पाकिस्तान से लगी सरहद पर मोदी सरकार का असर अब दिखने लगा है। कम से कम आंकड़े तो यही कहते हैं। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने लोकसभा में बताया कि पिछले साल की तुलना में न केवल घुसपैठ में कमी आई है, बल्कि संघर्ष विराम का उल्लघंन भी कम हुआ है।
2013 में जहां लाइन ऑफ कंट्रोल पर 199 दफा तो वही 2014 में 153 बार संघर्ष विराम का उल्लघंन हुआ, तो 28 फरवरी तक सिर्फ पांच ही ऐसी घटनायें हुई। यह ही नहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जहां सीमा सुरक्षा बल तैनात हैं वहां पर भी पिछले साल की तुलना में कुछ कमी आई है।
2013 में जहां 148 दफा तो 2014 में 430 दफा, तो फरवरी 2015 तक 156 बार संघर्ष विराम का उल्लघंन हुआ। रक्षामंत्री ने यह भी कहा कि जब भी पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम का उल्लघंन हुआ है, तो उस मामले को सरकार ने उचित स्तर पर उठाया है। चाहे वह हॉट लाइन के जरिये हो फिर फ्लैग मीटिंग के जरिये।
कूटनीतिक स्तर पर भी भारत का हमेशा से जोर रहा है कि पाकिस्तान 2003 में हुए संघर्ष विराम समझौते का पालन करे। वही राजस्थान से लगी सीमा पर पिछले दो साल में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है। सरकार के आकलन के मुताबिक, 2013 के मुकाबले 2014 में घुसपैठ में कमी आई है।
पिछले दो साल में पाकिस्तान से हुई फायरिंग की वजह से 193 जम्मू-कश्मीर के घर तबाह हुए है। वही पिछले तीन साल के दौरान जम्मू-कश्मीर में सेना के 17 और बीएसएफ के 6 जवान शहीद हुए है। रक्षामंत्री ने यह भी कहा कि सरकार समय-समय पर सरहद पर आने वाली चुनौतियों की समीक्षा करती रहती है। देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सरकार सुरक्षा इंतजामों में इजाफा करती रहती है।
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