अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के चार साल पूरे होने पर सरकार ने शनिवार को रेखांकित किया कि इस ‘‘ऐतिहासिक'' फैसले से जम्मू कश्मीर में शांति और विकास की शुरुआत हुई, जबकि पीडीपी और कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने श्रीनगर में एक जनसभा आयोजित की और पार्टी के नेताओं ने कहा कि 2019 के फैसले के बाद कश्मीर घाटी में कोई बंद नहीं हुआ है तथा स्थिति बेहतर होने के साथ केंद्रशासित प्रदेश ने अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी की है एवं रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक यहां आए हैं.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अनुच्छेद 370 हटने के चार साल पूरे होने पर कहा कि इस फैसले के बाद सबसे बड़ा बदलाव यह आया है कि अब केंद्रशासित प्रदेश के लोग अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जी रहे हैं.
केंद्र सरकार ने आज के दिन 2019 में जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था.
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘‘पांच अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था. इस अवसर पर मैं देश के लोगों की ओर से प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं.''
गृह मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘2019 में आज ही के दिन अनुच्छेद 370 को खत्म करने के ऐतिहासिक फैसले ने जम्मू कश्मीर में शांति और विकास की एक नई सुबह की शुरुआत की.''
अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में आए बदलावों का उल्लेख करते हुए उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा, ‘‘पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों और अलगाववादियों द्वारा बुलाई गई हड़ताल की वजह से स्कूल, कॉलेज और कारोबारी प्रतिष्ठान साल में करीब 150 दिन तक बंद रहते थे जो अब खत्म हो गया है.''
सिन्हा ने एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘सबसे बड़ा बदलाव जो जमीन पर दिख रहा है, वह यह है कि जम्मू कश्मीर के आम लोग अब अपनी इच्छा के अनुसार जी रहे हैं. सड़कों पर हिंसा समाप्त हो गई है.'' उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर के युवाओं के सपनों को पंख लग गए हैं और राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान किसी और से कम नहीं होगा.'' उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर अपने पुराने गौरव को जल्द प्राप्त करेगा जिसके लिए वह पूरी दुनिया में जाना जाता है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि उन्हें और उनकी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को घर में नजरबंद कर दिया गया है तथा कई अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि पार्टी के मुख्यालय नवा-ए-सुबह को सील कर दिया गया है और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है.
महबूबा ने ट्वीट किया, ‘‘आज मुझे और मेरी पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को नजरबंद कर दिया गया. आधी रात को पुलिस द्वारा पार्टी के कई लोगों को अवैध तरीके से हिरासत में लिए जाने के बाद शनिवार को यह कार्रवाई की गई. उच्चतम न्यायालय में (जम्मू कश्मीर में) हालात सामान्य होने के बारे में भारत सरकार के झूठे दावों का मानसिक उन्माद से प्रेरित उसके कार्यों से पर्दाफाश हो गया है.''
पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘‘एक तरफ पूरे श्रीनगर में कश्मीर के लोगों से अनुच्छेद-370 के निरस्त होने का जश्न मनाने का आह्वान करने वाले बड़े-बड़े बैनर लगाए गए हैं, जबकि दूसरी ओर लोगों की वास्तविक भावना को दबाने के लिए बल प्रयोग किया जा रहा है.''
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक ट्वीट में कहा कि उसके पार्टी मुख्यालय को सील कर दिया गया है और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. पार्टी ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘ये कदम प्रशासन की घबराहट को उजागर करते हैं तथा पिछले चार वर्षों में बड़े सुधारों के उनके दावों को खोखला साबित कर देते हैं.''
जम्मू में, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने इस अवसर पर अलग-अलग विरोध प्रदर्शन किया.
कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के प्रमुख विकार रसूल वानी के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहीदी चौक पर पार्टी मुख्यालय के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. पार्टी कार्यकर्ताओं ने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने, भूमि अधिकारों की सुरक्षा और नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण की मांग की.
वानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और हमारे राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से पांच अगस्त को ‘काला दिवस' के रूप में मना रहे हैं...हम राज्य का दर्जा तत्काल बहाल करने की मांग करते हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘औद्योगिक निवेश, समृद्धि और आदर्श राज्य की बात करने वाली भाजपा के दावों के उलट जम्मू कश्मीर में कोई बदलाव नहीं हुआ है.''
वानी ने कहा, ‘‘वास्तविकता यह है कि लोग आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई से त्रस्त हैं जबकि हमारे स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र की हालत खराब है.''
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने कहा कि यह एक ‘‘दुखद दिन'' है. उन्होंने कहा, ‘‘यह जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकार छीनने की दुखद याद दिलाता है. अधिकार छीनने की प्रक्रिया जारी है.'' उन्होंने यह भी कहा कि, ‘‘संस्थाओं, व्यक्तियों और जम्मू कश्मीर के लोगों का अपमान जारी है.''
अलगाववादी से मुख्यधारा के नेता बने लोन ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह चौथा वर्ष है (अनुच्छेद निरस्त होने के बाद से) और हमारी सरकार हालात के प्रति इतनी आश्वस्त है कि वह (विधानसभा) चुनाव कराने की हिम्मत भी नहीं कर सकती क्योंकि वह जानती है कि लोगों का गुस्सा कितना है.''
शिवसेना (यूबीटी) के नेता मनीष साहनी ने जम्मू में छन्नी हिम्मत में पार्टी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. उन्होंने आरोप लगाया कि चार साल बाद, ‘‘क्षेत्र में स्थिति इस हद तक खराब हो गई है कि युवा नौकरियों के लिए तरस रहे हैं, पाकिस्तान प्रायोजित नार्को-आतंकवाद जीवन बर्बाद कर रहा है और कश्मीरी प्रवासी पंडित अभी भी अपनी वापसी और पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं.'' साहनी ने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की भी मांग की.
भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जवाहर नगर में आयोजित सभा में हिस्सा लिया. पार्टी प्रवक्ता ठाकुर अभिजीत जसरोटिया ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा कि यह कार्यक्रम उन नेताओं की आंखें खोलने के लिए आयोजित किया गया जो अनुच्छेद 370 के नाम पर लोगों को ‘‘भड़काने'' की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा, ‘‘ये नेता झूठ का प्रचार कर रहे हैं, लेकिन आम लोग और गरीब विकास चाहते हैं...आज लोग परिवारवाद की राजनीति से ऊपर उठ चुके हैं और वे नहीं चाहते कि कोई अब्दुल्ला या मुफ्ती उन्हें मूर्ख बनाए.''
बैठक के दौरान भाजपा नेताओं ने केंद्र के 2019 के फैसले के बाद जम्मू कश्मीर में आए बदलाव पर प्रकाश डाला. जसरोटिया ने कहा कि कश्मीर घाटी में साल के ज्यादातर समय बंद रहता था, लेकिन अब कोई हड़ताल नहीं होती है.
भाजपा नेता अशोक कौल ने कहा, ‘‘2019 के बाद कश्मीर बदल गया है, पत्थरबाजी खत्म हो गई है, अलगाववाद खत्म हो गया है.'' उन्होंने कहा, ‘‘यहां अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित हुए हैं. रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आए हैं.''
पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थी, गोरखा और वाल्मीकि समाज के सदस्य जम्मू और सांबा जिलों में सड़कों पर उतरे तथा अनुच्छेद के निरस्त होने की चौथी वर्षगांठ मनाई और कहा कि इससे उन्हें कई दशकों के लंबे इंतजार के बाद जम्मू कश्मीर की नागरिकता प्राप्त करने में सुविधा हुई.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं