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This Article is From Aug 08, 2015

हज़ारों पाकिस्‍तानी बेटियों को है 'बजरंगी भाईजान' की ज़रूरत

हज़ारों पाकिस्‍तानी बेटियों को है 'बजरंगी भाईजान' की ज़रूरत
नई दिल्‍ली: फ़िल्मों में भले ही पाकिस्तानी बेटियों को उनके परिवार वालों से मिलवाया जा रहा हो, लेकिन हज़ारों पाकिस्तानी बेटियां ऐसी हैं जिनकी हिंदुस्तानी लड़कों से शादी हुई, लेकिन वो इस नए परिवार का हिस्सा नहीं बन पा रही हैं। उन्हें पासपोर्ट नहीं मिल रहा है, जिससे वो तमाम तरह की मुश्किलों का सामना कर रही हैं।

ये कहानी उन हज़ारों पाकिस्तानी लड़कियों की है, जिनकी शादी हिंदुस्तानी लड़कों से हुई है। वो हिंदुस्तानी बनना चाहती हैं, लेकिन उन्हें इस मुल्क की नागरिकता नहीं मिल रही है। इसके नतीजे में वो ना तो अपने शौहर की जायदाद में हिस्सेदार बन सकती हैं, ना ही ज़मीन ख़रीद सकती हैं, ना तो मकान बना सकती हैं, ना नौकरी कर सकती हैं और ना ही बिना इजाज़त शहर के बाहर जा सकती हैं।

पाकिस्तानी बेटी और हिंदुस्तानी बहू कनीज फातिमा लखनऊ में मस्जिदों और इमामबाडों में इसलिए भटक रहीं हैं कि उन्हें वापस पाकिस्तान नहीं भेजा जाए। वो 30 साल पहले शादी के बाद पाकिस्तान के कराची से लखनऊ आईं थीं, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली।

कनीज ने कहा, 'पाकिस्तान और हिंदुस्तान में शादी की इतनी बड़ी सजा मिलेगी, हमें नहीं मालूम था। अब हमसे कोई पूछेगा, तो हम उसको ऐसा करने की हरगिज राय नहीं देंगे।'

वास्तव में कनीज पाकिस्तानी पासपोर्ट से भारत आईं थी। बच्चा होने वाला था तो वापस कराची चलीं गईं। बेटा वहीं पैदा हुआ। जब बेटे को लेकर हिंदुस्तान आईं तो घर वालों ने बेटे का पाकिस्तानी पासपोर्ट बनवा दिया। अब न तो उन्हें भारत की नागरिकता मिल रही है और न ही बेटे को भारतीय पासपोर्ट। हाईकोर्ट से केस जीत चुकी हैं फिर भी नहीं।

रामपुर के कुम्हरिया गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली फरजाना अब नहीं पढ़ातीं। उनकी जगह दूसरे शिक्षक ने ले ली है। उनके साथ भारतीय पुलिस का सलूक वैसा ही है जैसा कि बजरंगी भाईजान फिल्म में बजरंगी के साथ पाकिस्तानी पुलिस का था। जबकि उनका जन्म भारत में ही हुआ है। उनकी शादी पाकिस्तान में हुई, तो वहां की नागरिकता मिल गई। लेकिन दो साल बाद ही तलाक हो गया। वो बेसहारा होकर वापस भारत के रामपुर आ गईं। दो साल तक स्कूल में बच्चों को पढ़ाया। फिर वहीं प्रिंसिपल हो गईं, लेकिन किसी ने उन्हें पाकिस्तानी बताकर शिकायत कर दी, तो स्कूल ने सस्पेंड कर दिया। अब वो अपने वतन में ही अंडरग्राउंड हैं।

रामपुर के डीएम सीपी त्रिपाठी ने कहा, 'एक प्रकरण जो फरजाना बी का है, उस केस के संबंध में मूल शिक्षा अधिकारी और कप्तान साहब के यहां से सारी आख्यायें आ गई हैं। उसके बारे में हम शासन को आख्या भेज रहे हैं।'

ऐसे कई मामले हैं। इनमें से कई के तो पाकिस्तानी पासपोर्ट भी ख़त्म हो गए हैं, जिससे वो अपने बूढ़े मां-बाप से मिलने पाकिस्तान भी नहीं जा सकती हैं। इन्हें भी किसी बजरंगी भाईजान की ज़रूरत है जो इन्हें हिंदुस्तानी बनवा दे।

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