जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के समाप्त किए जाने के बाद पहली बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोई कार्रवाई की है जिसके तहत उसने 7 संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया. इससे पहले ED को राज्य में किसी संपत्ति को अपने कब्जे में लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. ईडी की यह कार्रवाई आतंकियों से जुड़े हवाला कारोबार के खिलाफ है.
प्रवर्तन निदेशालय ने वैश्विक रूप से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित मामले के सिलसिले में पूर्व में कुर्क की गई 13 सम्पत्तियों में से सात का कब्जा ले लिया है. प्रवर्तन निदेशालय ने इन सम्पत्तियों को इस वर्ष मार्च में धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत कुर्क किया था. अधिकारियों ने बताया कि उपरोक्त कानून के अधिकारक्षेत्र को परिभाषित करने वाले प्राधिकरण द्वारा हाल में आदेश को बरकरार रखने के बाद कब्जा नोटिस जारी किया गया था.
प्रवर्तन निदेशालय ने कश्मीर में 1.22 करोड़ रुपये की कुल 13 सम्पत्तियां कुर्क की थीं जो कि बांदीपुरा निवासी मोहम्मद शफी शाह, अनंतनाग जिला निवासी गुलाम नबी और जम्मू कश्मीर के पांच अन्य निवासियों की थीं जो कथित रूप से आतंकवादी संगठन के लिए काम करते थे. उन्होंने बताया कि बाकी छह सम्पत्तियां भी जल्द कब्जे में ली जाएंगी.
जांच एजेंसी ने सलाहुद्दीन, शाह और अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत एनआईए की ओर से दायर आरोप पत्र को संज्ञान में लेते हुए एक आपराधिक मामला दायर किया था.
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा था, ‘‘कश्मीर में सर्वाधिक सक्रिय आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन जम्मू कश्मीर में आतंकवादी एवं अलगाववादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए जिम्मेदार रहा है.'' उसने कहा, ‘‘स्वयंभू कमांडर सैयद सलाहुद्दीन के नेतृत्व वाला संगठन एक ट्रस्ट जेकेएआरटी (जम्मू कश्मीर अफेक्टीज रिलीफ ट्रस्ट) के जरिये धन एकत्रित करके आईएसआई एवं अन्य पाकिस्तानी इकाइयों के साथ कथित मिलीभगत करके भारतीय धरती पर आतंकवाद का वित्तपोषण करता है.''
(इनपुट भाषा से...)
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