भारत में पॉपुलर वीडियों कंटेंट क्रिएट करने वाले चीनी ऐप TikTok को बैन करने के बाद टिकटॉक और इसके जैसे ही Likee और Helo जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के यूजर्स इसके भारतीय विकल्पों की ओर मुड़ रहे हैं. भारत में डेवलप किए गए ऐप्स को लाखों की संख्या में डाउनलोड किया जा रहा है. भारत सरकार ने सोमवार को भारत-चीन में बढ़ते सीमा तनाव के बीच 59 चीनी मोबाइल ऐप्स को भारत में बैन कर दिया था. इस कदम के पीछे डेटा और प्राइवेट सेफ्टी के अलावा 'भारत की अखंडता के खिलाफ खतरा' बताया था. इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके बाद भारतीय विकल्पों की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के इस कदम को बढ़ावा देते हुए चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Weibo से अपना अकाउंट बुधवार को डिलीट कर दिया. इस चीनी कंपनी ने बताया कि भारतीय अधिकारियों की तरफ से उसके पास पिछले पांच सालों में उनके इस अकाउंट पर उनकी तस्वीरें और 115 पोस्ट करने का आग्रह आया था.
ShareChat और Roposo पर आई नए यूजर्स की बाढ़
भारत ग्लोबल इंटरनेट कंपनियों और देश में ही डेवलप किए गए ऐप्स के लिए एक बड़ा बाजार है. भारतीय कंपनियों Sharechat और Roposo ने बताया कि सोमवार को चीनी कंपनियों पर बैन के बाद उनके उनके यूजर्स की संख्या में धुआंधार तेजी आई है. ShareChat ने एक बयान जारी कर कहा कि बैन के अगले 48 घंटों में प्लेटफॉर्म पर 1.5 करोड़ नए डाउनलोड किए गए हैं. कभी-कभी यह रेट हर 30 मिनट पर 50,000 डाउनलोड पर भी देखा गया. कंपनी ने बताया कि अब उसके प्लेटफॉर्म पर अब नए 15 करोड़ रजिस्टर्ड यूजर्स हैं.
ShareChat के पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर Berges Malu ने AFP से बातचीत में कहा कि 'हम प्राइवेसी, साइबर सिक्योरिटी और राष्ट्रहित के खिलाफ असुरक्षित प्लेटफॉर्म्स पर सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं. हमारा मानना है कि इससे भारतीय कंपनियों के लिए एक बाजार तैयार होगा.'
इसके अलावा Roposo वीडियो ऐप को भी लगभग 1 करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया है. InMobi के CEO नवीन तिवारी ने बताया कि इसके बाद कंपनी का यूजर बेस 7.5 करोड़ हो चुका है. बता दें कि बैन के पहले भारत में टिकटॉक के तकरीबन 12 करोड़ यूजर्स थे. तिवारी ने कहा कि इस बैन से भारत के पास दुनिया के ग्लोबल टेक हब के रूप में उभरने का मौका होगा, जिसके टॉप 3 में अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं. भारतीय इंडस्ट्री बहुत लंबे समय से इन चीनी ऐप्स के खिलाफ एक्शन की मांग करती रही है.
क्या हैं चुनौतियां?
इन विदेशी ऐप्स से भारत की राजनीति और घरेलू माहौल के प्रभावित होने का भी डर है. दिल्ली के डिजिटल इंडस्ट्री एनालिस्ट ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि 'भारत जैसे खुले लोकतंत्र में चीनी प्लेटफॉर्म्स की इतनी गहरी पहुंच उसके चुनावी प्रक्रिया में छेड़छाड़ और बाहरी दखल के खतरे पैदा करती है'.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब इन भारतीय कंपनियों के सामने नए फॉलोअर्स को इकट्ठा करना, उन्हें बनाए रखना, स्टाफ और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने जैसी कई चुनौतियां होंगी.
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ बतौर टेक्नोलॉजी हेड काम कर चुके DigitalIndia Foundation के फाउंडर और हेड अरविंद गुप्का का कहना है कि अब भारतीय कंपनियों के पास इस मौके का फायदा उठाने के साथ-साथ प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा से जुड़ी अपनी जवाबदेही तय करने की भी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि चीनी कंपनियों के जाने से अब भारतीय डिजिटल बाजार में ज्यादा लोकतांत्रिक और खुली कंपनियां और देशों की ओर से निवेश के लिए अच्छे मौके बनेंगे.
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