इस साल देश के कई हिस्सों में गर्मी पहले के मुकाबले ज्यादा पड़ने का अनुमान है. अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में विभिन्न हिस्सों में बिजली आपूर्ति में कमी भी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ सकती है. गर्मी बढ़ने से एसी, पंखा, कूलर और फ्रीज जैसे उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ेगा, जिससे की बिजली की मांग भी बढ़ेगी. मौसम विभाग के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि इस साल देश के जिन हिस्सों में ज्यादा गर्मी पड़ने का अनुमान है उनमें मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर पश्चिम भारत मुख्य रूप से शामिल हैं.
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन वैश्विक तापमान में वृद्धि कर रहा है और ये मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को खराब कर रहा है. इस बार ये भी देखा जा रहा है पिछले साल उपमहाद्वीप में जिस तरह की गर्मी पड़ी थी उसका अब कैसा असर सामने आ रहा है. महापात्रा ने आगे कहा कि देश के कई राज्यों में मार्च में बेमौसम की बारिश हो रही है. जिसकी वजह से गेंहूं, सरसों और प्याज की फसल को खासा नुकसान हुआ है.
फसल को हुए नुकसान का असर इन चीजों की कीमत पर पड़ना लगभग तय माना जा रहा है. यानी की इन चीजों की कीमत भी आने वाले दिनों में बढ़ सकती है. ऐसे में किसानों की चिंता ये है कि आने वाले दिनों में भीषण गर्मी पड़ने की हालत में खेती और खराब ही होगी. बता दें कि इस साल मार्च के महीने में अभी तक समान्य से 26 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी देश में इस साल चलने वाली हीट वेव को लेकर एक रिपोर्ट आई थी. जिसमें कहा गया था कि भारत, दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की राह पर है. लेकिन इन सब के बीच लगातार बढ़ते हीट वेव की वजह से मानव सभ्यता ही खतरे में देखा जा रहा है. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय मौसम कार्यालय ने बताया था कि भारत में 1901 के बाद से साल 2023 का फरवरी भारत में सबसे गर्म रहा है. जो कि बेहद चिंता का विषय है. आशंका यह जतायी जा रही है कि पिछले साल की रिकॉर्ड गर्मी की लहर की पुनरावृत्ति इस साल भी देखी जाएगी. पिछले साल फसलों को गर्मी के कारण काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था. 50 डिग्री सेल्सियस (122 फ़ारेनहाइट) तक तापमान पहुंच गए थे. यह उच्च तापमान किसी भी स्थिति में असहनीय होता है. रिपोर्ट के अनुसार यह गर्मी भारत में लगातार बढ़ती जनसंख्या की वजह से और भी असहनीय होता जा रहा है.
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एक जलवायु वैज्ञानिक कीरन हंट जिन्होंने देश के मौसम के पैटर्न का अध्ययन किया है, ने कहा था कि "भारत आम तौर पर सहारा जैसे गर्म स्थानों की तुलना में अधिक नम है. इसका मतलब है कि पसीने के कारण गर्मी से बचाव की संभावना भी कम होती है. विश्व बैंक की नवंबर की एक रिपोर्ट में आगाह किया गया था कि भारत दुनिया में उन पहले स्थानों में से एक बन सकता है जहां वेट-बल्ब का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगा. ऐसे में सवाल यह है कि क्या हम गर्मी से होने वाली पीड़ा के आदी हो गए हैं? रिपोर्ट के लेखकों में से एक, आभास झा ने कहा कि "चूंकि यह अचानक शुरू होने वाली आपदा नहीं है, क्योंकि यह धीमी शुरुआत है, हम इसे रोक नहीं सकते हैं."
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