कॉनरेड संगमा मेघालय के मुख्यमंत्री चुने गए हैं.
शिलांग:
मेघालय के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कॉनरेड संगमा सिर्फ पिता की विरासत को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं बल्कि राजनीति में खुद काफी अनुभव हासिल कर चुके हैं. उनकी उम्र भले ही 40 साल है लेकिन राजनीति में वे करीब 19 साल से सक्रिय हैं. कॉनरेड को उनके पिता पीए संगमा ने राजनीति का पहला पाठ 1999 में सिखाया था.
अपने पिता की छत्रछाया में कम उम्र में राजनीति में आने वाले कॉनरेड संगमा ने मेघालय विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी एनपीपी का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया और कांग्रेस के खिलाफ क्षेत्रीय दलों को एकजुट किया. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के 40 वर्षीय बेटे कॉनरेड संगमा ने मार्च 2016 में अपने पिता के निधन के बाद नेशनल पीपुल्स पार्टी का प्रभार संभाला और इसे कांग्रेस के खिलाफ मुख्य प्रतियोगी के तौर पर पेश किया. राज्य में कांग्रेस की दस वर्षों तक सत्ता थी. एनपीपी ने 2013 के विधानसभा चुनावों में 32 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें केवल दो सीटों पर उसे जीत मिली थी और उसका मत प्रतिशत दस फीसदी से भी कम था. यहां तक कि कॉनरेड भी बड़े अंतर से हार गए थे. लेकिन 2016 में तूरा लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतने के बाद उनकी तकदीर पलटने लगी. कॉनरेड संगमा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की पत्नी डिक्कानची डी शिरा को करीब दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया और अपने पिता की सीट को बरकरार रखा. उनके पिता इस सीट पर चार दशक से ज्यादा समय तक जीतते रहे.
यह भी पढ़ें : एनपीपी नेता कॉनरेड संगमा ने ली मेघालय के सीएम पद की शपथ
उनके पिता पूर्नो ए संगमा नौ बार सांसद रहे और 1988 से 1990 तक मेघालय के मुख्यमंत्री रहे. कॉनरेड आज मेघालय के 12 वें मुख्यमंत्री बने. उन्होंने राजनीति में अपना पहला पाठ 1999 में तब सीखा जब उन्हें उनके पिता का प्रचार प्रबंधक बनाया गया. उस समय पीए संगमा ने कांग्रेस छोड़ दी थी और शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से नजदीक से जुड़ गए. उन्होंने 2013 में राकांपा से संबंध तोड़कर एनपीपी का गठन किया था.
लंदन विश्वविद्यालय से आंत्रेप्रेन्युरियल प्रबंधन और वित्त में स्नातक कॉनरेड संगमा 2008 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए और डोनकूपर रॉय नीत कांग्रेस सरकार में एक वर्ष तक वित्त मंत्री रहे. वे विधानसभा में 2010 से 2013 के बीच विपक्ष के नेता रहे. उनकी पार्टी ने इस वर्ष राज्य विधानसभा चुनावों में 51 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से 19 सीटों पर उन्होंने चुनाव जीतकर पिछले दो दशक में किसी क्षेत्रीय दल द्वारा सबसे ज्यादा सीट हासिल की. उनका वोट प्रतिशत 20.6 रहा. ऑल पार्टी हिल लीडर्स कॉन्फ्रेंस ने 1972 में 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कॉनरेड संगमा ने अन्य क्षेत्रीय दलों, भाजपा और एक निर्दलीय विधायक के सहयोग से गठबंधन की सरकार बनाई.
VIDEO : कॉनरेड संगमा चुने गए सीएम
एनपीपी नेता का जन्म तूरा में हुआ था जो पश्चिम गारो हिल्स जिला के गारो हिल्स डिवीजन का मुख्यालय है. वह वर्तमान में इसी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में सांसद हैं.
(इनपुट भाषा से)
अपने पिता की छत्रछाया में कम उम्र में राजनीति में आने वाले कॉनरेड संगमा ने मेघालय विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी एनपीपी का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया और कांग्रेस के खिलाफ क्षेत्रीय दलों को एकजुट किया. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के 40 वर्षीय बेटे कॉनरेड संगमा ने मार्च 2016 में अपने पिता के निधन के बाद नेशनल पीपुल्स पार्टी का प्रभार संभाला और इसे कांग्रेस के खिलाफ मुख्य प्रतियोगी के तौर पर पेश किया. राज्य में कांग्रेस की दस वर्षों तक सत्ता थी. एनपीपी ने 2013 के विधानसभा चुनावों में 32 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें केवल दो सीटों पर उसे जीत मिली थी और उसका मत प्रतिशत दस फीसदी से भी कम था. यहां तक कि कॉनरेड भी बड़े अंतर से हार गए थे. लेकिन 2016 में तूरा लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतने के बाद उनकी तकदीर पलटने लगी. कॉनरेड संगमा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की पत्नी डिक्कानची डी शिरा को करीब दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया और अपने पिता की सीट को बरकरार रखा. उनके पिता इस सीट पर चार दशक से ज्यादा समय तक जीतते रहे.
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उनके पिता पूर्नो ए संगमा नौ बार सांसद रहे और 1988 से 1990 तक मेघालय के मुख्यमंत्री रहे. कॉनरेड आज मेघालय के 12 वें मुख्यमंत्री बने. उन्होंने राजनीति में अपना पहला पाठ 1999 में तब सीखा जब उन्हें उनके पिता का प्रचार प्रबंधक बनाया गया. उस समय पीए संगमा ने कांग्रेस छोड़ दी थी और शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से नजदीक से जुड़ गए. उन्होंने 2013 में राकांपा से संबंध तोड़कर एनपीपी का गठन किया था.
लंदन विश्वविद्यालय से आंत्रेप्रेन्युरियल प्रबंधन और वित्त में स्नातक कॉनरेड संगमा 2008 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए और डोनकूपर रॉय नीत कांग्रेस सरकार में एक वर्ष तक वित्त मंत्री रहे. वे विधानसभा में 2010 से 2013 के बीच विपक्ष के नेता रहे. उनकी पार्टी ने इस वर्ष राज्य विधानसभा चुनावों में 51 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से 19 सीटों पर उन्होंने चुनाव जीतकर पिछले दो दशक में किसी क्षेत्रीय दल द्वारा सबसे ज्यादा सीट हासिल की. उनका वोट प्रतिशत 20.6 रहा. ऑल पार्टी हिल लीडर्स कॉन्फ्रेंस ने 1972 में 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कॉनरेड संगमा ने अन्य क्षेत्रीय दलों, भाजपा और एक निर्दलीय विधायक के सहयोग से गठबंधन की सरकार बनाई.
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एनपीपी नेता का जन्म तूरा में हुआ था जो पश्चिम गारो हिल्स जिला के गारो हिल्स डिवीजन का मुख्यालय है. वह वर्तमान में इसी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में सांसद हैं.
(इनपुट भाषा से)
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