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This Article is From Jul 29, 2022

आसान लोन के लालच में फंस गए हज़ारों लोग, चीनी मास्टरमाइंड ने ऐसे रची थी करोड़ों की 'वसूली' की साज़िश

एक अनुमान के मुताबिक ऑनलाइन ऐप लोन के जरिए गिरोह तकरीबन 350 करोड़ रुपए विदेश में बैठे अपने मास्टर माइंड तक भेज चुका है.

आसान लोन के लालच में फंस गए हज़ारों लोग, चीनी मास्टरमाइंड ने ऐसे रची थी करोड़ों की 'वसूली' की साज़िश
जांच में ये भी पता चला है कि कर्ज देने के लिए जरूरी रुपये विदेशों से हवाला के जरिए भेजे गए.
मुंबई:

मुंबई पुलिस के सायबर सेल ने ऐप के माध्यम से आसानी से लोन देकर लोगों से वसूली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. साथ ही गिरोह के 14 सदस्यों को भी धर दबोचा है. पुलिस की मानें तो भोले-भाले लोगों से ठगी करने वाले इस गिरोह के मास्टरमाइंड चीनी नागरिक हैं. दरअसल, कोरोना काल में आर्थिक तंगी से परेशान होकर देशभर में लाखों लोगों ने ऑनलाइन ऐप के जरिए आसान लोन लिए. लेकिन बाद में भारी इंट्रेस्ट के साथ कर्ज चुकाने में जब वे नाकाम हुए तो लोन देने वाली कंपनी ने उनके फोन का डेटा हैक कर लिया और सगे संबंधियों को मैसेज भेजकर उन्हें बदनाम करना शुरू किया. बता दें कि कर्ज लेने के शर्त में मोबाइल फोन पर पूरे अधिकार की इजाजत होती थी.

हालांकि, इतने पर भी जब पैसे रिकवर नहीं हुए तो कंपनी वालों ने ग्राहकों के मॉर्फ फोटो वायरल करना और फोन पर धमकाना शुरू कर दिया. इससे परेशान कई लोगों ने पुलिस में शिकायत की. लेकिन सिविल मामला बताकर पुलिस नजरंदाज करती रही. लेकिन जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा तो तत्कालीन गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने मुंबई और महाराष्ट्र साइबर क्राइम ब्रांच को इसके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया. ऐसे में मुंबई साइबर सेल के अथक परिश्रम से आखिरकार ऑनलाइन ऐप लोन से जुड़े 14 आरोपी पकड़े जा चुके हैं. 

जांच में पता चला है कि इस ऑनलाइन ऐप के मास्टरमाइंड दो चीनी नागरिक हैं, जो फिलहाल फरार हैं. दोनों ने साल 2018 में ठगी की पूरी प्लानिंग की और उसे अंजाम देने के लिए भारत में एजेंट बनाए, जिसके लिए एक हिंदुस्तानी महिला की ट्रांसलेटर के तौर पर मदद ली गई. फिर कॉल सेंटर बनाए गए और अलग-अलग ऐप बनाकर आसानी से कर्ज देने के लुभावने प्रचार किए. बाद में उन्हीं काल सेंटरों का इस्तेमाल कर्जदारों को धमकाने और वसूली के लिए किया गया. 

एक अनुमान के मुताबिक ऑनलाइन ऐप लोन के जरिए गिरोह तकरीबन 350 करोड़ रुपए विदेश में बैठे अपने मास्टर माइंड तक भेज चुका है. जांच में ये भी पता चला है कि कर्ज देने के लिए जरूरी रुपये विदेशों से हवाला के जरिए भेजे गए. लेकिन विदेशों में वापस भेजने के लिए पहले अलग-अलग UPI अकाउंट में भेजकर कई लेयर बनाए गए ताकि जांच एजेंसियां असली अकाउंट होल्डर की पहचान नहीं कर पाएं. उसके बाद भी उन रुपयों को क्रिप्टो करंसी में बदल कर मास्टरमाइंड तक पहुंचाये गए. अभी तक मामले में 14 लोगों गिरफ्तार किए गए हैं जो अलग अलग राज्यों से हैं. 

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