
जम्मू से श्रद्धालुओं का पहला जत्था बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा के लिए 2 जुलाई की सुबह रवाना होगा. अगर मौसम और हालात अनुकूल रहे तो यह जत्था 3 जुलाई की शाम तक बाबा अमरनाथ के दर्शन करेगा. यह पहला जत्था 14,500 फुट की ऊंचाई पर बनने वाले हिमलिंग के प्रथम दर्शन करेगा.
सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और अन्य अर्धसैनिक बलों के लाखों सुरक्षाकर्मी करीब 38 दिनों तक लखनपुर से लेकर गुफा तक तैनात रहेंगे. स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से श्रद्धालुओं की सेवा के लिए 125 से अधिक लंगरों की व्यवस्था की गई है.
फिलहाल रोज़ाना 15,000 श्रद्धालुओं को पहलगाम और बालटाल के रास्ते यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी गई है. अब तक करीब सवा तीन लाख श्रद्धालु विभिन्न माध्यमों से पंजीकरण करवा चुके हैं, हालांकि यदि किसी श्रद्धालु ने पहले से पंजीकरण नहीं करवाया हो तो वह ऑन स्पॉट भी अपना पंजीकरण करवा सकते हैं.
जम्मू से लेकर बालटाल और पहलगाम तक के रास्तों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ के पास है. अकेले सीआरपीएफ की 221 कंपनियों के अलावा अन्य केन्द्रीय पुलिस बलों की 360 कंपनियां भी सुरक्षा में तैनात की गई हैं. वहीं गुफा की सुरक्षा का जिम्मा ITBP के पास है.
पिछले साल की तुलना में इस बार सुरक्षा और कड़ी की गई है. पिछले वर्ष जहां 514 कंपनियां तैनात थीं, वहीं इस बार यह संख्या बढ़कर 581 हो गई है. इसके अतिरिक्त, सेना और पुलिस के विशेष दस्ते भी चप्पे-चप्पे पर तैनात रहेंगे. इन सुरक्षाबलों में वे जवान भी शामिल हैं, जो लगातार आतंकवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रहते हैं.
यात्रा मार्ग पर हज़ारों हाई-टेक कैमरे लगाए गए हैं, जो संदिग्ध गतिविधियों और आतंकियों की पहचान में सक्षम हैं. अगर यात्रा के दौरान कोई संदिग्ध व्यक्ति कैमरे में नजर आता है तो उसका अलर्ट तुरंत कंट्रोल रूम में पहुंच जाएगा, जिससे उसका बच पाना लगभग नामुमकिन होगा.
जम्मू से जब अमरनाथ यात्रा का काफिला रवाना होगा, तब राजमार्ग पर अन्य वाहनों की आवाजाही पर रोक रहेगी. इस बार सुरक्षा कारणों से हेलीकॉप्टर सेवा भी बंद कर दी गई है. जगह-जगह ड्रोन, स्नाइपर डॉग्स और बम स्क्वॉड की तैनाती की गई है. यात्रा में सिर्फ टैग वाले वाहन ही शामिल हो सकेंगे; बिना टैग वाले वाहनों को रोका जाएगा।
हर तीर्थ यात्री के लिए RFID ट्रैकिंग अनिवार्य की गई है. सभी आधार शिविरों और यात्रा मार्ग पर उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे लगाए गए हैं. यह सच है कि आतंकी हमले के तुरंत बाद तीर्थयात्रियों के पंजीकरण में लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट आई थी, लेकिन अब श्रद्धालुओं का बाबा भोले पर विश्वास फिर से मजबूत हो रहा है, जिस तरह से यात्रा मार्ग की सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई है, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि इस यात्रा को भेद पाना आतंकियों के लिए आसान नहीं होगा.
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