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This Article is From Feb 13, 2024

दिल्ली में खुला पहला सरकारी स्पोर्ट्स स्कूल, पढ़ाई के साथ बच्चे 10 ओलंपिक ग्रेड खेलों की करते हैं तैयारी

इस विधालय की स्थापना दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के प्रांगण में अगस्त 2023 में की गई थी, और हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री आतिशी ने इसमें एक अत्याधुनिक स्विमिंग पूल का उद्घाटन किया है.

दिल्ली में खुला पहला सरकारी स्पोर्ट्स स्कूल, पढ़ाई के साथ बच्चे 10 ओलंपिक ग्रेड खेलों की करते हैं तैयारी
नई दिल्ली:

दिल्ली में पहला सरकारी स्पोर्ट्स स्कूल खुला है. ये स्पोर्ट्स स्कूल देश के कुछ चुनिंदा विधालयों में से एक है, जिसने अपना पाठ्यक्रम पूर्ण रूप से खेल उन्मुख रखा है. बड़ी बात ये है कि भले ही इस विधालय का दिल्ली सरकार संचालन करती है, लेकिन इस स्कूल में देश भर के बच्चे पढ़ रहे हैं, या फिर ये कहें कि खेल की तैयारी कर रहे हैं.

इस स्पोर्ट्स स्कूल में कक्षा 6 से 9 तक के बच्चे पढ़कर 10 ओलंपिक ग्रेड खेलों की तैयारी कर रहे हैं.

इस स्कूल की क्षमता 200 बच्चों की है, और प्रारंभिक बैच में अभी 172 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही 10 अलग-अलग खेलों का अभ्यास कर रहे हैं. कामनवेल्थ गेम्स 2002 में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले मुकेश कुमार इस विधालय के शूटिंग के हेड कोच हैं.

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कोच मुकेश कुमार ने बताया, "शूटिंग एक महंगा खेल है, पहले इसे राजा महाराजा खेलते थे, अब अगर सामान्य बच्चा इस खेल को खेलने जाए तो सबसे बड़ा खर्च उसका गोलियों पर आता है, लेकिन इस स्कूल के माध्यम से हम गरीब बच्चों में खेल भावना बढ़ा सकते हैं और बच्चों के अंदर के नेचुरल टैलेंट को उभार सकते हैं."

हाल ही में हुआ अत्याधुनिक स्विमिंग पूल का उद्घाटन
इस विधालय की स्थापना दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के प्रांगण में अगस्त 2023 में की गई थी, और हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री आतिशी ने इसमें एक अत्याधुनिक स्विमिंग पूल का उद्घाटन किया है. इस पूल की ख़ास बात ये है कि ये टेम्प्रेचर कंट्रोल्ड है, ताकि ठंड में भी बच्चे अपनी स्विमिंग की प्रैक्टिस करते रहें और अपने खेल को और मजबूत करें.

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देश के अलग-अलग शहरों से बच्चों का चयन
दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल भले ही दिल्ली सरकार द्वारा संचालित है, लेकिन यहां पर दिल्ली के अधिवास का कोई आरक्षण नहीं है. इस स्कूल के प्रारंभिक बैच में एडमिशन के लिए देश के अलग-अलग शहरों में कैंप लगाकर बच्चों की प्रतिभाओं की परीक्षा ली गई और फिर उनका एडमिशन किया गया.

वेटलिफ्टिंग कोच विवेक आनंद साहू बताते हैं कि हम देश के अलग-अलग जगहों से बच्चों को लेकर आये हैं. यहां पर इनकी डेली रूटीन से लेकर इनके खान पान तक, सबका ख्याल रखा जाता है, जिससे हमें एक आल राउंड डेवलपमेंट देखने को मिलता है.

बच्चों को कभी-कभी आती है घर की याद
बच्चों से बात करने पर पता लगा कि जब वे शुरू में आये थे, तब घर की थोड़ी बहुत याद आती थी, लेकिन अब जब उनके कोच और टीचर उनके दोस्त बन गए हैं, तो इस स्कूल में उनको अच्छा लगने लगा है.

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