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This Article is From Feb 21, 2021

राजस्थान में किसानों को लेकर सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत का मुद्दा फिर उभर रहा

Sachin Pilot and Ashok Gehlot : दोनों पक्षों की ओर रैलियों में ताकत दिखाने और ज्यादा भीड़ इकट्ठा करने को अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है. 

राजस्थान में किसानों को लेकर सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत का मुद्दा फिर उभर रहा
सचिन पायलट ने शुक्रवार को जयपुर के पास एक बड़ी रैली की
जयपुर:

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच पिछले साल बगावत के बाद हुआ समझौता फिर दरकता दिख रहा है. राजस्थान में कांग्रे की ओर से आयोजित रैलियों ने पार्टी के भीतर चल रही गड़बड़ को फिर सतह पर ला दिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi)के दिशानिर्देशों के बाद राजस्थान में किसानों Rajasthan Farmers) के समर्थन में रैलियों का आयोजन शुरू हुआ था.

राहुल गांधी खुद 12-13 फरवरी को राजस्थान में रैलियां कर चुके हैं. इसके बाद सचिन पायलट ने जयपुर के निकट शुक्रवार को विशालकाय रैली की. लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत के गुट का कोई भी नेता वहां मौजूद नहीं था. हालांकि इस रैली में पायलट के साथ 17 वे नेता दिखाई दिए, जिन्होंने पिछले साल उनके साथ बगावत का झंडा बुलंद किया था.

एक दिन बाद ही कांग्रेस इकाई ने जयपुर शहर में एक बड़ी रैली की, जिसमें पायलट के करीबी नेता शामिल नहीं हुए. इससे फिर अटकलें लगना शुरू हो गई हैं कि दोनों गुट अलग-अलग दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. दोनों पक्षों की ओर से रैलियों में ताकत दिखाने और ज्यादा भीड़ इकट्ठा करने को राजनीतिक साख मजबूत करने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है. 

जब पायलट से पूछा(Sachin Pilot)  गया कि क्या यह समानांतर राजनीति है तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ भी नहीं है और यह पार्टी का कार्यक्रम है. यह तय किया गया है कि हम सभी किसानों के समर्थन में रैलियां करेंगे. रैली के आयोजक और चाकसू से कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसेरा को न्योता भेजा गया था.

सोलंकी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन 8 दिनों तक समय नहीं दिया गया.डोटसेरा ने भी पार्टी में गुटबाजी के सवाल पर हंसते हुए NDTV से कहा कि कांग्रेस पार्टी का किसानों के साथ गहरा नाता रहा है. पार्टी के भीतर कोई गुटबाजी नहीं है. पार्टी एक साथ खड़ी है. हम सभी जिलों में किसानों के समर्थन में रैलियां कर रहे हैं. 

राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी के साथ जबरदस्त जीत के लिए पायलट की कड़ी मेहनत को भी बड़ी वजह माना जाता है. वह भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन राहुल गांधी के मनाने के बाद पायलट अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को मुख्यमंत्री पद और अपने लिए डिप्टी सीएम पद के लिए राजी हो गए थे. लेकिन दोनों नेताओं के बीच रस्साकशी तभी से जारी है.

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