नई दिल्ली:
नोबल पुरस्कार विजेता और म्यांमा की विपक्ष की नेता आंग सान सू ची ने बुधवार को कहा कि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू दो ऐसे भारतीय हैं जिन्हें वह ‘सबसे करीब’ महसूस करती हैं। उन्होंने याद किया कि कैसे उनमें और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री में कई चीजें समान हैं।
भारत में शिक्षित हुईं लोकतंत्र समर्थक नेता 25 साल बाद यहां आई हैं। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी की राह में गांधी और नेहरू ने कई चुनौतियों का सामना किया और ऐसे ही चुनौतियों का सामना उनके आंदोलन ने भी अपने संघर्ष के दौरान किया जिसके अगले साल 25 साल पूरे हो जाएंगे।
अपनी पहली नजरबंदी से रिहा होने वाले वर्ष 1995 में जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार पाने के 17 सालों बाद जवाहरलाल नेहरू स्मृति व्याख्यान में सू ची ने कहा, ‘‘कई मतभेदों के बाद भी, व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों स्तरों पर संबंधों का कायम रहना भारतीय राजनीति के फतहों में से एक है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने भाषण में सू ची की पांच दिनों की यात्रा को ‘घर आने जैसा’ बताया और लोकतंत्र समर्थक नेता से कहा कि वह अपने ‘भद्र पिता की विरासत’ की योग्य उत्तराधिकारी हैं।
सोनिया ने कहा कि ‘नैतिक आह्वान’ के तौर पर सू ची के राजनीतिक दर्शन ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है। कांग्रेय अध्यक्ष ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी की तरह, उनका जीवन उनका संदेश है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि लोकतंत्र समर्थक नेता के लिए नेहरू भी प्रेरणा के स्रोत रहे।
सू ची ने कहा कि उनकी राजनीतिक सोच पर महात्मा गांधी के प्रभाव को व्यापक तौर पर स्वीकार किया जाता है लेकिन उनके राजनीतिक जीवन पर नेहरू के प्रभाव के बारे में कम जानकारी है। सू ची की यात्रा भावुक यात्रा है क्योंकि 1960 के दशक में अपनी मां के यहां राजदूत होने के दौरान उन्होंने छात्र के तौर पर कई साल यहां गुजारे थे।
2010 में सैन्य जुंटा द्वारा रिहा की गईं लोकतंत्र समर्थक नेता नयी दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज का दौरा भी करने वाली हैं जहां से उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। सोनिया ने सू ची को कहा, ‘‘आप अपने देश में महात्मा गांधी की मशाल की रक्षक हैं।’’
भारत में शिक्षित हुईं लोकतंत्र समर्थक नेता 25 साल बाद यहां आई हैं। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी की राह में गांधी और नेहरू ने कई चुनौतियों का सामना किया और ऐसे ही चुनौतियों का सामना उनके आंदोलन ने भी अपने संघर्ष के दौरान किया जिसके अगले साल 25 साल पूरे हो जाएंगे।
अपनी पहली नजरबंदी से रिहा होने वाले वर्ष 1995 में जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार पाने के 17 सालों बाद जवाहरलाल नेहरू स्मृति व्याख्यान में सू ची ने कहा, ‘‘कई मतभेदों के बाद भी, व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों स्तरों पर संबंधों का कायम रहना भारतीय राजनीति के फतहों में से एक है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने भाषण में सू ची की पांच दिनों की यात्रा को ‘घर आने जैसा’ बताया और लोकतंत्र समर्थक नेता से कहा कि वह अपने ‘भद्र पिता की विरासत’ की योग्य उत्तराधिकारी हैं।
सोनिया ने कहा कि ‘नैतिक आह्वान’ के तौर पर सू ची के राजनीतिक दर्शन ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है। कांग्रेय अध्यक्ष ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी की तरह, उनका जीवन उनका संदेश है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि लोकतंत्र समर्थक नेता के लिए नेहरू भी प्रेरणा के स्रोत रहे।
सू ची ने कहा कि उनकी राजनीतिक सोच पर महात्मा गांधी के प्रभाव को व्यापक तौर पर स्वीकार किया जाता है लेकिन उनके राजनीतिक जीवन पर नेहरू के प्रभाव के बारे में कम जानकारी है। सू ची की यात्रा भावुक यात्रा है क्योंकि 1960 के दशक में अपनी मां के यहां राजदूत होने के दौरान उन्होंने छात्र के तौर पर कई साल यहां गुजारे थे।
2010 में सैन्य जुंटा द्वारा रिहा की गईं लोकतंत्र समर्थक नेता नयी दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज का दौरा भी करने वाली हैं जहां से उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। सोनिया ने सू ची को कहा, ‘‘आप अपने देश में महात्मा गांधी की मशाल की रक्षक हैं।’’
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