
- सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद में IPS पत्नी को पति और ससुरालवालों से सार्वजनिक माफी का आदेश दिया.
- पत्नी द्वारा दर्ज आपराधिक मामलों के कारण पति को 109 दिन और उसके पिता को 103 दिन जेल में बिताने पड़े थे.
- माफी का प्रसारण राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बिना किसी दायित्व के किया जाएगा.
वैवाहिक विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने असाधारण कदम उठाया है. IPS पत्नी को वैवाहिक विवाद के दौरान पूर्व पति और ससुरालवालों के खिलाफ दर्ज कई आपराधिक मामलों से हुई 'शारीरिक और मानसिक पीड़ा' के लिए बिना शर्त सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच चल रहे सारे मामलों को रद्द कर दिया. साथ ही संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए अक्टूबर 2018 से पति-पत्नी के अलग रहने के कारण शादी को भंग भी कर दिया.
पति ने 109 दिन और ससुर को 103 दिन जेल में बिताने पड़े
CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. फैसले में कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा IPS की धारा 498A, 307 और 376 के तहत गंभीर आरोपों सहित दर्ज आपराधिक मामलों के चलते पति को 109 दिन और उसके पिता को 103 दिन जेल में बिताने पड़े. पीठ ने कहा कि उन्होंने जो कुछ सहा है, उसकी भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती. अदालत ने सार्वजनिक माफी को नैतिक क्षतिपूर्ति के रूप में उचित ठहराया. पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ अलग-अलग आपराधिक मामले दर्ज कराए थे. पत्नी ने तलाक, भरण-पोषण आदि के लिए फैमिली कोर्ट में भी मामला दायर किया. पति ने भी पत्नी और परिवारवालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए थे. इसके अलावा तीसरे पक्ष ने भी मामले दर्ज कराए थे.
पति ने तलाक के लिए अर्जी दी थी, जानें पूरा मामला
पति ने तलाक के लिए अर्जी दी थी. पति और पत्नी दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ दायर मामलों को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. मामले का फैसला सुनाते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि महिला और उसके माता-पिता अपने पति और उसके परिवार के सदस्यों से बिना शर्त माफी मांगेंगे, जिसे एक प्रसिद्ध अंग्रेजी और एक हिन्दी समाचार पत्र के राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित किया जाएगा. यह माफीनामा फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और इसी तरह के अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रकाशित और प्रसारित किया जाएगा. यहां माफी मांगने को दायित्व स्वीकार करने के रूप में नहीं समझा जाएगा और इसका कानूनी अधिकारों, दायित्वों या कानून के तहत उत्पन्न होने वाले परिणामों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यह माफीनामा इस आदेश की तारीख से 3 दिनों के भीतर प्रकाशित किया जाएगा.
इतना ही नहीं, पीठ ने पत्नी से बिना किसी बदलाव के एक प्रारूप में ही माफ़ी मांगने को भी कहा-
“मैं .., पुत्री ___, निवासी ....., अपनी और अपने माता-पिता की ओर से अपने किसी भी शब्द, कार्य या कहानी के लिए ईमानदारी से माफ़ी मांगती हूं जिससे ___ परिवार के सदस्यों, अर्थात् ____ की भावनाओं को ठेस पहुंची हो या उन्हें परेशानी हुई हो. मैं समझती हूं कि विभिन्न आरोपों और कानूनी लड़ाइयों ने दुश्मनी का माहौल पैदा कर दिया है और आपकी भलाई पर गहरा असर डाला है, हालांकि कानूनी कार्यवाही अब हमारे विवाह के भंग होने और पक्षों के बीच लंबित मुकदमों के रद्द करने के साथ समाप्त हो गई है. मैं समझती हूं कि भावनात्मक जख्मों को भरने में समय लग सकता है. मुझे पूरी उम्मीद है कि यह माफी हम सभी के लिए शांति और समाधान पाने की दिशा में एक कदम साबित होगी. मुझे खेद है और मैं दोनों परिवारों के लिए शांति और सौहार्दपूर्ण भविष्य की कामना करती हूं. दोनों परिवारों की शांति, अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली के लिए, मुझे पूरी उम्मीद है कि ___ परिवार मेरी इस बिना शर्त माफ़ी को स्वीकार करेगा. अतीत चाहे कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, वह भविष्य को बंदी नहीं बना सकता. मैं इस अवसर पर___परिवार के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहती हूं कि उनके साथ अपने जीवन के अनुभवों से मैं एक अधिक आध्यात्मिक व्यक्ति बन गई हूं. एक बौद्ध धर्मावलंबी होने के नाते, मैं सच्चे मन से ___परिवार के प्रत्येक सदस्य की शांति, सुरक्षा और खुशी की कामना करती हूं. यहां, मैं दोहराती हूं कि ___परिवार का विवाह से जन्मी उस बालिका से मिलने और उसके बारे जानने के लिए हार्दिक स्वागत है, जिसका कोई दोष नहीं है. आदर और सम्मान सहित. ”
अदालत ने पत्नी को दिया ये निर्देश
अदालत ने पत्नी को यह भी निर्देश दिया कि वह एक IPS अधिकारी के रूप में अपने पद और शक्ति का, या भविष्य में अपने किसी अन्य पद का, देश में कहीं भी अपने सहकर्मियों/वरिष्ठों या अन्य परिचितों के पद और शक्ति का, पति, उसके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के विरुद्ध किसी भी प्राधिकरण या मंच के समक्ष किसी तीसरे पक्ष/अधिकारी के माध्यम से कोई कार्यवाही शुरू करने या पति और उसके परिवार को किसी भी तरह से शारीरिक या मानसिक क्षति पहुंचाने के लिए उपयोग न करें. हालांकि, पीठ ने पति और उसके परिवार को आगाह किया कि वे याचिकाकर्ता-पत्नी और उसके परिवार द्वारा किसी भी अदालत, प्रशासनिक/नियामक/अर्ध-न्यायिक निकाय/ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत क्षमा याचना का उपयोग वर्तमान या भविष्य में उसके हितों के विरुद्ध न करें, अन्यथा इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा जिसके लिए पति और उसके परिवार को उत्तरदायी ठहराया जाएगा. पक्षों के बीच सभी लंबित आपराधिक और दीवानी मुकदमों को रद्द/वापस लेने का आदेश दिया गया.अदालत ने ये भी आदेश दिया कि उनकी बेटी मां के साथ ही रहेगी और पति व परिजनों को मिलने का समय दिया जाएगा. साथ ही साफ किया कि पत्नी तय समझौते के मुताबिक पति से कोई गुजारा भत्ता नहीं लेगी.
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