नई दिल्ली:
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि तंबाकू का सेवन भारत समेत दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है और इसके सेवन से हर घंटे औसतन 150 लोगों की मौत हो जाती है। डब्ल्यूएचओ ने ‘सादी पैकेजिंग’ की वकालत की जिसमें तंबाकू उत्पादों से ब्रांड और प्रचार संबंधी सूचना हटाना अनिवार्य बनाया जाए।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि ‘तंबाकू जान लेता है’ के संदेश को प्रसारित करने के लिए और तंबाकू सेवन की मनोवृत्ति को समाप्त करने के लिए तंबाकू उत्पादों की ‘सादा पैकेजिंग’ को अनिवार्य बनाना एक अच्छा तरीका है।
‘सादा पैकेजिंग’ में तंबाकू के पैकेट से ब्रांड और प्रचार संबंधी जानकारी हटा दी जाती है और उनकी जगह चित्रमय चेतावनी, धुंधले से रंग, एक ब्रांड का नाम और किसी उत्पाद या निर्माता का नाम मानकीकृत प्रारूप में डाला जाता है।
11 देशों में करीब 24.6 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं
दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने ‘वर्ल्ड नो टोबेको डे’ के अवसर पर कहा, ‘‘तंबाकू का सेवन डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र (जिसमें भारत शामिल है) में सार्वजनिक स्वास्थ्य का बड़ा मुद्दा बना हुआ है जहां क्षेत्र के 11 देशों में करीब 24.6 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं और 29 करोड़ से थोड़े कम इसका धुआंरहित स्वरूप में सेवन करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘तंबाकू से हर साल क्षेत्र में 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है, जो 150 मौत प्रति घंटे के बराबर है।’’ पूनम ने कहा कि ‘सादी पैकेजिंग’ का कलात्मक प्रभाव महत्वपूर्ण होता है और अध्ययन बताते हैं कि तंबाकू उत्पादों की इच्छा पर ये प्रभाव डालते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘उच्च आय वाले देशों में धूम्रपान का स्तर कम हो रहा है, वहीं तंबाकू कंपनियां तेजी से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बाजार में मौजूदगी पर निर्भर होती जा रहीं हैं। इस क्षेत्र में दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के देश भी हैं।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि ‘तंबाकू जान लेता है’ के संदेश को प्रसारित करने के लिए और तंबाकू सेवन की मनोवृत्ति को समाप्त करने के लिए तंबाकू उत्पादों की ‘सादा पैकेजिंग’ को अनिवार्य बनाना एक अच्छा तरीका है।
‘सादा पैकेजिंग’ में तंबाकू के पैकेट से ब्रांड और प्रचार संबंधी जानकारी हटा दी जाती है और उनकी जगह चित्रमय चेतावनी, धुंधले से रंग, एक ब्रांड का नाम और किसी उत्पाद या निर्माता का नाम मानकीकृत प्रारूप में डाला जाता है।
11 देशों में करीब 24.6 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं
दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने ‘वर्ल्ड नो टोबेको डे’ के अवसर पर कहा, ‘‘तंबाकू का सेवन डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र (जिसमें भारत शामिल है) में सार्वजनिक स्वास्थ्य का बड़ा मुद्दा बना हुआ है जहां क्षेत्र के 11 देशों में करीब 24.6 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं और 29 करोड़ से थोड़े कम इसका धुआंरहित स्वरूप में सेवन करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘तंबाकू से हर साल क्षेत्र में 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है, जो 150 मौत प्रति घंटे के बराबर है।’’ पूनम ने कहा कि ‘सादी पैकेजिंग’ का कलात्मक प्रभाव महत्वपूर्ण होता है और अध्ययन बताते हैं कि तंबाकू उत्पादों की इच्छा पर ये प्रभाव डालते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘उच्च आय वाले देशों में धूम्रपान का स्तर कम हो रहा है, वहीं तंबाकू कंपनियां तेजी से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बाजार में मौजूदगी पर निर्भर होती जा रहीं हैं। इस क्षेत्र में दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के देश भी हैं।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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