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सोसाइटी में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वाले सावधान! पहले जान लें सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश

Stray Dogs Feeding Rule: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को खाना खिलाने को लेकर नियम तय कर दिया है, जिसके बाद अब डॉग लवर्स के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है.

सोसाइटी में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वाले सावधान! पहले जान लें सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर सुनाया फैसला

Stray Dogs Supreme Court: आवारा कुत्तों को लेकर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट का वो फैसला आ गया है, जिसका सभी को इंतजार था. सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में डालने की बात कही गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तुरंत आवारा कुत्तों को छोड़ा जाना चाहिए और इनके लिए खाने की व्यवस्था भी बनाने की बात कही. ऐसे में अब सोसाइटी या फिर अपने घरों के बाहर कोई आवारा कुत्तों को खाना नहीं खिला सकता है. 

कुत्तों की फीडिंग को लेकर क्या है नियम?

  • आवारा कुत्तों को पब्लिक प्लेस में खाना नहीं खिला सकते हैं. 
  • किसी भी सोसाइटी या फिर बाजार में कुत्तों को खाना नहीं खिलाया जा सकता है. 
  • आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए हर जगह फीडिंग स्पेस खोले जाएंगे. 
  • कुत्तों के लिए बनाए गए फीडिंग स्पेस में ही लोग उन्हें खाना खिला सकते हैं. 
  • सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना खिलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी जगह कुत्तों को खाना खिलाने से समस्या होती है. 

फिलहाल नगर निकायों को ऐसे स्थान चुनने के लिए कहा गया है, जहां कुत्तों को फीड करवाने की व्यवस्था की जाएगी. ये आदेश लागू होने के बाद आप पब्लिक प्लेस या फिर अपनी सोसाइटी में कुत्तों को खाना नहीं खिला सकते हैं.

पहले के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा बुनियादी ढांचे का मूल्यांकन किए बिना सभी आवारा कुत्तों को उठाकर उन्हें डॉग शेल्टर/पाउंड में रखने का एक सामान्य निर्देश दुविधा की स्थिति पैदा कर सकता है, क्योंकि ऐसे निर्देशों का पालन करना असंभव हो सकता है. इसलिए, हमारा मानना ​​है कि एक समग्र दृष्टिकोण के लिए 11 अगस्त, 2025 के जारी निर्देशों में नरमी लाने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पूरी आवारा कुत्तों की आबादी को उठाने  का कोई भी निर्देश दिए जाने से पहले, नगर निकायों के पास उपलब्ध मौजूदा बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों पर एक नजर डालना जरूरी होगा. 
 

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