नई दिल्ली:
बादलों को हम देखते हैं, ऐसा लगता है कि हमारे पास उनको लेकर बहुत जानकारी है. लेकिन हकीकत ये है कि बादलों को लेकर वैज्ञानिकों के पास भी कम जानकारी है. पल्लव बागला वहां पहुंचे जहां चारों तरफ बादल हैं और इनके रहस्यों को समझने की कोशिश में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. इसी कोशिश के लिए बनाई गई है हाई ऑल्टीट्यूड क्लाउड फिजिक्स लैबोरेटरी (High Altitude Cloud Physics Laboratory). यहां पर कोई भी बादलों को छू सकता है. ये कोई सामान्य जगह नहीं है. ये एक लैब है बादलों के अध्ययन के लिए.
ये बात आश्चर्यजनक लग सकती है लेकिन वैज्ञानिकों को cloud dynamics के बारे कम ही जानकारी है. तकरीबन 50 करोड़ की इस लैब में बादल उपकरणों को छूते रहते हैं. लैब में दिन-रात इनकी आवाजाही चलती रहती है. पश्चिमी घाट के जंगलों में 1400 मीटर की ऊंचाई पर बनी ये लैब उपकरणों और तकरीबन 40 पैरामीटरों से लैस है.
अरब सागर से आने वाले बादल इन ढलानों पर हर साल तकरीबन 6 मीटर बारिश करते रहे हैं लेकिन इसमें हर साल 8 मिलीमीटर की कमी आ रही है. तो वैज्ञानिक इन बादलों के बारे में क्या पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं बादलों के बारे में जानकारी बढ़ने से मॉनसून के बारे में सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी. बल्कि आगे जाकर इस अध्ययन से भारी बादलों को हल्का करने के तरीके भी पता चल सकते हैं ताकि मुंबई और चेन्नई जैसी भारी बारिश और बाढ़ को टाला जा सके.
VIDEO: बादलों की पहेली से अभी भी अंजान हैं वैज्ञानिक, रहस्यों को समझने की कोशिश जारी
हम इसे पसंद करें या ना करें, बादलों के बारे में वैज्ञानिकों की जानकारियों में धुंधलापन है लेकिन भारतीय वैज्ञानिक इसे हटाने के लिए बड़ी मेहनत कर रहे हैं.
ये बात आश्चर्यजनक लग सकती है लेकिन वैज्ञानिकों को cloud dynamics के बारे कम ही जानकारी है. तकरीबन 50 करोड़ की इस लैब में बादल उपकरणों को छूते रहते हैं. लैब में दिन-रात इनकी आवाजाही चलती रहती है. पश्चिमी घाट के जंगलों में 1400 मीटर की ऊंचाई पर बनी ये लैब उपकरणों और तकरीबन 40 पैरामीटरों से लैस है.
अरब सागर से आने वाले बादल इन ढलानों पर हर साल तकरीबन 6 मीटर बारिश करते रहे हैं लेकिन इसमें हर साल 8 मिलीमीटर की कमी आ रही है. तो वैज्ञानिक इन बादलों के बारे में क्या पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं बादलों के बारे में जानकारी बढ़ने से मॉनसून के बारे में सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी. बल्कि आगे जाकर इस अध्ययन से भारी बादलों को हल्का करने के तरीके भी पता चल सकते हैं ताकि मुंबई और चेन्नई जैसी भारी बारिश और बाढ़ को टाला जा सके.
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हम इसे पसंद करें या ना करें, बादलों के बारे में वैज्ञानिकों की जानकारियों में धुंधलापन है लेकिन भारतीय वैज्ञानिक इसे हटाने के लिए बड़ी मेहनत कर रहे हैं.
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