विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 26 सितंबर को यूएन जनरल असेंबली में बोलेंगी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 26 सितंबर को यूएन जनरल असेंबली में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के कश्मीर राग का जवाब देंगी. भारत की कोशिश होगी कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के ख़िलाफ़ सम्मेलन हो और संयुक्त राष्ट्र में सभी देश इस पर हस्ताक्षर करें.
भारत का मानना है कि ज़्यादातर देश इस बात का समर्थन करते हैं और इसका जल्द समाधान भी चाहते हैं. रूस और पाकिस्तान के साझा सैन्य अभ्यास पर भारत का कहना है कि रूस ने भारत को अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है.
सुषमा स्वराज महासभा में अपने संबोधन में आतंकवाद से लड़ने के लिए कंप्रीहेंसिव कॉन्वेंशन ऑन इंटरनेशल टेररिज्म (सीसीआईटी) को लेकर आम सहमति बनाने पर जोर देंगी. शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने NDTV से कहा- वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद निश्चित रूप से इकलौता सबसे बड़ा खतरा है. स्वरूप ने कहा कि इस कॉन्वेंशन से आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए कानूनी ताकत देगी.
भारत ने यह पहले सबसे पहले 1996 में की थी. तब से लेकर अब तक इस बाबत काफी प्रगति तो देखी गई लेकिन इसमें क्या क्या शामिल न किया जाए, को लेकर अपेक्षाकृत कम आगे बढ़े. स्वरूप का कहना है कि सीसीआईटी को लेकर वृहद समर्थन देखा जा रहा है. (विकास स्वरूप का कहना है कि सीसीआईटी को लेकर वृहद समर्थन देखा जा रहा)
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में जिस बात को महत्ता दी जा रही है वह आतंकवाद का खतरा है जिसका सामना भारत कर रहा है, न कि कश्मीर का मसला है जिस पर शरीफ ने अपने भाषण में ध्यान केंद्रित किया था.
उन्होंने कहा, ‘यदि आम बहस में अब तक 131 देशों ने अपनी बात रखी है, तो उनमें से 130 देशों ने उस प्राथमिक मुद्दे का जिक्र नहीं किया है जिसे पाकिस्तान ने उठाया है. इसका क्या अर्थ है.’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र की इस उच्च स्तरीय बहस में अपनी बात रखने वाले ‘90 प्रतिशत’ देशों ने इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद उनकी प्राथमिक चिंता है. अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत अन्य देशों से उसे मिल रहे समर्थन को लेकर कृतज्ञ है। अधिक से अधिक देश आतंकवाद की बुराई से निपटने के लिए अपना समर्थन जता रहे हैं और इसके लिए खड़े हो रहे हैं.
भारत का मानना है कि ज़्यादातर देश इस बात का समर्थन करते हैं और इसका जल्द समाधान भी चाहते हैं. रूस और पाकिस्तान के साझा सैन्य अभ्यास पर भारत का कहना है कि रूस ने भारत को अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है.
सुषमा स्वराज महासभा में अपने संबोधन में आतंकवाद से लड़ने के लिए कंप्रीहेंसिव कॉन्वेंशन ऑन इंटरनेशल टेररिज्म (सीसीआईटी) को लेकर आम सहमति बनाने पर जोर देंगी. शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने NDTV से कहा- वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद निश्चित रूप से इकलौता सबसे बड़ा खतरा है. स्वरूप ने कहा कि इस कॉन्वेंशन से आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए कानूनी ताकत देगी.
भारत ने यह पहले सबसे पहले 1996 में की थी. तब से लेकर अब तक इस बाबत काफी प्रगति तो देखी गई लेकिन इसमें क्या क्या शामिल न किया जाए, को लेकर अपेक्षाकृत कम आगे बढ़े. स्वरूप का कहना है कि सीसीआईटी को लेकर वृहद समर्थन देखा जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में जिस बात को महत्ता दी जा रही है वह आतंकवाद का खतरा है जिसका सामना भारत कर रहा है, न कि कश्मीर का मसला है जिस पर शरीफ ने अपने भाषण में ध्यान केंद्रित किया था.
उन्होंने कहा, ‘यदि आम बहस में अब तक 131 देशों ने अपनी बात रखी है, तो उनमें से 130 देशों ने उस प्राथमिक मुद्दे का जिक्र नहीं किया है जिसे पाकिस्तान ने उठाया है. इसका क्या अर्थ है.’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र की इस उच्च स्तरीय बहस में अपनी बात रखने वाले ‘90 प्रतिशत’ देशों ने इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद उनकी प्राथमिक चिंता है. अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत अन्य देशों से उसे मिल रहे समर्थन को लेकर कृतज्ञ है। अधिक से अधिक देश आतंकवाद की बुराई से निपटने के लिए अपना समर्थन जता रहे हैं और इसके लिए खड़े हो रहे हैं.
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