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1 hour ago

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ आज राष्‍ट्रपति और राज्‍यपालों के अधिकारों पर अहम फैसला सुना सकती है. पीठ यह तय करेगी कि क्या अदालत राज्यपाल और राष्ट्रपति के ऊपर यह समयसीमा तय कर सकती है कि वह राज्य के विधेयकों पर कितने समय के अंदर फैसले लें. यह फैसला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई की अगुवाई वाली पांच जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच सुनाएगी. बता दें सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने पहले कहा था कि गवर्नर को राज्य के विधेयकों पर 3 महीने में फैसला लेना होगा.

पांच सदस्यीय संविधान पीठ करेगी सुनवाई

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ करेगी। इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, पीएस नरसिम्हा और एएस चंदुरकर भी शामिल हैं. यह मामला इसलिए अहम है क्योंकि यह राज्यपालों की ओर से विधेयकों पर निर्णय लेने में हो रही देरी पर स्पष्ट दिशा-निर्देश तय कर सकता है, जिससे केंद्र और राज्य के बीच टकराव के मुद्दों पर न्यायिक मार्गदर्शन मिल सकेगा.

राष्ट्रपति ने इन 14 सवालों पर SC की राय मांगी

ये फैसला राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उन 14 सवालों के जवाब में आएगा, जो उन्होंने संविधान के अनुच्‍छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से पूछे हैं. इसकी जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 8 अप्रैल को तमिलनाडु सरकार के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा था कि गवर्नर राज्य के बिलों पर फैसला करने में देरी नहीं कर सकते. गवर्नर को विधेयक पर तीन महीने में निर्णय लेना होगा चाहे वो उसे रोकने का फैसला करें, पास करने का या फिर राष्ट्रपति के पास भेजने का. 

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