दिल्ली की नई सरकार ने बुधवार से दिल्लीवासियों को घरेलू उपयोग के लिए प्रतिमाह 20 हजार लिटर पानी मुफ्त दिए जाने की घोषणा कर दी है, लेकिन अभी राज्य के 20 प्रतिशत से अधिक परिवारों को पाइपलाइन से पानी नहीं मिलता है।
2011 के जनगणना आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के 8.40 प्रतिशत परिवार ट्यूब वेल से, 5.30 प्रतिशत परिवार हैंडपम्प से, 1.20 परिवार तालाब से और चार प्रतिशत से अधिक परिवार अन्य वैकल्पिक स्रोतों से पेयजल प्राप्त करते हैं।
जनगणना आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 33.41 लाख परिवारों में से 27.16 लाख परिवारों के पास पाइपलाइन कनेक्शन है। 4.61 लाख परिवार ट्यूब वेल एवं हैंड पम्प से और 1.64 लाख परिवार नदी एवं पोखर से पेयजल प्राप्त करते हैं।
दिल्ली जल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के सिर्फ 75.20 प्रतिशत परिवारों को ही शोधित पेयजल (ट्रिटेड वाटर) मिलता है।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के 15.6 प्रतिशत शहरी परिवारों और 29.7 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को पर्याप्त पेयजल नहीं मिलता है क्योंकि पाइपलाइन की सुविधा नहीं है। इनमें झुग्गी झोपड़ियों और जे जे क्लस्टर में रहने वाले परिवार और नयी बसी कालोनी के लोग शामिल हैं।
अप्रैल 2013 में जारी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की 24.8 प्रतिशत आबादी को औसतन प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 3.82 लीटर पेयजल आपूर्ति की जाती है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के ओर से निर्धारित मानक 40 लीटर के औसत से काफी कम है।
कैग के नांगलोई स्थित ट्रीटमेंट प्लांट की समीक्षा करने पर पाया गया कि यहां से अनियमित जलापूर्ति होती है और इसमें प्रतिदिन की आपूर्ति में भारी अंतर पाया गया है। दिल्ली जल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पेयजल के 1,964000 कनेक्शन में से 679000 कनेक्शन में कोई मीटर नहीं है। अर्थात करीब 35 प्रतिशत कनेक्शन बिना मीटर के है। दिल्ली जल बोर्ड ने आठ लाख नए कनेक्शन लगाने की योजना बनाई है।
दिल्ली आर्थिक सर्वे की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 11,350 किलोमीटर जलापूर्ति नेटवर्क है। लेकिन इनमें से एक बड़ा हिस्सा 40.45 वर्ष पुराना है जिसके कारण लगातार मरम्मत की जरूरत पड़ती है।
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