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This Article is From Jun 02, 2014

सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेनन की फांसी पर लगाई रोक

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1993 में मुंबई में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में मुख्य षड्यंत्रकारी और मौत की सजा का सामना कर रहे याकूब अब्दुल रजाक मेमन की फांसी पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति जेएस खेहर और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार और अन्य को मेनन के आग्रह पर नोटिस जारी कर कहा कि इस दौरान मौत की सजा की प्रक्रिया पर रोक रहेगी।

न्यायालय ने मेनन का आग्रह संविधान पीठ को भी भेज दिया, जिसमें कहा गया है कि मौत की सजा के मामलों में पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट को कक्ष में नहीं, बल्कि खुली अदालत में सुनवाई करनी चाहिए।

मेमन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता उपमन्यु हजारिका ने कहा कि वर्ष 2000 में हुए लालकिला हमला मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी मोहम्मद आरिफ का ऐसा ही आग्रह संविधान पीठ को भेजा गया था।

तब कोर्ट ने कहा कि यह याचिका भी लालकिला हमला मामले के दोषी के आग्रह के साथ नत्थी कर दी जाए और उसके साथ ही इसकी सुनवाई भी की जाए।

न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और बी एस चौहान की पीठ ने 21 मार्च 2013 को मेमन की मौत की सजा बरकरार रखी थी।

इस मामले में विशेष टाडा अदालत ने 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे पीठ ने यह कहते हुए उम्रकैद में बदल दिया था कि इन लोगों की भूमिका मेमन की भूमिका से अलग थी। इन 10 लोगों ने मुंबई में विभिन्न स्थानों पर आरडीएक्स विस्फोटक से लदे वाहन खड़े किए थे। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट मेमन भगोड़े अपराधी टाइगर मेमन का भाई है।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वह मुंबई में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों का मुख्य षडयंत्रकारी था। मुंबई में भीड़ भरे 12 स्थानों पर हुए इन विस्फोटों में 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए थे।

कोर्ट ने यह भी कहा था कि मौत की सजा का सामना कर रहे 10 अन्य दोषी समाज के कमजोर वर्ग के थे, उनके पास रोजगार नहीं था और वह लोग मुख्य षड्यंत्रकारियों के ‘गुप्त इरादों’ के शिकार बन गए।

कोर्ट ने कहा था ‘मेमन और अन्य भगोड़े (दाउद इब्राहिम तथा अन्य) मुख्य षड्यंत्रकारी थे, जिन्होंने इस त्रासद कार्रवाई की साजिश रची थी। 10 अपीलकर्ता सिर्फ सहयोगी थे, जिनकी जानकारी उनके समकक्षों की तुलना में बहुत कम थी। हम कह सकते हैं कि उसने (याकूब ने) और अन्य फरार आरोपियों ने निशाना लगाया जबकि शेष अपीलकर्ताओं के पास हथियार थे। फिल्म अभिनेता संजय दत्त को इस मामले में अवैध हथियार रखने के जुर्म में पांच साल की सजा सुनाई गई थी। उन्हें शेष साढ़े तीन साल की सजा काटने का आदेश दिया गया था।

विशेष टाडा अदालत ने संजय को वर्ष 2007 में 6 साल की सजा सुनाई थी, जिसे कोर्ट ने घटा कर 5 साल कर दिया था। संजय पहले ही 18 माह तक जेल में बंद रहे थे।

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