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This Article is From Dec 11, 2014

बस्तर में 'माओवादियों' के 'आत्मसमर्पण' पर फिर उठे सवाल

Hridayesh Joshi, Rajeev Mishra
  • India,
  • Updated:
    दिसंबर 11, 2014 22:39 pm IST
    • Published On दिसंबर 11, 2014 22:28 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 11, 2014 22:39 pm IST

नक्सलियों से बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण कराने के छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस के दावे पर सवाल उठना जारी है। बस्तर के कुछ आदिवासी गुरुवार को रायपुर पहुंच  गए और दावा किया कि  मासूम आदिवासियों को नक्सली के तौर पर सरेंडर कराने के लिए पुलिस दबाव बना रही है औऱ सरकार की सरेंडर नीति का दुरुपयोग किया जा रहा है। बस्तर से आए एक आदिवासी आयताराम मंडावी और इसकी पत्नी सुकड़ी ने आरोप लगाया कि पुलिस उनको पिछले कई दिनों से परेशान कर रही है और नक्सली बताकर सरेंडर करने को कहा जा रहा है।

आयताराम मंडावी पहले भाजपा के कार्यकर्ता रहे हैं और गुरुवार को उन्होंने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। आयताराम के साथ आम आदमी पार्टी के टिकट पर बस्तर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी सोनी सोरी भी थीं। इन लोगों ने आरोप लगाया कि पिछली 20 नवंबर को पुलिस आयताराम की पत्नी सुकड़ी को उठा लिया और दबाव बनाया कि वो आयताराम को नक्सली के रूप में सरेंडर कराये।

एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में आयताराम मंडावी ने कहा कि उनसे बार बार नक्सली के रूप में सरेंडर करने को कहा जा रहा है, पुलिस उन पर दबाव डाल रही है और वो जान का खतरा महसूस कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में आत्मसमर्पण नीति के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने कई नक्सलियों के समर्पण का दावा किया है कि लेकिन अब सरेंडर करने वाले लोगों की सच्चाई को लेकर लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आत्मसमर्पण करने वाले ज्यादातर माओवादियों पर मामूली आरोप हैं और वह माओवादी नहीं कहे जा सकते।

उधर, एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में बस्तर के आईजी एसआरपी कल्लूरी ने आयताराम के मामले में कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन ये कहा कि मासूम आदिवासियों को नक्सली बताकर सरेंडर कराने की बात की पूरी तरह से गलत है और मीडिया खबरों को गलत तरीके से दिखा रहा है। आईजी कल्लूरी का कहना है कि लगातार हो रहे आत्मसमर्पणों से माओवादियों की कमर टूट रही है और वो तिलमिला गए हैं। आई जी कल्लूरी ने कहा,‘हमारा मकसद आदिवासियों को मारना नहीं उन्हें मुख्य धारा में लाना है और हम यही काम कर रहे हैं. पुलिस और लोगों के बीच एक रिश्ता कायम हो रहा है और माओवादियों के कई फ्रंट इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे’।

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