जयललिता (फाइल फोटो)
चेन्नई:
अन्नाद्रमुक सुप्रीमो और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की बीमारी के दौरान सत्ता के तीन केंद्र बनकर उभरे हैं. पेश है इन तीनों शख्सियतों पर एक नजर :
1. ओ पन्नीरसेल्वम : अतीत में जयललिता ने अपनी गैरमौजूदगी के दौरान भरोसा जताते हुए दो बार मुख्यमंत्री बनाया. इनमें से पिछली बार 2014 में वह मुख्यमंत्री बने थे जब जयललिता भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो गई थीं. हालांकि बाद में वह बरी हो गईं. इस बार भी जयललिता की अस्पताल में मौजूदगी के दौरान जयललिता के आठ विभागों का प्रभार पन्नीरसेल्वम को दिया गया.
जयललिता के प्रति वफादारी दिखाते रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता को दंडवत प्रणाम करने की तस्वीरें सुर्खियां बटोरती रही हैं. जयललिता की फोटो रखकर कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता करते रहें हैं. कई बार सार्वजनिक रूप से जयललिता के लिए रोते हुए देखा गया.
2.शशिकला नटराजन : जयललिता की निकटस्थ सहयोगी. जयललिता के साथ इन पर भ्रष्टाचार के मामले चले हैं. नटराजन के भतीजे को जयललिता ने दत्तक पुत्र माना था और 1995 में उसकी भव्य शादी के चर्चे आज भी होते हैं. हजारों लोगों की मौजूदगी, हाथियों और ढोल-नगाड़ों की धूम-धाम के साथ उस शादी का आयोजन हुआ था. भारी तामझाम और खर्चे के कारण उस वक्त इस वजह से जयललिता की काफी आलोचना भी हुई थी. अस्पताल में मुख्यमंत्री की देखभाल का पूरा जिम्मा उठा रखा है.
3. शीला बालाकृष्णन : राज्य की पूर्व मुख्य सचिव और मुख्यमंत्रकी की सलाहकार. जयललिता के अस्पताल में मौजूदगी के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू ढंग से चलाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री जयललिता को रविवार शाम को दिल का दौरा पड़ा था. उसके बाद से उनकी हालत अत्यंत नाजुक बनी हुई है. सोमवार शाम को पार्टी मुख्यालय में पार्टी का झंडा आधा झुका दिया गया. हालांकि बाद में उसको फिर से सीधा कर दिया गया. अपोलो अस्पताल के बाहर खड़े उनके समर्थकों को उग्र होते देखा गया. इसी अस्पताल में जयललिता भर्ती हैं.
यह भी पढ़ें : जयललिता की हालत अत्यंत गंभीर, पार्टी के झंडे को पहले झुकाकर फिर सीधा किया गया
जानिए कैसे अलग हैं 'कार्डियक अरेस्ट' और 'हार्ट अटैक', किसमें है ज्यादा खतरा...
उग्र समर्थकों ने अस्पताल के भीतर लगी बैरिकेडिंग को तोड़ दिया. उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ीं.अपोलो अस्पताल का कहना है कि उनकी हालत अब भी गंभीर बनी हुई है.
1. ओ पन्नीरसेल्वम : अतीत में जयललिता ने अपनी गैरमौजूदगी के दौरान भरोसा जताते हुए दो बार मुख्यमंत्री बनाया. इनमें से पिछली बार 2014 में वह मुख्यमंत्री बने थे जब जयललिता भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो गई थीं. हालांकि बाद में वह बरी हो गईं. इस बार भी जयललिता की अस्पताल में मौजूदगी के दौरान जयललिता के आठ विभागों का प्रभार पन्नीरसेल्वम को दिया गया.
जयललिता के प्रति वफादारी दिखाते रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता को दंडवत प्रणाम करने की तस्वीरें सुर्खियां बटोरती रही हैं. जयललिता की फोटो रखकर कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता करते रहें हैं. कई बार सार्वजनिक रूप से जयललिता के लिए रोते हुए देखा गया.
2.शशिकला नटराजन : जयललिता की निकटस्थ सहयोगी. जयललिता के साथ इन पर भ्रष्टाचार के मामले चले हैं. नटराजन के भतीजे को जयललिता ने दत्तक पुत्र माना था और 1995 में उसकी भव्य शादी के चर्चे आज भी होते हैं. हजारों लोगों की मौजूदगी, हाथियों और ढोल-नगाड़ों की धूम-धाम के साथ उस शादी का आयोजन हुआ था. भारी तामझाम और खर्चे के कारण उस वक्त इस वजह से जयललिता की काफी आलोचना भी हुई थी. अस्पताल में मुख्यमंत्री की देखभाल का पूरा जिम्मा उठा रखा है.
3. शीला बालाकृष्णन : राज्य की पूर्व मुख्य सचिव और मुख्यमंत्रकी की सलाहकार. जयललिता के अस्पताल में मौजूदगी के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू ढंग से चलाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री जयललिता को रविवार शाम को दिल का दौरा पड़ा था. उसके बाद से उनकी हालत अत्यंत नाजुक बनी हुई है. सोमवार शाम को पार्टी मुख्यालय में पार्टी का झंडा आधा झुका दिया गया. हालांकि बाद में उसको फिर से सीधा कर दिया गया. अपोलो अस्पताल के बाहर खड़े उनके समर्थकों को उग्र होते देखा गया. इसी अस्पताल में जयललिता भर्ती हैं.
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उग्र समर्थकों ने अस्पताल के भीतर लगी बैरिकेडिंग को तोड़ दिया. उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ीं.अपोलो अस्पताल का कहना है कि उनकी हालत अब भी गंभीर बनी हुई है.
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