भारत के बाद अमेरिका में भी टिकटॉक (TikTok) पर ताला लगने जा रहा है. चीनी कंपनी बाइटडांस के स्वामित्व वाले वीडियो ऐप टिकटॉक का रविवार को अमेरिका में आखिरी दिन है. सोशल मीडिया पर लोगों ने अलग-अलग अंदाज में टिकटॉक को विदाई देनी शुरू कर दी है. अमेरिका में 19 जनवरी को टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने के लिए वो कानून प्रभावी हो जाएगा, जिस पर पिछले साल राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साइन किये थे. टिकटॉक और विवादों का पुराना नाता है, भारत और अमेरिका सहित कई देशों में इस चीनी एप के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं. आखिर, ऐसा क्यों है कि चीनी ऐप पर दुनियाभर के देश ताला लगा रहे हैं...?
डेटा में सेंध
टिकटॉक पर सबसे बड़ा आरोप डेटा में सेंधमारी का लगता रहा है. डिजिटलाइजेशन के इस दौर में डेटा सबसे बड़ा हथियार उबर कर सामने आया है. कई देशों का मानना है कि टिकटॉक चीन की एक कंपनी है और यह यूजर्स का डेटा चीन सरकार को दे सकती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है. डेटा कई देशों के चुनावों में दखल करने से लेकर किसी देश का तख्त हिलाने तक की शक्ति रखता है. इसलिए अमेरिका समेत लगभग सभी देश अपना डेटा सिक्योर करने की दिशा में सख्त और बड़े कदम उठा रहे हैं. कई देशों में टिकटॉक पर करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया जा रहा है. अमेरिका में भी टिकटॉक पर प्रतिबंधन लगने का एक बड़ा कारण ये भी है.
...ताकि फेक न्यूज पर लगे रोक
फेक न्यूज भी टिकटॉक के बैन होने के पीछे एक कारण है. कई बार ऐसा देखा गया कि टिकटॉक पर गलत सूचनाओं का फैलाया गया, जिससे कई हादसे भी हुए. हालांकि, टिकटॉक अपने ऊपर लगने वाले आरोपों को नकारता रहा है. लेकिन कुछ देशों का मानना है कि टिकटॉक का इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने और देश के अंदर अस्थिरता पैदा करने के लिए किया जा सकता है. ऐसे में कुछ देशों ने चीनी ऐप टिकटॉक को बंद करने में बेहतरी समझी.
टिकटॉक पर अश्लील कंटेंट...
टिकटॉक ऐप पर एक समय भारत में अश्लील कंटेंट की भरमार थी. लोग काफी अश्लील वीडियो बनाकर इस ऐप पर अपलोड करते रहे हैं. हालांकि, समय-समय पर अश्लील कंटेंट को ऐप द्वारा प्रतिबंधित किया जाता है, लेकिन तब तक वो वीडियो करोड़ों लोगों तक पहुंच चुका होता है. टिकटॉक पर अश्लील सामग्री और हिंसा से जुड़े वीडियो होने की शिकायतें मिलती रही हैं, जिसका बच्चों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो और क्राइम कंटेंट को रोकने के लिए टिकटॉक पर बैन लगा रहे हैं.
साइबरबुलिंग का अड्डा बन रहा टिकटॉक
साइबरबुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न के मामले दुनियाभर में बढ़ रहे हैं. कई देश इन मामलों को लेकर चिंतित हैं. अगर कहें कि टिकटॉक साइबरबुलिंग का अड्डा बनता जा रहा है, तो गलत नहीं होगा. इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए भी कई देश टिकटॉक के खिलाफ कड़े कदम उठा रहे हैं.
भारत में क्यों बैन हुआ टिकटॉक?
भारत में टिकटॉक पर जून 2020 में प्रतिबंध लगाया गया था. भारत सरकार ने तब चीनी स्वामित्व वाले कई ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था, जिनमें टिकटॉक भी शामिल था. टिकटॉक पर बैन लगने से भारत में करोड़ों लोग प्रभावित हुए थे, कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया था. भारत में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने के पीछे मुख्य कारणों में से एक यह था कि यह ऐप भारत की डिजिटल सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता था. इसके अलावा, टिकटॉक पर अश्लील सामग्री और फेक न्यूज फैलने की भी शिकायतें मिलती रहीं थीं. इसके बावजूद भारत में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाना एक जटिल मुद्दा था. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, बच्चों की सुरक्षा और सामाजिक प्रभाव जैसे कई कारक शामिल थे.
क्या अमेरिका में टिकटॉक को मिलेगी राहत...?
अमेरिका के साइबर एक्सपर्ट की मानें तो इस बात की बहुत कम संभावना है कि टिकटॉक को अमेरिका में राहत मिले. कंपनी को उस स्थिति में राहत मिल सकती है जब अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट टिकटॉक के चीनी मालिक बाइटडांस की अंतिम क्षण में इस दलील को स्वीकार कर लेता है कि प्रतिबंध असंवैधानिक है या यदि बाइटडांस अपने अमेरिकी परिचालन को बेच दे. लेकिन अमेरिका में टिकटॉक के 17 करोड़ उपयोगकर्ता कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. कई स्व-घोषित ‘‘टिकटॉक शरणार्थी'' वैकल्पिक सोशल मीडिया साइट की ओर रुख करना शुरू कर चुके हैं. इस प्रक्रिया में टिकटॉक पर कथित सुरक्षा चिंताओं का मखौल उड़ा रहे हैं। ‘‘मेरे चीनी जासूस को अलविदा'' टिकटॉक पर ट्रेंड कर रहा है.
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