस्कार अंबेडकर को देने से लंबे समय तक टाला गया था. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने भाषण में जिस भाषा का इस्तेमाल किया वह जुबान लड़खड़ाने के चलते हुआ होगा.
गौरतलब है कि यादव ने सागर में 14 अप्रैल को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘वर्ष 1990 से पहले ऐसे लोगों को भारत रत्न दिया गया जो इसके हकदार नहीं थे. उन्होंने कहा था, ‘पहले नाचने वाले, गाने वाले और जो जितना बड़ा बदमाश होता था, वो ये उपाधि उतनी जल्दी ही पा जाता था.’
अपने भाषण में सांसद ने कहा कि देश की जातिवादी मानसिकता के चलते यह पुरस्कार देने में (जिसे उन्होंने देश रत्न बताया) 1990 तक अंबेडकर को टाला गया. उन्होंने कहा था, ‘ठाकुर होने के बावजूद वीपी सिंह (तत्कालीन प्रधानमंत्री) ने देश की अनुसूचित जातियों के साथ हुए अन्याय को ठीक करने की जरूरत को महसूस किया. तब से, अनुसूचित जाति समुदाय गर्व महसूस कर रहा है.’
उन्होंने कहा कि विवाद अनावश्यक है. कार्यक्रम की मेजबानी दलित कर्मचारियों के संगठन ने अंबेडकर जयंती मनाने के लिए की थी. भाषण में इस्तेमाल किए गए शब्द चुनने के बारे में पूछे जाने पर भाजपा सांसद ने कहा कि उनकी भाषा सिर्फ स्थानीय श्रोताओं के लिए थी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
गौरतलब है कि यादव ने सागर में 14 अप्रैल को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘वर्ष 1990 से पहले ऐसे लोगों को भारत रत्न दिया गया जो इसके हकदार नहीं थे. उन्होंने कहा था, ‘पहले नाचने वाले, गाने वाले और जो जितना बड़ा बदमाश होता था, वो ये उपाधि उतनी जल्दी ही पा जाता था.’
अपने भाषण में सांसद ने कहा कि देश की जातिवादी मानसिकता के चलते यह पुरस्कार देने में (जिसे उन्होंने देश रत्न बताया) 1990 तक अंबेडकर को टाला गया. उन्होंने कहा था, ‘ठाकुर होने के बावजूद वीपी सिंह (तत्कालीन प्रधानमंत्री) ने देश की अनुसूचित जातियों के साथ हुए अन्याय को ठीक करने की जरूरत को महसूस किया. तब से, अनुसूचित जाति समुदाय गर्व महसूस कर रहा है.’
उन्होंने कहा कि विवाद अनावश्यक है. कार्यक्रम की मेजबानी दलित कर्मचारियों के संगठन ने अंबेडकर जयंती मनाने के लिए की थी. भाषण में इस्तेमाल किए गए शब्द चुनने के बारे में पूछे जाने पर भाजपा सांसद ने कहा कि उनकी भाषा सिर्फ स्थानीय श्रोताओं के लिए थी.
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