मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने गुरुवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की हथकरघा साड़ियों की तीन किस्मों - तंगेल, कोरियल और गराड को भौगोलिक संकेतक' (जीआई) का दर्जा मिला है. तंगेल साड़ियां नादिया और पूर्व बर्धमान जिलों में बुनी जाती हैं, जबकि कोरियल और गारद मुर्शिदाबाद और बीरभूम में बुनी जाती हैं. बेहद लोकप्रिय तंगेल सूती साड़ियों की संख्या अधिक होती है और इन्हें रंगीन धागों का उपयोग करके अतिरिक्त ताना-बाना डिजाइनों से सजाया जाता है. यह जामदानी सूती साड़ी का सरलीकरण है लेकिन साड़ी के मुख्य हिस्से में न्यूनतम डिज़ाइन के साथ होता है.
कोरियल साड़ियां सफेद या क्रीम बेस में भव्य रेशम की होती हैं और बॉर्डर और पल्लू में बनारसी साड़ियों की विशेष भारी सोने और चांदी सी सजावट होती है, जो आम तौर पर कंधे पर पहनी जाने वाली साड़ी का सजावटी सिरा होता है. गारद रेशम साड़ियों की विशेषता सादा सफेद या मटमैले सफेद, एक असामान्य रंग का बार्डर वाला और एक धारीदार पल्लू है और इसे पहले पूजा करने के लिए पहना जाता था. पसंद में बदलाव के साथ, विभिन्न रंग और बुने हुए पैटर्न पेश किए गए हैं.
बनर्जी, जो फिलहाल घर पर कंधे की मामूली चोट से उबर रही हैं, ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘पश्चिम बंगाल की तीन हथकरघा साड़ियों नादिया और पुरबा बर्धमान की तंगेल, और मुर्शिदाबाद और बीरभूम की कोरियल और गारद को जीआई उत्पादों के रूप में पंजीकृत और मान्यता दी गई है.'' उन्होंने कारीगरों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा है. उन्होंने पोस्ट किया, ‘‘मैं कारीगरों को उनके कौशल और उपलब्धियों के लिए बधाई देती हूं. हमें उन पर गर्व है. उन्हें हमारी बधाई.''
Three handloom saree items of West Bengal, namely Tangail of Nadia and Purba Bardhaman, and Korial & Garad of Murshidabad and Birbhum, have been registered and recognized as GI products.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) January 4, 2024
I congratulate the artisans for their skills and achievements. We are proud of them. Our…
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