बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम से मुक्त हुईं पीड़ित लड़कियों ने वहां हुए अत्याचारों का खुलासा किया है.
नई दिल्ली:
बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रमों में मालिश से लेकर कई आपत्तिजनक कृत्य लड़कियों से कराए जाते थे. इसका खुलासा आश्रम से निकलीं लड़कियों और महिलाओं ने किया है.
दिल्ली के विजय विहार के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय और इसकी दूसरी शाखाओं में नाबालिग लड़कियों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के सनसनीखेज आरोप लगातार लग रहे हैं. पहली बार पीड़ित लड़कियों और महिलाओं ने बताया कि आश्रम में क्या करता रहा है बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित.
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एक 13 साल की लड़की बाबा के आश्रम में कई सालों तक रही. वह कभी दिल्ली में तो कभी राजस्थान में रही. लड़की के मुताबिक ''आश्रम में रात 10 से दो बजे तक केवल चार घंटे ही सोने को मिलता था. सोने से पहले और उठने के बाद बाबा को याद करने के लिए कहा जाता था. भोजन केवल एक बार मिलता था और शाम को केवल खिचड़ी देते थे. कुछ गलती हो जाए तो पिटाई होती थी. वहां पर गल्ती करने पर वे लोग दो-दो घंटे बाथरूम में बंद कर देते थे और पिटाई करते थे. बाबा एक या दो महीने में एक बार आता था. वह जब आता था तो लड़कियों को दूध में दवा दी जाती थी. कहा जाता था कि दवा शक्ति बढ़ाने की है जिसे बाबा का प्रसाद कहते हैं. उसे पीने के बाद बेचैनी होती थी. उसके बाद बाबा एक-एक करके लड़कियों को अपने कमरे में बुलाता था. कमरे के अंदर वह निर्वस्त्र बैठा होता था और लड़कियों को भी कपड़े निकालने के लिए बोलता था. फिर शरीर में यहां-वहां हाथ लगाता था और बोलता था कि मैं कृष्ण हूं और तुम मेरी गोपी हो. मैं शिव हूं, तुम पार्वती हो."
आश्रम में गरीब लड़कियां भी हैं और अमीर भी. अपनी मां की मदद से किसी तरह बाबा के चंगुल से छूट पाई इस पीड़ित लड़की के मुताबिक ''बाबा आठ साल और पांच साल की लड़कियों के साथ भी गलत करता था और विरोध करने पर बड़ी महिलाएं पिटाई करती थीं.''
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ऐसी ही कहानी 43 साल की एक महिला की भी है जो बाबा के कई आश्रमों में लंबे समय तक रही. महिला के मुताबिक ''आश्रम में जैसे ही बाबा आता था कन्याओं को माताओं से अलग कर दिया जाता था. हर आश्रम में 50 से 100 कन्याओं का ग्रुप होता था. सभी को काबू में रखने के लिए एक महिला इंचार्ज होती थी. रात 12 बजे के बाद बाबा को कन्याएं नहलाती थीं, मालिश करती थीं और बाबा उन्हें गुप्त ज्ञान देता था. बाबा कभी माताओं या भाइयों के पास नहीं लेटता था, वह हमेशा कन्याओं के पास ही लेटता था. उसका एक अलग कमरा था जिसमें वह बारी-बारी से लड़कियों को बुलाता था. सुंदर और कम उम्र की लड़की का सबसे पहले चुनाव होता था.''
महिला ने बताया कि ''जब मैंने दूसरी महिलाओं से पूछा कि बाबा के रूम में रात के वक्त लड़कियां क्यों जाती हैं, तो बताया गया कि बाबा प्रसाद देते हैं, लेकिन प्रसाद हर किसी को नहीं मिलता, जो भाग्यशाली है उसे ही मिलता है. एक दिन मैं भी प्रसाद के बारे में पता लगाने के लिए बाबा के पास लड़कियों के साथ सफेद चादर ओढ़कर गई. अंदर जाने पर बाबा मेरे कपड़े निकालने लगा. मैंने पूछा बाबा ये क्या कर रहे हो तो उसने कहा कि प्रसाद दे रहा हूं. मैंने पूछा ये कैसा प्रसाद है? तो उसने कहा तुम गोपी हो मैं कृष्ण. मैं उसके बाद कई दिन तक आश्रम में रही और मौका मिलते ही अपनी बेटी के साथ किसी तरह से आश्रम से बाहर निकल सकी."
VIDEO : संचालक को पेश होने के निर्देश
पीड़ित महिलाओं और लड़कियों ने खुलासा किया कि बाबा सभी से 10 रुपये के स्टाम्प पर लिखवाता था कि यहां जो भी हो रहा है वह अपनी मर्ज़ी से कर रही हैं. अगर कोई लड़की घर फ़ोन करना चाहे तो आश्रम के फोन से ही फोन कराया जाता था, वह भी स्पीकर ऑन करके. आश्रम में हर जगह कैमरे लगे हैं. पीड़ितों के बयान राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी दर्ज कर लिए हैं.
दिल्ली के विजय विहार के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय और इसकी दूसरी शाखाओं में नाबालिग लड़कियों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के सनसनीखेज आरोप लगातार लग रहे हैं. पहली बार पीड़ित लड़कियों और महिलाओं ने बताया कि आश्रम में क्या करता रहा है बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित.
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एक 13 साल की लड़की बाबा के आश्रम में कई सालों तक रही. वह कभी दिल्ली में तो कभी राजस्थान में रही. लड़की के मुताबिक ''आश्रम में रात 10 से दो बजे तक केवल चार घंटे ही सोने को मिलता था. सोने से पहले और उठने के बाद बाबा को याद करने के लिए कहा जाता था. भोजन केवल एक बार मिलता था और शाम को केवल खिचड़ी देते थे. कुछ गलती हो जाए तो पिटाई होती थी. वहां पर गल्ती करने पर वे लोग दो-दो घंटे बाथरूम में बंद कर देते थे और पिटाई करते थे. बाबा एक या दो महीने में एक बार आता था. वह जब आता था तो लड़कियों को दूध में दवा दी जाती थी. कहा जाता था कि दवा शक्ति बढ़ाने की है जिसे बाबा का प्रसाद कहते हैं. उसे पीने के बाद बेचैनी होती थी. उसके बाद बाबा एक-एक करके लड़कियों को अपने कमरे में बुलाता था. कमरे के अंदर वह निर्वस्त्र बैठा होता था और लड़कियों को भी कपड़े निकालने के लिए बोलता था. फिर शरीर में यहां-वहां हाथ लगाता था और बोलता था कि मैं कृष्ण हूं और तुम मेरी गोपी हो. मैं शिव हूं, तुम पार्वती हो."
आश्रम में गरीब लड़कियां भी हैं और अमीर भी. अपनी मां की मदद से किसी तरह बाबा के चंगुल से छूट पाई इस पीड़ित लड़की के मुताबिक ''बाबा आठ साल और पांच साल की लड़कियों के साथ भी गलत करता था और विरोध करने पर बड़ी महिलाएं पिटाई करती थीं.''
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ऐसी ही कहानी 43 साल की एक महिला की भी है जो बाबा के कई आश्रमों में लंबे समय तक रही. महिला के मुताबिक ''आश्रम में जैसे ही बाबा आता था कन्याओं को माताओं से अलग कर दिया जाता था. हर आश्रम में 50 से 100 कन्याओं का ग्रुप होता था. सभी को काबू में रखने के लिए एक महिला इंचार्ज होती थी. रात 12 बजे के बाद बाबा को कन्याएं नहलाती थीं, मालिश करती थीं और बाबा उन्हें गुप्त ज्ञान देता था. बाबा कभी माताओं या भाइयों के पास नहीं लेटता था, वह हमेशा कन्याओं के पास ही लेटता था. उसका एक अलग कमरा था जिसमें वह बारी-बारी से लड़कियों को बुलाता था. सुंदर और कम उम्र की लड़की का सबसे पहले चुनाव होता था.''
महिला ने बताया कि ''जब मैंने दूसरी महिलाओं से पूछा कि बाबा के रूम में रात के वक्त लड़कियां क्यों जाती हैं, तो बताया गया कि बाबा प्रसाद देते हैं, लेकिन प्रसाद हर किसी को नहीं मिलता, जो भाग्यशाली है उसे ही मिलता है. एक दिन मैं भी प्रसाद के बारे में पता लगाने के लिए बाबा के पास लड़कियों के साथ सफेद चादर ओढ़कर गई. अंदर जाने पर बाबा मेरे कपड़े निकालने लगा. मैंने पूछा बाबा ये क्या कर रहे हो तो उसने कहा कि प्रसाद दे रहा हूं. मैंने पूछा ये कैसा प्रसाद है? तो उसने कहा तुम गोपी हो मैं कृष्ण. मैं उसके बाद कई दिन तक आश्रम में रही और मौका मिलते ही अपनी बेटी के साथ किसी तरह से आश्रम से बाहर निकल सकी."
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पीड़ित महिलाओं और लड़कियों ने खुलासा किया कि बाबा सभी से 10 रुपये के स्टाम्प पर लिखवाता था कि यहां जो भी हो रहा है वह अपनी मर्ज़ी से कर रही हैं. अगर कोई लड़की घर फ़ोन करना चाहे तो आश्रम के फोन से ही फोन कराया जाता था, वह भी स्पीकर ऑन करके. आश्रम में हर जगह कैमरे लगे हैं. पीड़ितों के बयान राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी दर्ज कर लिए हैं.
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