सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त करते हुए हादिया और शफीन जहां के बीच हुई अंतरधर्म विवाह को बहाल कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हादिया को अपनी पसंद पर पूरा अधिकार है. अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति के अर्थपूर्ण अस्तित्व के लिए किसी व्यक्ति के धार्मिक विचार अंतर्निहित हैं. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दो अलग अलग लेकिन एक ही मत वाले फैसले में कहा कि कानून के अनुसार पसंद जाहिर करना किसी की व्यक्तिगत पहचान को स्वीकारना है.
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गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने आठ मार्च को उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया था जिसमें जहां और हादिया की शादी अमान्य घोषित की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी की इच्छा के खिलाफ कुछ भी कराना सही नहीं होता. हादिया अपने फैसलों के लिए स्वतंत्र है.(इनपुट भाषा से)
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गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने आठ मार्च को उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया था जिसमें जहां और हादिया की शादी अमान्य घोषित की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी की इच्छा के खिलाफ कुछ भी कराना सही नहीं होता. हादिया अपने फैसलों के लिए स्वतंत्र है.(इनपुट भाषा से)
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