- गढ़चिरौली में मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने 61 साथियों के साथ सीएम के सामने आत्मसमर्पण किया था.
- भूपति ने सक्रिय नक्सलियों से हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने और जनता के बीच काम करने की अपील की है.
- उन्होंने कहा कि सशस्त्र संघर्ष ने नक्सलियों को जनता से दूर कर दिया है, इसलिए हिंसा का रास्ता छोड़ना चाहिए.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में अपने 61 साथियों के साथ शीर्ष नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने 14 अक्टूबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. हालिया दौर में यह सबसे बडा नक्सली सरेंडर माना गया और अब सिर्फ उंगलियों पर गिनी जाने वाली संख्या में नक्सलवादी रह गए हैं. हालांकि अब भूपति ने अपने सक्रिय साथियों से हथियार डालने और जनता के बीच काम करने के लिए मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया है. भूपति ने एक वीडियो के जरिए यह अपील की.
वीडियो संदेश में भूपति ने अपना और आत्मसमर्पण कर चुके साथी रूपेश के मोबाइल फोन नंबर साझा किए हैं, जिससे मुख्यधारा में लौटने के इच्छुक नक्सली उनसे संपर्क कर सकें.
जनता से दूर कर दिया: भूपति
भूपति, पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के सदस्य, केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो के सचिव और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के प्रवक्ता थे. भूपति ने कहा कि सत्ता और भूमि के लिए सशस्त्र संघर्ष में शामिल साथियों को यह समझना चाहिए कि उनके कामों ने उन्हें जनता से दूर कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘‘सक्रिय माओवादियों को हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करना चाहिए और मुख्यधारा में शामिल होकर लोगों के बीच काम करना चाहिए.''
केंद्रीय समिति पर सख्त रुख अपनाने का आरोप
उन्होंने प्रतिबंधित संगठन की केंद्रीय समिति पर ‘‘सख्त रुख'' अपनाने का भी आरोप लगाया, क्योंकि वह चारों ओर हो रहे बदलाव को महसूस करने के बावजूद सशस्त्र संघर्ष को छोड़ने को तैयार नहीं है.
उन्होंने कहा कि जो लोग उन्हें और आत्मसमर्पण करने वाले अन्य नक्सलियों को ‘‘गद्दार'' कह रहे हैं, वे गलत सूचना फैला रहे हैं.
हमारे फैसले को समझें और समर्थन करें: भूपति
भूपति ने कहा कि पिछले महीने छत्तीसगढ़ में हथियार डालने वाले रूपेश ने विस्तार से बताया था कि उग्रवादियों को क्यों आत्मसमर्पण करना चाहिए.
भूपति ने कहा, ‘‘इसलिए मैं इसे (आत्मसमर्पण की आवश्यकता) आगे नहीं समझाऊंगा.''
उन्होंने कहा कि स्थिति अब बदल गई है और माओवादियों को सशस्त्र संघर्ष को छोड़कर कानून के दायरे में काम करना होगा.
उन्होंने वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मैं देश के सभी बुद्धिजीवियों, जनवादी प्रेमियों और सबसे महत्वपूर्ण, आदिवासियों के हितैषियों से अनुरोध करता हूं कि वे हमारे फैसले को समझें और हमारा समर्थन करें.''
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