प. बंगाल में छह में से चार स्थानीय निकायों के चुनाव परिणाम राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में जाने के बाद उसके हौसले इस कदर बुलंद हो गए हैं कि अब वह राज्य में अकेले दम चुनाव लड़ने की बात करने लगी है।
                                            
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                                                                                कोलकाता: 
                                        प. बंगाल में छह में से चार स्थानीय निकायों के चुनाव परिणाम राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में जाने के बाद उसके हौसले इस कदर बुलंद हो गए हैं कि अब वह राज्य में अकेले दम चुनाव लड़ने की बात करने लगी है।
तृणमूल ने जहां चुनाव नतीजों को अपनी ताकत का प्रदर्शन करार देते हुए कहा कि इससे साफ हो गया है कि वह अकेले चुनाव लड़ सकती है, वहीं सहयोगी कांग्रेस ने कहा है कि तृणमूल को अपना रास्ता अलग करने से किसी ने नहीं रोका है और वह (कांग्रेस) भी अपने दम पर राज्य में चुनाव जीत सकती है। निकाय चुनाव में भारी जीत से उत्साहित तृणमूल ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को 'विलुप्तप्राय प्रजाति' करार दिया और इसका अस्तित्व खतरे में है।
चुनाव नतीजे सामने आने के बाद तृणमूल के महासचिव और रेल मंत्री मुकुल रॉय ने यहां संवाददाताओं से कहा, "चुनाव परिणाम राज्य में पार्टी की ताकत और इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि राज्य में तृणमूल अपने बलबूते चुनाव लड़ व जीत सकती है।"
इसके जवाब में कांग्रेस की लोकसभा सांसद दीपा दासमुंशी ने कहा, "यदि वे चाहते हैं तो वे अकेले जा सकते हैं। इससे हमें उनके (तृणमूल के) गलत निर्णयों की जिम्मेदारी नहीं लेनी होगी। यह हमारे लिए सच में राहत की बात होगी।"
एक अन्य कांग्रेस सांसद अधीर चौधरी ने दावा किया कि उनकी पार्टी के पास भी अकेले चुनाव लड़ने की क्षमता है। उन्होंने कहा, "नाडिया जिले में कूपर्स कैम्प नगरपालिका चुनाव में जीत से जाहिर है कि हम भी अपने बलबूते चुनाव जीत सकते हैं। यदि हमें उनके अकेले चुनाव लड़ने के फैसले का पहले से पता होता तो परिणाम और भी बेहतर होते।"
तृणमूल ने जलपाईगुड़ी जिले की धूपगुड़ी नगरपालिका और बर्धवान जिले में दुर्गापुर नगर निगम के चुनाव में जीत वामपंथी दलों को हराकर हासिल की। वह बीरभूम जिले में नलहटी नगरपालिका में भी जीती और पूर्वी मिदनापुर जिले में पांसकुड़ा नगरपालिका भी बचाने में कामयाब रही।
वाम मोर्चा हालांकि पूर्वी मिदनापुर जिले में हल्दिया नगरपालिका पर अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रहा, जबकि कांग्रेस के लिए संतोष की बात केवल यह रही कि वह नदिया जिले में कूपर्स कैम्प नगरपालिका में अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रही।
नतीजे सामने आने के बाद मुकुल रॉय ने कहा, "चुनाव में लड़ाई न केवल वाम मार्चे, बल्कि कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा नक्सलियों के खिलाफ भी थी। जीत से साबित हो गया है कि अकेले चुनाव लड़ने का हमारा फैसला सही था।"
माकपा को 'विलुप्तप्राय प्रजाति' करार देते हुए रॉय ने कहा कि वाम मोर्चा का अस्तित्व खतरे में है। उन्होंने कहा, "हमने तीन निकायों के चुनाव अन्य दलों को हराकर जीते, जबकि एक पर कब्जा बरकरार रखा। हल्दिया में हालांकि वाम मोर्चा अपनी जीत बरकरार रखने में सफल रहा, लेकिन यह बहुत कम अंतर से रहा। हमने यहां भी वर्ष 2007 के चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया।"
                                                                        
                                    
                                तृणमूल ने जहां चुनाव नतीजों को अपनी ताकत का प्रदर्शन करार देते हुए कहा कि इससे साफ हो गया है कि वह अकेले चुनाव लड़ सकती है, वहीं सहयोगी कांग्रेस ने कहा है कि तृणमूल को अपना रास्ता अलग करने से किसी ने नहीं रोका है और वह (कांग्रेस) भी अपने दम पर राज्य में चुनाव जीत सकती है। निकाय चुनाव में भारी जीत से उत्साहित तृणमूल ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को 'विलुप्तप्राय प्रजाति' करार दिया और इसका अस्तित्व खतरे में है।
चुनाव नतीजे सामने आने के बाद तृणमूल के महासचिव और रेल मंत्री मुकुल रॉय ने यहां संवाददाताओं से कहा, "चुनाव परिणाम राज्य में पार्टी की ताकत और इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि राज्य में तृणमूल अपने बलबूते चुनाव लड़ व जीत सकती है।"
इसके जवाब में कांग्रेस की लोकसभा सांसद दीपा दासमुंशी ने कहा, "यदि वे चाहते हैं तो वे अकेले जा सकते हैं। इससे हमें उनके (तृणमूल के) गलत निर्णयों की जिम्मेदारी नहीं लेनी होगी। यह हमारे लिए सच में राहत की बात होगी।"
एक अन्य कांग्रेस सांसद अधीर चौधरी ने दावा किया कि उनकी पार्टी के पास भी अकेले चुनाव लड़ने की क्षमता है। उन्होंने कहा, "नाडिया जिले में कूपर्स कैम्प नगरपालिका चुनाव में जीत से जाहिर है कि हम भी अपने बलबूते चुनाव जीत सकते हैं। यदि हमें उनके अकेले चुनाव लड़ने के फैसले का पहले से पता होता तो परिणाम और भी बेहतर होते।"
तृणमूल ने जलपाईगुड़ी जिले की धूपगुड़ी नगरपालिका और बर्धवान जिले में दुर्गापुर नगर निगम के चुनाव में जीत वामपंथी दलों को हराकर हासिल की। वह बीरभूम जिले में नलहटी नगरपालिका में भी जीती और पूर्वी मिदनापुर जिले में पांसकुड़ा नगरपालिका भी बचाने में कामयाब रही।
वाम मोर्चा हालांकि पूर्वी मिदनापुर जिले में हल्दिया नगरपालिका पर अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रहा, जबकि कांग्रेस के लिए संतोष की बात केवल यह रही कि वह नदिया जिले में कूपर्स कैम्प नगरपालिका में अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रही।
नतीजे सामने आने के बाद मुकुल रॉय ने कहा, "चुनाव में लड़ाई न केवल वाम मार्चे, बल्कि कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा नक्सलियों के खिलाफ भी थी। जीत से साबित हो गया है कि अकेले चुनाव लड़ने का हमारा फैसला सही था।"
माकपा को 'विलुप्तप्राय प्रजाति' करार देते हुए रॉय ने कहा कि वाम मोर्चा का अस्तित्व खतरे में है। उन्होंने कहा, "हमने तीन निकायों के चुनाव अन्य दलों को हराकर जीते, जबकि एक पर कब्जा बरकरार रखा। हल्दिया में हालांकि वाम मोर्चा अपनी जीत बरकरार रखने में सफल रहा, लेकिन यह बहुत कम अंतर से रहा। हमने यहां भी वर्ष 2007 के चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया।"
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