नई दिल्ली:
धर्मपरिवर्तन और 'लव जिहाद' से जुड़े एक मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है. कोर्ट ने इस मामले में महिला के पति को भी नोटिस जारी किया है. वहीं इस मामले में कोर्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने कहा है कि आरोपी युवक के खिलाफ उसके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके उसका संबंध आईएसआईएस से है वहीं इसकी जांच में राज्य सरकार की पुलिस भी जुड़ी हुई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लड़की के पिता, केरल सरकार और NIA को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जब भी जरूरत होगी युवती को 24 घंटे में पेश करना होगा.
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क्या है पूरा मामला
केरल की रहनी वाली अखिला के पिता केएम अशोकन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि मुस्लिन युवक सैफीन पर आरोप लगाया था कि उसने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर पहले धर्म परिवर्तन कराया और शादी करने के बाद उसे आईएसआईएस में शामिल होने का दबाव बना रहा है. अशोकन ने इस शादी को तोड़ने के लिए याचिका दाखिल की थी. इस पर हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि शादी उसके जीवन का सबसे अहम फैसला है और उसे इसमें अपने माता-पिता की सलाह लेनी चाहिए थी. कथित तौर पर हुई शादी बकवास है और कानून की नजर में इसकी कोई अहमियत नहीं है. उसके शौहर को उसका पति बनने का कोई अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने अशोकन को उनकी बेटी अखिला को सुरक्षा देने के लिए कोट्टयम जिला पुलिस को निर्देश दिया।अदालत के आदेश पर महिला छात्रावास में रह रही अखिला अब अपने पिता अशोकन के साथ रहेगी. अदालत ने पुलिस को मामले की जांच के भी आदेश दिए हैं.
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क्या है लड़की का बयान
हालांकि अखिला ने कोर्ट के सामने कहा था कि उसने अपनी मर्जी से मुस्लिम धर्म कबूल किया है. अखिला के मुसलमान बन जाने के बाद अशोकन ने पिछले साल अदालत में याचिका दायर की थी. अशोकन की याचिका पर सुनवाई के दौरान ही अखिला ने शफीन जहां नाम के मुस्लिम लड़के से निकाह कर लिया था जिसे कोर्ट ने अवैध करार दे दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ युवती के पति ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई तो पूरा मामला सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि बड़ा संवेदनशील मुद्दा है और इस पर विस्तार से सुनवाई जरूरी है.
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क्या है पूरा मामला
केरल की रहनी वाली अखिला के पिता केएम अशोकन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि मुस्लिन युवक सैफीन पर आरोप लगाया था कि उसने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर पहले धर्म परिवर्तन कराया और शादी करने के बाद उसे आईएसआईएस में शामिल होने का दबाव बना रहा है. अशोकन ने इस शादी को तोड़ने के लिए याचिका दाखिल की थी. इस पर हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि शादी उसके जीवन का सबसे अहम फैसला है और उसे इसमें अपने माता-पिता की सलाह लेनी चाहिए थी. कथित तौर पर हुई शादी बकवास है और कानून की नजर में इसकी कोई अहमियत नहीं है. उसके शौहर को उसका पति बनने का कोई अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने अशोकन को उनकी बेटी अखिला को सुरक्षा देने के लिए कोट्टयम जिला पुलिस को निर्देश दिया।अदालत के आदेश पर महिला छात्रावास में रह रही अखिला अब अपने पिता अशोकन के साथ रहेगी. अदालत ने पुलिस को मामले की जांच के भी आदेश दिए हैं.
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क्या है लड़की का बयान
हालांकि अखिला ने कोर्ट के सामने कहा था कि उसने अपनी मर्जी से मुस्लिम धर्म कबूल किया है. अखिला के मुसलमान बन जाने के बाद अशोकन ने पिछले साल अदालत में याचिका दायर की थी. अशोकन की याचिका पर सुनवाई के दौरान ही अखिला ने शफीन जहां नाम के मुस्लिम लड़के से निकाह कर लिया था जिसे कोर्ट ने अवैध करार दे दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ युवती के पति ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई तो पूरा मामला सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि बड़ा संवेदनशील मुद्दा है और इस पर विस्तार से सुनवाई जरूरी है.
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