दिल्ली के गाजीपुर में कचरे का पहाड़.
नई दिल्ली:
दिल्ली में कचरा प्रबंधन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की. राजधानी के भलस्वा, ओखला और गाजीपुर में कचरे के पहाड़ों के समुचित निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी से दो हफ़्ते में रिपोर्ट मांगी है. कमेटी देश-विदेश में कचरे के सफल निपटान में विशेषज्ञता हासिल संस्थानों और अनुभवी लोगों से चर्चा कर उपाय बताएगी.
सुप्रीम कोर्ट कचरा प्रबंधन को लेकर उप राज्यपाल द्वारा दिए गए सुझाव से संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा ने कहा कि कूड़े को लेकर जो भी सुझाव दिए गए वह सिर्फ ऊपरी तौर सही दिख रहे हैं लेकिन जहरीले तत्व नीचे रह जाएंगे.
एक्सपर्ट कमेटी अपनी रिपोर्ट ASG पिंकी आनन्द को भी देगी ताकि उप राज्यपाल से उन पर मंज़ूरी ली जा सके. कोर्ट ने कहा कि सरकार जिस पर अमल कर रही है वो प्रोजेक्ट अच्छे हों या बुरे हमारे पास विकल्प नहीं है. अमाइकस से कहा कि आप इससे बेहतर विकल्प बताएं.
यह भी पढ़ें : दिल्ली LG पर बरसा सुप्रीम कोर्ट, कहा- खुद को 'सुपरमैन' मानते हैं, सिंपल अंग्रेजी में बताएं 'कूड़े का पहाड़' कब हटाएंगे
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट उप राज्यपाल पर बरसा था और कहा था कि ''वे कह रहे हैं कि वे ही हर मामले के प्रभारी हैं, सुपरमैन हैं. लेकिन वे कुछ नहीं करेंगे और उन्हें कोई छू नहीं सकता. वे संवैधानिक पद पर हैं लेकिन कुछ नहीं करेंगे. जब कोई भी काम होता है तो बस पास कर देते हैं कि ये उसकी जिम्मेदारी है. उनके अफसर मुद्दों पर मीटिंग में जाने की जहमत नहीं उठाते. यहां तक कि लग रहा है कि वे कहते हैं कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कुछ नहीं हैं. जो कुछ हूं मैं हूं. आपके अफसर उनकी मीटिंग में नहीं जाते. जाहिर है कि LG ये सोचते होंगे कि वे ही अथॉरिटी हैं.''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर मामले में मुख्यमंत्री को मत घसीटिए. आपको सिंपल अंग्रेजी में ये बताना है कि कूड़े के पहाड़ को कब हटाएंगे. LG ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि कचरा प्रबंधन के लिए नगर निगम जिम्मेदार है लेकिन वे उसे आदेश जारी कर सकते हैं. पूर्वी निगम में गाजीपुर, दक्षिणी में ओखला और उत्तर में भलस्वा लैंड फिल साइट्स हैं.LG अपने स्तर पर ठोस कचरा निपटान पर अधिकारियों की मीटिंग लेते रहे हैं. बाइलॉज भी जारी किया गया है.
VIDEO : कूड़ा फेंकने का विरोध करने वालों पर मामला दर्ज
कोर्ट ने केंद्र और LG के लिए पेश ASG पिंकी आनंद से पूछा था कि एक्शन की टाइमलाइन बताएं. 25 मीटिंग हुईं, 50 कप चाय पी, इसका हमारे लिए कोई मतलब नहीं. आप LG हैं, आपने मीटिंग की हैं. टाइमलाइन और स्टेटस रिपोर्ट दें.
सुप्रीम कोर्ट कचरा प्रबंधन को लेकर उप राज्यपाल द्वारा दिए गए सुझाव से संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा ने कहा कि कूड़े को लेकर जो भी सुझाव दिए गए वह सिर्फ ऊपरी तौर सही दिख रहे हैं लेकिन जहरीले तत्व नीचे रह जाएंगे.
एक्सपर्ट कमेटी अपनी रिपोर्ट ASG पिंकी आनन्द को भी देगी ताकि उप राज्यपाल से उन पर मंज़ूरी ली जा सके. कोर्ट ने कहा कि सरकार जिस पर अमल कर रही है वो प्रोजेक्ट अच्छे हों या बुरे हमारे पास विकल्प नहीं है. अमाइकस से कहा कि आप इससे बेहतर विकल्प बताएं.
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शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट उप राज्यपाल पर बरसा था और कहा था कि ''वे कह रहे हैं कि वे ही हर मामले के प्रभारी हैं, सुपरमैन हैं. लेकिन वे कुछ नहीं करेंगे और उन्हें कोई छू नहीं सकता. वे संवैधानिक पद पर हैं लेकिन कुछ नहीं करेंगे. जब कोई भी काम होता है तो बस पास कर देते हैं कि ये उसकी जिम्मेदारी है. उनके अफसर मुद्दों पर मीटिंग में जाने की जहमत नहीं उठाते. यहां तक कि लग रहा है कि वे कहते हैं कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कुछ नहीं हैं. जो कुछ हूं मैं हूं. आपके अफसर उनकी मीटिंग में नहीं जाते. जाहिर है कि LG ये सोचते होंगे कि वे ही अथॉरिटी हैं.''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर मामले में मुख्यमंत्री को मत घसीटिए. आपको सिंपल अंग्रेजी में ये बताना है कि कूड़े के पहाड़ को कब हटाएंगे. LG ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि कचरा प्रबंधन के लिए नगर निगम जिम्मेदार है लेकिन वे उसे आदेश जारी कर सकते हैं. पूर्वी निगम में गाजीपुर, दक्षिणी में ओखला और उत्तर में भलस्वा लैंड फिल साइट्स हैं.LG अपने स्तर पर ठोस कचरा निपटान पर अधिकारियों की मीटिंग लेते रहे हैं. बाइलॉज भी जारी किया गया है.
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कोर्ट ने केंद्र और LG के लिए पेश ASG पिंकी आनंद से पूछा था कि एक्शन की टाइमलाइन बताएं. 25 मीटिंग हुईं, 50 कप चाय पी, इसका हमारे लिए कोई मतलब नहीं. आप LG हैं, आपने मीटिंग की हैं. टाइमलाइन और स्टेटस रिपोर्ट दें.
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