प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिला था. 26 मई 2017 को सरकार के तीन साल पूरे हो जाएंगे. इस मौके पर सरकार के कामकाज के बारे में लोगों की राय क्या है, यह जानने के लिए नागरिक जुड़ाव मंच लोकल सर्किल्स ने एक सर्वेक्षण किया है. इस सर्वे में 40,000 से भी ज्यादा नागरिकों ने हिस्सा लिया और इस सर्वे में 20,000 से भी अधिक वोट डाले गए. इस सर्वे में करीब 68 प्रतिशत लोग पुरुष, जबकि 32 प्रतिशत महिलाओं ने हिस्सा लिया. लोकल सर्किल्स की प्रेस रिलीज़ के हिसाब से इस सर्वे में लगभग 42 प्रतिशत उत्तरदाता टियर-1 शहरों के थे, 28 प्रतिशत टियर-2 के, 30 प्रतिशत टियर-3 और ग्रामीण स्थानों के थे. चुनाव में हिस्सा लेने वालों की औसत उम्र 32 वर्ष थी. इस सर्वे में नोटबंदी, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, बेरोज़गारी के साथ कई दूसरे मामलों में सवाल पूछे गए...
पिछले तीन सालों में सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा : सर्वे में 17 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार ने उम्मीद से बेहतर काम किया है. 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार ने उम्मीद के मुताबिक काम किया है, जबकि 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार ने उम्मीद से कम काम किया है. जब लोगों से यह पूछा कि क्या सरकार अत्यावश्यक वस्तुओं की कीमत कम करने में सफल हुई है.. तो 28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार सफल हुई है, जबकि 66 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार सफल नहीं हुई है. जब लोगों से यह पूछा गया कि क्या सांप्रदायिकता से जुड़े मुद्दे को कंट्रोल करने में सरकार सफल हुई है तो 61 प्रतिशत लोगों ने 'हां' में जबाब दिया, जबकि 31 फीसदी ने 'न' में जबाब दिया.
क्या नोटबंदी के जरिए सरकार कालेधन पर शिकंजा कस पाई है : 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. नोटबंदी के तहत 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाया दिया गया था. प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम से पूरे भारत में हलचल मच गई थी. कुछ लोग इस कदम से पूरी तरह खुश थे तो कुछ लोग सरकार के इस कदम की घोर आलोचना भी की थी. लोकल सर्किल्स की तरफ से लोगों से यह भी पूछा गया कि क्या नोटबंदी के जरिए सरकार कालेधन पर शिकंजा कसने में सफल हुई है, तो 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार शिकंजा कसने में कामयाब हुई है, जबकि 37 प्रतिशत लोगों ने 'न' में जवाब दिया. जब लोगों से यह सवाल पूछा गया क्या नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचार कम हुआ है तो 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नोटबंदी की वजह से भ्रष्टाचार में कमी नहीं आई है, जबकि 37 प्रतिशत लोगों ने कहा की भ्रष्टाचार में कमी आई है. जब लोगों से पूछा गया क्या पिछले तीन सालों में भारत में भ्रष्टाचार में कमी आई है तो 47 प्रतिशत लोगों ने 'हां' में जबाब दिया, जबकि 43 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है.
बेरोज़गारी दर को लेकर लोगों का क्या कहना है : केंद्र सरकार ने बेरोज़गारी कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन शायद इसका असर अब आम लोगों के ऊपर नहीं हुआ है. जब लोगों से यह सवाल पूछा गया क्या भारत में बेरोज़गारी दर कम हुई है तो 63 प्रतिशत लोगों ने कहा बेरोज़गारी दर में कोई कमी नहीं आई है, जबकि 21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बेरोज़गारी दर में कमी आई है. जब लोगों से यह पूछा गया क्या भारत में वह खुद के और अपने परिवार के भविष्य को लेकर आशावादी है तो 69 लोगों ने कहा कि वे आशावादी हैं, जबकि 21 प्रतिशत लोगों ने कहा, वह आशावादी नहीं है. भारत में व्यापार करने के मामले में जब लोगों से सवाल किया गया तो 36 प्रतिशत लोगों ने कहा की भारत में व्यापार करना आसान हो गया है, जबकि 36 फीसदी ने कहा कि भारत में व्यापार करना आसान नहीं है. 28 प्रतिशत लोगों ने कोई जबाब नहीं दिया.
स्वच्छ भारत अभियान से क्या शहर साफ़ हुए हैं : 2 अक्टूबर 2014 को सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान तहत सरकार द्वारा करोड़ों रुपये भी खर्च किए गए. शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण.. ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर पारस्परिक संवाद, कार्यान्वयन और वितरण तंत्र को मज़बूती के साथ-साथ लोगों में व्यावहारिक बदलाव पर जोर दिया गया. जब लोगों से पूछा गया कि क्या पिछले तीन सालों में उनके शहर ज्यादा साफ़-सुथरे हुए हैं तो 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नहीं हुई है, जबकि 35 प्रतिशत लोगों ने कहा की शहर साफ हुए हैं. आठ प्रतिशत ने लोग कुछ भी कहने से मना कर दिया. जब लोगों से यह भी पूछा गया क्या उनके शहर में स्वास्थ्य सुविधा और सेवा में सुधार आया है तो 58 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कोई सुधार नहीं हुआ है, जबकि 23 प्रतिशत लोगों ने कहा की सुधार हुआ है.
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध : इस सर्वे में 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पिछले तीन सालों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध कम नहीं हुए हैं, जबकि 28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अपराध में गिरावट आई है. चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कई वादे किए थे. जब लोगों से यह पूछा गया क्या पिछले तीन सालों में अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों को निभाने में सरकार सफल हुई है तो 59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार सफल हुई है, जबकि 32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार सफल नहीं हुए हैं.
क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि में सुधार आया है : सर्वे में विदेश मामलों को लेकर भी लोगों से सवाल किए गए. जब लोगों से पूछा गया क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि में सुधार आया है तो 81 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हां सुधार आया है, जबकि 13 प्रतिशत लोगों ने कहा कोई सुधार नहीं आया है और 6 प्रतिशत लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया. जब लोगों से यह भी पूछा गया कि पाकिस्तान को भारत ने जिस ढंग से हैंडल किया है, क्या वे उसे अनुमोदित करते हैं तो 64 प्रतिशत लोगों ने 'हां' में जवाब दिया, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने 'न' में जवाब दिया.
क्या सांसद अपने चुनाव क्षेत्र की समस्या को दूर करने में सफल हुए हैं : इस सर्वे में यह सामने आया है कि पिछले तीन सालों में सांसदों के कामकाज को लेकर लोग खुश नहीं है. लोगों से यह सवाल किया गया क्या सांसद अपने चुनाव क्षेत्र की समस्या को दूर करने में सफल हुए हैं तो 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं हुया है, जबकि 14 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सांसद समस्या दूर करने में सफल हुए हैं. 17 प्रतिशत लोगों ने कोई जवाब नहीं दिए. लेकिन संसद में सरकार के कामकाज को लेकर लोग खुश नज़र आए. जब लोगों से यह पूछा गया क्या सरकार ने संसद को सही तरीके से हैंडल करने के साथ-साथ महत्पूर्ण बिलों पर सही कदम उठाया है तो 65 प्रतिशत लोग इस मामले में सरकार से खुश नज़र आए, जबकि 28 प्रतिशत लोग नाखुश दिखे.
पिछले तीन सालों में सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा : सर्वे में 17 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार ने उम्मीद से बेहतर काम किया है. 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार ने उम्मीद के मुताबिक काम किया है, जबकि 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार ने उम्मीद से कम काम किया है. जब लोगों से यह पूछा कि क्या सरकार अत्यावश्यक वस्तुओं की कीमत कम करने में सफल हुई है.. तो 28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार सफल हुई है, जबकि 66 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार सफल नहीं हुई है. जब लोगों से यह पूछा गया कि क्या सांप्रदायिकता से जुड़े मुद्दे को कंट्रोल करने में सरकार सफल हुई है तो 61 प्रतिशत लोगों ने 'हां' में जबाब दिया, जबकि 31 फीसदी ने 'न' में जबाब दिया.
क्या नोटबंदी के जरिए सरकार कालेधन पर शिकंजा कस पाई है : 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. नोटबंदी के तहत 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाया दिया गया था. प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम से पूरे भारत में हलचल मच गई थी. कुछ लोग इस कदम से पूरी तरह खुश थे तो कुछ लोग सरकार के इस कदम की घोर आलोचना भी की थी. लोकल सर्किल्स की तरफ से लोगों से यह भी पूछा गया कि क्या नोटबंदी के जरिए सरकार कालेधन पर शिकंजा कसने में सफल हुई है, तो 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार शिकंजा कसने में कामयाब हुई है, जबकि 37 प्रतिशत लोगों ने 'न' में जवाब दिया. जब लोगों से यह सवाल पूछा गया क्या नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचार कम हुआ है तो 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नोटबंदी की वजह से भ्रष्टाचार में कमी नहीं आई है, जबकि 37 प्रतिशत लोगों ने कहा की भ्रष्टाचार में कमी आई है. जब लोगों से पूछा गया क्या पिछले तीन सालों में भारत में भ्रष्टाचार में कमी आई है तो 47 प्रतिशत लोगों ने 'हां' में जबाब दिया, जबकि 43 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है.
बेरोज़गारी दर को लेकर लोगों का क्या कहना है : केंद्र सरकार ने बेरोज़गारी कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन शायद इसका असर अब आम लोगों के ऊपर नहीं हुआ है. जब लोगों से यह सवाल पूछा गया क्या भारत में बेरोज़गारी दर कम हुई है तो 63 प्रतिशत लोगों ने कहा बेरोज़गारी दर में कोई कमी नहीं आई है, जबकि 21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बेरोज़गारी दर में कमी आई है. जब लोगों से यह पूछा गया क्या भारत में वह खुद के और अपने परिवार के भविष्य को लेकर आशावादी है तो 69 लोगों ने कहा कि वे आशावादी हैं, जबकि 21 प्रतिशत लोगों ने कहा, वह आशावादी नहीं है. भारत में व्यापार करने के मामले में जब लोगों से सवाल किया गया तो 36 प्रतिशत लोगों ने कहा की भारत में व्यापार करना आसान हो गया है, जबकि 36 फीसदी ने कहा कि भारत में व्यापार करना आसान नहीं है. 28 प्रतिशत लोगों ने कोई जबाब नहीं दिया.
स्वच्छ भारत अभियान से क्या शहर साफ़ हुए हैं : 2 अक्टूबर 2014 को सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान तहत सरकार द्वारा करोड़ों रुपये भी खर्च किए गए. शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण.. ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर पारस्परिक संवाद, कार्यान्वयन और वितरण तंत्र को मज़बूती के साथ-साथ लोगों में व्यावहारिक बदलाव पर जोर दिया गया. जब लोगों से पूछा गया कि क्या पिछले तीन सालों में उनके शहर ज्यादा साफ़-सुथरे हुए हैं तो 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नहीं हुई है, जबकि 35 प्रतिशत लोगों ने कहा की शहर साफ हुए हैं. आठ प्रतिशत ने लोग कुछ भी कहने से मना कर दिया. जब लोगों से यह भी पूछा गया क्या उनके शहर में स्वास्थ्य सुविधा और सेवा में सुधार आया है तो 58 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कोई सुधार नहीं हुआ है, जबकि 23 प्रतिशत लोगों ने कहा की सुधार हुआ है.
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध : इस सर्वे में 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पिछले तीन सालों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध कम नहीं हुए हैं, जबकि 28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अपराध में गिरावट आई है. चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कई वादे किए थे. जब लोगों से यह पूछा गया क्या पिछले तीन सालों में अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों को निभाने में सरकार सफल हुई है तो 59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार सफल हुई है, जबकि 32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार सफल नहीं हुए हैं.
क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि में सुधार आया है : सर्वे में विदेश मामलों को लेकर भी लोगों से सवाल किए गए. जब लोगों से पूछा गया क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि में सुधार आया है तो 81 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हां सुधार आया है, जबकि 13 प्रतिशत लोगों ने कहा कोई सुधार नहीं आया है और 6 प्रतिशत लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया. जब लोगों से यह भी पूछा गया कि पाकिस्तान को भारत ने जिस ढंग से हैंडल किया है, क्या वे उसे अनुमोदित करते हैं तो 64 प्रतिशत लोगों ने 'हां' में जवाब दिया, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने 'न' में जवाब दिया.
क्या सांसद अपने चुनाव क्षेत्र की समस्या को दूर करने में सफल हुए हैं : इस सर्वे में यह सामने आया है कि पिछले तीन सालों में सांसदों के कामकाज को लेकर लोग खुश नहीं है. लोगों से यह सवाल किया गया क्या सांसद अपने चुनाव क्षेत्र की समस्या को दूर करने में सफल हुए हैं तो 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं हुया है, जबकि 14 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सांसद समस्या दूर करने में सफल हुए हैं. 17 प्रतिशत लोगों ने कोई जवाब नहीं दिए. लेकिन संसद में सरकार के कामकाज को लेकर लोग खुश नज़र आए. जब लोगों से यह पूछा गया क्या सरकार ने संसद को सही तरीके से हैंडल करने के साथ-साथ महत्पूर्ण बिलों पर सही कदम उठाया है तो 65 प्रतिशत लोग इस मामले में सरकार से खुश नज़र आए, जबकि 28 प्रतिशत लोग नाखुश दिखे.
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