"केंद्र से मंजूरी लेकर जल्द जमा कराएं फंड", RRTS कॉरिडोर पर दिल्ली सरकार से सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चेताया कि अगर फंड का भुगतान नहीं किया तो अदालत का विज्ञापन फंड सीज कर फंड देने का आदेश फिर से प्रभावी ना हो जाए. 

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई दिल्ली सरकार को फटकार

दिल्ली पानीपत और अलवर रैपिड रेल (RRTS) कॉरिडोर के लिए दिल्ली सरकार द्वारा अपने हिस्से की बकाया राशि न देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)में बुधवार को सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बकाया राशि को जमा कराने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि वह केंद्र सरकार से मंजूरी लेकर इस फंड को जल्द जमा करे. साथ ही कोर्ट ने चेताया है कि अगर दिल्ली सरकार ने फंड का भुगतान नहीं किया तो अदालत का विज्ञापन फंड सीज कर फंड देने का आदेश फिर से प्रभावी ना हो जाए. 

दिल्ली सरकार की ओर से वकील ने कहा- केंद्र की मंजूरी का इंतजार

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोरिडोर के लिए बजटीय प्रावधान कर दिया गया है, केंद्र की मंजूरी का इंतजार है, ताकि बकाया राशि का भुगतान किया जा सके. वहीं, केंद्र की तरफ से पेश हो रहे अटॉर्नी जनरल (एजी) ने कहा कि फंड को मंजूरी देने में कोई समस्या नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली पानीपत और दिल्ली अलवर कॉरिडोर के लिए बजटीय प्रावधान दिल्ली सरकार द्वारा किए गए हैं और केंद्र सरकार से मंजूरी मांगी गई है.

AG का कहना है कि औपचारिक मंजूरी को अधिसूचित करने में कोई समस्या नहीं है. फिर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बकाया धनराशि जारी करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया. यह बताने की जरूरत नहीं है कि दिल्ली सरकार को अपने शेड्यूल पर कायम रहना चाहिए और नवंबर के आदेश का पालन करना चाहिए. बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर फिर सवाल उठाए थे. कोर्ट ने कहा था कि आपके पास विज्ञापन के लिए बजट बनाने के लिए प्रावधान हैं लेकिन इसके लिए नहीं. क्यों हमें सरकार की बांह मरोड़कर पैसे देने को कहना पड़ता है. हम अपने आदेश का अनुपालन न होने के कारण चिंतित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सारी राशि देने के लिए दिल्ली सरकार को और वक्त दिया था.

सारे प्रोजेक्ट के लिए फंड देना चाहिए : SC

सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि दिल्ली सरकार के मुताबिक 415 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. लेकिन ये राशि NCRTC के खाते में जमा नहीं हुई है. मंजूरी आदेश खुद कहता है कि आंशिक अनुपालन किया गया है . इसका आंशिक अनुपालन नहीं बल्कि पूरा अनुपालन होना चाहिए. सारे प्रोजेक्ट के लिए फंड देना चाहिए. 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा था कागजात दिखाइए कि आपने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि हम अपने आदेश का अनुपालन न होने के कारण चिंतित है. आप आंशिक अनुपालन कह रहे हैं. आप विभिन्न कॉरीडार के भुगतान में गड़बड़ी कर रहे हैं. 

दिल्ली सरकार की ओर से बताया गया था कि पिछले शुक्रवार को आंशिक भुगतान किया गया है.  21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को तगड़ा झटका दिया था. परियोजना को लेकर फंड ना देने से सुप्रीम कोर्ट नाराज था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था एक हफ्ते के भीतर 415 करोड़ रुपये दे सरकार.  अगर नहीं दिया तो दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर फंडिंग दे देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया था और कहा था कि अगर फंड नहीं दिया तो विज्ञापन बजट से पैसा देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को 415 करोड़ रुपये ना देने पर दिल्ली सरकार को घेरा, कहा कि अगर ये राशि नहीं दी तो हम दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर अटैच कर लेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लगाई थी फटकार

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए परियोजना भी जरूरी है. पिछले तीन साल का दिल्ली सरकार का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ था, जबकि इस साल का बजट 550 करोड़ है. 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर दिल्ली सरकार तीन सालों  में विज्ञापन के लिए ₹1100 करोड़ आवंटित कर सकती है तो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए फंड भी जरूरी है. कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि या तो भुगतान करें या फिर अदालत उसके फंड तो अटैच करने के आदेश जारी करेगी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट की फटकार और चेतावनी के बाद दिल्ली सरकार दो महीने के भीतर 415 करोड़ का बकाया देने को राजी हो गई थी, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया. 

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